नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

MPLADS में धन व्यपगत

  • 06 Aug 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

MPLADS

मेन्स के लिये:

विकास कार्यों में MPLADS की भूमिका 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त पर स्थायी समिति ने संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) को केवल एक सप्ताह का समय देने हेतु वित्त मंत्रालय (व्यय विभाग) के निर्णय की आलोचना की, जिसके कारण इसका 50% धन व्यपगत हो गया।

प्रमुख बिंदु

समिति के निष्कर्ष:

  • परियोजनाओं पर प्रभाव: वित्तपोषण की कमी के कारण देश भर में कार्यान्वित कई स्थानीय क्षेत्र विकास परियोजनाएंँ प्रभावित हुईं।
    • विशेष रूप से उन राज्यों में जहाँ इस साल चुनाव हुए थे क्योंकि इन राज्यों और निर्वाचन क्षेत्रों के लिये आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए कोई धन जारी नहीं किया गया था।
  • नीति में तदर्थवाद: MPLAD के तहत जिला प्राधिकारियों को जारी की गई धनराशि व्यपगत नहीं होती है, जबकि किसी विशेष वर्ष में सरकार द्वारा जारी नहीं की गई धनराशि को कैरी फॉरवर्ड किया जाता है।
    • हालाँकि वित्त मंत्रालय का निर्णय जिसने निधियों को व्यपगत बना दिया, ने तदर्थता और पूरे भारत में समुदायों के लिये नकारात्मक परिणामों के साथ राजकोषीय प्रबंधन में एक गंभीर चूक को प्रदर्शित किया।

MPLAD योजना के बारे में:

  • MPLAD एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जिसकी घोषणा दिसंबर 1993 में की गई थी।
  • इस योजना का उद्देश्य संसद सदस्यों (सांसद) को अवसंरचना के निर्माण पर ज़ोर देने के साथ स्थानीय स्तर की ज़रूरतों के आधार पर पूंजीगत प्रकृति के विकास कार्यों का सुझाव देने और निष्पादित करने में सक्षम बनाना है।
  • प्रारंभ में यह ग्रामीण विकास मंत्रालय के नियंत्रण में था। बाद में अक्तूबर 1994 में इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत स्थानांतरित कर दिया गया।

कार्य:

  • प्रत्येक संसद सदस्य को योजना के तहत 5 करोड़ रुपए और कुल 790 सांसदों को सालाना 3,950 करोड़ रुपए अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के लिये प्रदान किया जाता है।
  • लोकसभा सांसदों को अपने लोकसभा क्षेत्रों में ज़िला प्राधिकरण परियोजनाओं की सिफारिश करनी होती है।
  • राज्यसभा सांसदों को इस निधि को उस राज्य में खर्च करना पड़ता है जहाँ से उन्हें संसद में प्रतिनिधि चुना गया है।
  • राज्यसभा और लोकसभा दोनों के मनोनीत सदस्य देश में कहीं भी कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं।

प्राथमिकता वाली परियोजनाएँ:

  • परियोजनाओं में पेयजल सुविधाएँ, प्राथमिक शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य स्वच्छता और सड़कों जैसी संपत्ति निर्माण शामिल हैं।
  • जून 2016 से MPLAD वित्त का उपयोग स्वच्छ भारत अभियान, सुगम्य भारत अभियान, वर्षा जल संचयन के माध्यम से जल संरक्षण और सांसद आदर्श ग्राम योजना आदि के तहत  योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये भी किया जा सकता है।

MPLADs

MPLAD से संबंधित अन्य मुद्दे:

  • कार्यान्वयन चूक: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने वित्तीय कुप्रबंधन और खर्च की गई राशि की कृत्रिम मुद्रास्फीति के उदाहरणों को हरी झंडी दिखाई है।
  • कोई सांविधिक समर्थन नहीं: यह योजना किसी वैधानिक कानून द्वारा शासित नहीं है और यह उस समय की सरकार की नीतियों पर निर्भर करती है।
  • निगरानी और विनियमन: योजना भागीदारी विकास को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई थी लेकिन भागीदारी के स्तर को मापने के लिये कोई संकेतक उपलब्ध नहीं है।
  • संघवाद का उल्लंघन: केंद्र सरकार केवल उन मामलों के संबंध में खर्च कर सकती है, जिन पर सातवीं अनुसूची के अनुसार उसका विषय क्षेत्र है।
    • MPLADS स्थानीय स्वशासी संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करता है और इस प्रकार संविधान के भाग IX और IX-A का उल्लंघन करता है।
  • शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के साथ संघर्ष: यह योजना संविधान के तहत शक्तियों के पृथक्करण की विशेषता को बाधित करती है, क्योंकि इससे सांसद कार्यकारी कार्यों में शामिल हो रहे हैं।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow