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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

श्रीलंका में खाद्य आपातकाल

  • 07 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मुद्रा मूल्यह्रास, विदेशी मुद्रा भंडार, सकल घरेलू उत्पाद, मुद्रास्फीति

मेन्स के लिये:

श्रीलंका में खाद्य आपातकाल का कारण एवं इसके प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने बढ़ती खाद्य कीमतों, मुद्रा मूल्यह्रास और तेज़ी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार को रोकने के लिये आर्थिक आपातकाल की घोषणा की है।

  • श्रीलंका में सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के तहत आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर आपातकाल घोषित किया गया था।

Sri-Lanka

प्रमुख बिंदु

  • श्रीलंकाई आर्थिक संकट के लिये ज़िम्मेदार कारक:
    • अंडरपरफॉर्मिंग टूरिज़्म इंडस्ट्री: पर्यटन उद्योग जो देश के सकल घरेलू उत्पाद के 10% से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है और विदेशी मुद्रा का स्रोत है, कोरोनावायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
      • नतीजतन वर्ष 2019 में विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 बिलियन डॉलर से गिरकर जुलाई 2021 में लगभग 2.8 बिलियन डॉलर हो गया है।
    • मुद्रा का मूल्यह्रास: विदेशी मुद्रा की आपूर्ति के अत्यधिक कम होने के साथ श्रीलंकाई लोगों को सामान आयात करने के लिये आवश्यक विदेशी मुद्रा खरीदने हेतु जितना पैसा खर्च करना पड़ा है, वह बढ़ गया है।
      • इसकी वजह से इस वर्ष अब तक श्रीलंकाई रुपये के मूल्य में करीब 8% की गिरावट आई है।
    • बढ़ती मुद्रास्फीति: श्रीलंका अपनी बुनियादी खाद्य आपूर्ति, जैसे- चीनी, डेयरी उत्पाद, गेहूँ, चिकित्सा आपूर्ति को पूरा करने के लिये आयात पर बहुत अधिक निर्भर करता है। 
      • ऐसे में रुपए में गिरावट के साथ खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेज़ी आई है।
    • विदेशी मुद्रा का कम होना: महामारी ने विदेशी मुद्रा आय के सभी प्रमुख स्रोतों जैसे- निर्यात, श्रमिकों के प्रेषण आदि को प्रभावित किया है।
    • खाद्यान में कमी: श्रीलंका सरकार का हाल ही में रासायनिक उर्वरकों के आयात पर प्रतिबंध लगाने और "केवल जैविक" दृष्टिकोण अपनाने का निर्णय।
      • रातों-रात जैविक खादों की ओर रुख करने से खाद्य उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
  • आपातकालीन संकट के तहत उठाए गए कदम:
    • आपातकालीन प्रावधान सरकार को आवश्यक खाद्य पदार्थों के लिये खुदरा मूल्य निर्धारित करने और व्यापारियों से स्टॉक ज़ब्त करने की अनुमति देते हैं।
    • आपातकालीन कानून अधिकारियों को वारंट के बिना लोगों को हिरासत में लेने, संपत्ति को ज़ब्त करने, किसी भी परिसर में प्रवेश करने और तलाशी लेने, कानूनों को निलंबित करने तथा आदेश जारी करने में सक्षम बनाता है, इन पर अदालत में सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
      • इसके अलावा ऐसे आदेश जारी करने वाले अधिकारी भी मुकदमों से मुक्त होते हैं।
    • सेना उस कार्रवाई की निगरानी करेगी जो अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की शक्ति देती है कि आवश्यक वस्तुओं को सरकार द्वारा गारंटीकृत कीमतों पर बेचा जाए।
  • कदम की आलोचना:
    • खतरा यह है कि असंतोष को दबाने की वर्तमान सरकार की प्रवृत्ति को देखते हुए विरोध और अन्य लोकतांत्रिक कार्रवाइयों को रोकने के लिये आपातकालीन नियमों का इस्तेमाल किया जाएगा।
    • श्रीलंका के पास एक सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली या राशन कार्ड नहीं है जो यह सुनिश्चित कर सके कि आवश्यक सामान सभी उपभोक्ताओं तक पहुँच सके।
      • वर्तमान विनियम इसकी मूलभूत आर्थिक समस्या का समाधान नहीं करते हैं और इसके बजाय काला बाज़ारी का जोखिम पैदा करते हैं।
    • राज्य संस्थानों के बढ़ते सैन्यीकरण संबंधी मुद्दे भी चिंता का विषय हैं।
    • श्रीलंका में यह आर्थिक आपातकाल भारतीय संविधान के तहत वित्तीय आपातकाल से बहुत अलग है।

भारतीय संविधान के तहत वित्तीय आपातकाल  

  • घोषणा का आधार: भारतीय संविधान का अनुच्छेद-360 राष्ट्रपति को वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार देता है यदि वह संतुष्ट है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसके कारण भारतीय राज्यक्षेत्र के किसी भी हिस्से की वित्तीय स्थिरता या क्रेडिट को खतरा है।
  • संसदीय अनुमोदन और अवधि: वित्तीय आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा इसके जारी होने की तारीख से दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना अनिवार्य है। 
    • संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होने के बाद वित्तीय आपातकाल अनिश्चित काल तक जारी रहता है, जब तक कि इसे रद्द नहीं किया जाता।
  • वित्तीय आपातकाल का प्रभाव
    • राज्यों के वित्तीय मामलों पर संघ के कार्यकारी अधिकार का विस्तार।
    • राज्य में सेवारत सभी या किसी भी वर्ग के व्यक्तियों के वेतन और भत्तों में कटौती।
    • राज्य की विधायिका द्वारा पारित किये जाने के बाद सभी धन विधेयकों या अन्य वित्तीय विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिये आरक्षित करना।
    • संघ की सेवा में कार्यरत सभी या किसी भी वर्ग के व्यक्तियों और सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन एवं भत्तों में कटौती के लिये राष्ट्रपति से निर्देश।

स्रोत: द हिंदू

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