मीडिया की स्वतंत्रता | 20 Jan 2022
प्रिलिम्स के लिये:एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PTI), वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स (WPFI)। मेन्स के लिये:मीडिया और लोकतंत्र की स्वतंत्रता, पेड न्यूज, पक्षपातपूर्ण मीडिया, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कश्मीर प्रेस क्लब के बंद होने पर नाराज़गी जताई है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के मुताबिक, कश्मीर प्रेस क्लब का बंद होना मीडिया की स्वतंत्रता के लिये एक खतरनाक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
- एडिटर्स गिल्ड की स्थापना वर्ष 1978 में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने और समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं के संपादकीय नेतृत्व के मानकों को बढ़ाने के दोहरे उद्देश्यों के साथ की गई थी।
प्रमुख बिंदु
- मीडिया और लोकतंत्र की स्वतंत्रता:
- विचारों का मुक्त आदान-प्रदान: लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिये विचारों का मुक्त आदान-प्रदान, सूचनाओं एवं ज्ञान का मुक्त प्रवाह, वार्ता एवं अलग-अलग दृष्टिकोणों की अभिव्यक्ति काफी महत्त्वपूर्ण है।
- एक स्वतंत्र प्रेस ही अपने नेताओं की सफलताओं या विफलताओं के बारे में नागरिकों को सूचित कर सकता है।
- यह लोगों की ज़रूरतों और इच्छाओं को सरकारी निकायों तक पहुँचाता है, सूचित निर्णय लेने में मदद करता है और परिणामस्वरूप समाज को मज़बूत करता है।
- यह अलग-अलग विचारों के बीच स्वतंत्र वार्ता को बढ़ावा देता है, जो व्यक्तियों को राजनीतिक जीवन में पूरी तरह से भाग लेने में मददगार होता है।
- सरकार को जवाबदेह बनाना: फ्री मीडिया लोगों को सरकार के फैसलों पर सवाल खड़ा करने में मदद करता है और उसे आम जनमानस के प्रति जवाबदेह बनाता है।
- हाशिये पर पड़े लोगों की आवाज़: जनता की आवाज़ होने के कारण स्वतंत्र मीडिया उन्हें राय व्यक्त करने का अधिकार देता है।
- इस प्रकार लोकतंत्र में स्वतंत्र मीडिया महत्त्वपूर्ण है।
- लोकतंत्र का चौथा स्तंभ: इन विशेषताओं के कारण मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जा सकता है, अन्य तीन विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका हैं।
- विचारों का मुक्त आदान-प्रदान: लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिये विचारों का मुक्त आदान-प्रदान, सूचनाओं एवं ज्ञान का मुक्त प्रवाह, वार्ता एवं अलग-अलग दृष्टिकोणों की अभिव्यक्ति काफी महत्त्वपूर्ण है।
- प्रेस की स्वतंत्रता को खतरा:
- फेक न्यूज़: सोशल मीडिया लोगों को अपनी बात रखने का पर्याप्त मौका देता है। कभी-कभी इसका इस्तेमाल किसी के द्वारा अफवाह फैलाने और गलत सूचना फैलाने के लिये भी किया जा सकता है।
- पेड न्यूज़: भ्रष्टाचार-पेड न्यूज़, एडवर्टोरियल और फेक न्यूज़ स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया के लिये खतरा हैं।
- पत्रकारों पर हमला: पत्रकारों की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है, संवेदनशील मुद्दों को कवर करने वाले पत्रकारों पर हत्याएँ और हमले आम घटनाएँ हैं।
- सोशल मीडिया पर साझा और प्रसारित अभद्र भाषा को सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले पत्रकारों के खिलाफ लक्षित किया जाता है।
- 'फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021 (फ्रीडम हाउस, यूएस)', 'ह्यूमन राइट्स रिपोर्ट, 2020 (यूएस स्टेट डिपार्टमेंट)', 'ऑटोक्रेटाइजेशन गोज़ वायरल (वी-डेम इंस्टीट्यूट, स्वीडन)' जैसी रिपोर्टों ने भारत में पत्रकारों को मिली धमकी को उजागर किया है।
- पक्षपातपूर्ण मीडिया: कॉरपोरेट और राजनीतिक शक्ति ने प्रिंट व विजुअल दोनों तरह के मीडिया के बड़े हिस्से को व्याकुल कर दिया है जो निहित स्वार्थों को जन्म देता है तथा स्वतंत्रता को नष्ट कर देता है।
- भारत में प्रेस की स्वतंत्रता:
- रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य, 1950: रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नींव है।
- अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार: भारतीय संविधान अनुच्छेद 19 के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो 'भाषण की स्वतंत्रता आदि के संबंध में कुछ अधिकारों के संरक्षण' से संबंधित है।
- निहित अधिकार: प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय कानूनी प्रणाली द्वारा स्पष्ट रूप से संरक्षित नहीं है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत संरक्षित है।
- एक कानून इस अधिकार के प्रयोग पर केवल प्रतिबंध लगा सकता है, यह अनुच्छेद 19 (2) के तहत कुछ प्रतिबंधों का सामना करता है, जो इस प्रकार है:
- भारत की संप्रभुता और अखंडता
- राज्य की सुरक्षा
- विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध
- सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता या में
- न्यायालय की अवमानना
- मानहानि
- किसी अपराध के लिये उकसाना।
- एक कानून इस अधिकार के प्रयोग पर केवल प्रतिबंध लगा सकता है, यह अनुच्छेद 19 (2) के तहत कुछ प्रतिबंधों का सामना करता है, जो इस प्रकार है:
- भारतीय प्रेस परिषद (PCI):
- यह भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम 1978 के तहत स्थापित एक नियामक संस्था है।
- इसका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखना और भारत में समाचार पत्रों व समाचार एजेंसियों के मानकों को बनाए रखना और सुधारना है।
- प्रेस की स्वतंत्रता के लिये अंतर्राष्ट्रीय पहल:
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक, 2021 में भारत को 180 देशों में से 142वें स्थान पर रखा गया है।
- पेरिस स्थित 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (RWB) वार्षिक रूप से 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (WPFI) प्रकाशित करता है।
- 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ विश्व के 180 देशों में मीडिया के लिये उपलब्ध स्वतंत्रता के स्तर का मूल्यांकन करने व सरकारों और अधिकारियों को स्वतंत्रता के खिलाफ उनकी नीतियों एवं प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में जागरूक बनाता है।
आगे की राह
- संस्थागत ढांँचे को सुदृढ़ बनाना: भारतीय प्रेस परिषद, एक नियामक संस्था है जो मीडिया को चेतावनी दे सकती है और नियंत्रित कर सकती है यदि उसे पता चलता है कि किसी समाचार पत्र या समाचार एजेंसी ने मीडिया नैतिकता का उल्लंघन किया है।
- न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) को वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिये जो निजी टेलीविज़न समाचार और करंट अफेयर्स ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है।
- भ्रामक खबरों से निपटना: मीडिया की स्वतंत्रता को कम किये बिना उसमें विश्वास बहाल करने के लिये कंटेंट में हेराफेरी और फेक न्यूज को रोकने हेतु निम्नलिखित को सक्षम करना होगा।
- लोक शिक्षा,
- नियमों का सुदृढ़ीकरण
- टेक कंपनियों का प्रयास न्यूज क्यूरेशन के लिये उपयुक्त एल्गोरिदम बनाना है।
- मीडिया नैतिकता: यह महत्त्वपूर्ण है कि मीडिया सच्चाई और सटीकता, पारदर्शिता, स्वतंत्रता, निष्पक्षता, ज़िम्मेदारी जैसे मूल सिद्धांतों पर टिका रहे।