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फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021 रिपोर्ट

  • 05 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021’ रिपोर्ट में भारत की स्थिति को ‘स्वतंत्र’ से 'आंशिक रूप से स्वतंत्र' कर दिया है।

  • पिछले 15 वर्षों में वैश्विक लोकतंत्र में गिरावट की ओर इशारा करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की लगभग 75 प्रतिशत आबादी ऐसे देशों में निवास करती है, जहाँ पिछले कुछ वर्षों में लोकतंत्र और स्वतंत्रता की स्थिति में गिरावट आई है।
  • दुनिया के सबसे मुक्त और स्वतंत्र देशों में फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन शामिल हैं, जबकि तिब्बत और सीरिया ऐसे देशों में हैं।

Freedom-In-South-Asia

प्रमुख बिंदु

रिपोर्ट के बारे में 

  • प्रकाशन 
    • यह रिपोर्ट अमेरिका आधारित ‘फ्रीडम हाउस’ नामक मानवाधिकार संस्था द्वारा जारी की जाती है। वर्ष 1941 से कार्यरत इस संस्था का वित्तपोषण अमेरिकी सरकार के अनुदान से किया जाता है। 
  • रिपोर्ट में प्राप्त स्कोर
    • यह रिपोर्ट मुख्य तौर पर राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं पर आधारित है।
    • राजनीतिक अधिकारों के तहत चुनावी प्रक्रिया, राजनीतिक बहुलवाद और भागीदारी तथा सरकारी कामकाज जैसे संकेतक शामिल हैं।
    • जबकि नागरिक स्वतंत्रता के तहत अभिव्यक्ति एवं विश्वास की स्वतंत्रता, संबद्ध एवं संगठनात्मक अधिकार, कानून के शासन और व्यक्तिगत स्वायत्तता व व्यक्तिगत अधिकारों आदि संकेतकों को शामिल किया गया है।
    • इन्हीं संकेतकों के आधार पर देशों को ‘स्वतंत्र’, ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ या ‘स्वतंत्र नहीं’ घोषित किया जाता है।

भारत की स्थिति 

  • भारत को रिपोर्ट में 67/100 स्कोर प्राप्त हुआ है, जो कि बीते वर्ष के 71/100 के मुकाबले कम है, पिछले वर्ष भारत ‘स्वतंत्र’ श्रेणी में शामिल था, जबकि इस वर्ष भारत की स्थिति में गिरावट करते हुए इसे ‘आंशिक रूप स्वतंत्र’ श्रेणी में शामिल किया गया है।

भारत की स्थिति में गिरावट के कारण

  • मीडिया की स्वतंत्रता
    • रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेस की स्वतंत्रता पर हमलों में नाटकीय रूप से वृद्धि दर्ज की गई है और हाल के वर्षों में रिपोर्टिंग काफी कम महत्त्वाकांक्षी बन गई है। आलोचनात्मक मीडिया की आवाज़ को दबाने के लिये सुरक्षा निकायों, मानहानि, देशद्रोह और अवमानना जैसे साधनों ​​का प्रयोग किया जा रहा है।
  • हिंदू राष्ट्रवादी हितों में उभार
    • रिपोर्ट की मानें तो भारत एक वैश्विक लोकतांत्रिक नेता के रूप में अपनी पहचान खोता जा रहा है और समावेशी एवं सभी के लिये समान अधिकारों जैसे बुनियादी मूल्यों की कीमत पर संकीर्ण हिंदू राष्ट्रवादी हितों में उभार देखा जा रहा है। 
  • इंटरनेट स्वतंत्रता:
    • कश्मीर में और दिल्ली की सीमा पर इंटरनेट शटडाउन के कारण इस वर्ष इंटरनेट स्वतंत्रता का विषय काफी महत्त्वपूर्ण रहा है, इंटरनेट स्वतंत्रता के चलते भारत का स्कोर गिरकर 51 पर पहुँच गया है।
  • वायरस के विरुद्ध प्रतिक्रिया
    • कोरोना वायरस के विरुद्ध प्रतिक्रिया के दौरान भारत समेत वैश्विक स्तर पर कई स्थानों पर लॉकडाउन जैसे उपाय अपनाए गए, जिसके कारण भारत में व्यापक स्तर पर लाखों प्रवासी श्रमिकों को अनियोजित और खतरनाक तरीके से आंतरिक विस्थापन करना पड़ा।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महामारी के दौरान एक विशेष समुदाय के लोगों को वायरस के प्रसार के लिये अनुचित तरीके से दोषी ठहराया गया और कई बार उन्हें अनियंत्रित भीड़ के हमलों का सामना भी करना पड़ा था।
  • प्रदर्शनकर्त्ताओं पर कार्यवाही 
    • रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा भेदभावपूर्ण नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर अनुचित कार्यवाही की गई और इस प्रदर्शन के विरुद्ध बोलने वाले दर्जनों पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • कानून
    • उत्तर प्रदेश में अंतर-विवाह के माध्यम से ज़बरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने से संबंधित कानून को भी स्वतंत्रता पर एक गंभीर खतरे के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 

स्रोत: द हिंदू

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