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भारतीय अर्थव्यवस्था

रुपए के मूल्य में गिरावट

  • 16 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बीते 9 माह के निचले स्तर- 75.4 पर पहुँच गया और भारतीय रुपए को होने वाला यह नुकसान, विभिन्न उभरते बाज़ारों में सबसे अधिक है।

  • 22 मार्च, 2021 से पिछले तीन हफ्तों में रुपए में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 4.2 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है।

Currency-Movement

प्रमुख बिंदु

गिरावट के कारण

  • कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी
    • कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में हो रही वृद्धि एक महत्त्वपूर्ण चिंता के रूप में सामने आया है। संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्य और अधिक कठोर लॉकडाउन लागू करने पर विचार कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में निवेशक अर्थव्यवस्था की रिकवरी में देरी होने को लेकर चिंतित हैं।
  • अमेरिकी डॉलर में मज़बूती
    • अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बेहतर रिकवरी की उम्मीद के परिणामस्वरूप अमेरिकी डॉलर में भी मज़बूती देखी जा रही है, जिसके कारण रुपए पर दबाव बढ़ रहा है।
  • रिज़र्व बैंक का सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम
    • भारतीय रिज़र्व बैंक ने तरलता प्रदान करने हेतु सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (G-SAP) लागू करने की घोषणा की है, जिससे रुपए पर अतिरिक्त दबाव आ गया है।
    • इसे एक प्रकार की मात्रात्मक नीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसके तहत भारतीय रिज़र्व बैंक बाज़ार को अधिक-से-अधिक तरलता प्रदान करके सरकार के उधार कार्यक्रम का समर्थन करेगा।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में कमी
    • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में कमी भारतीय रुपए पर दबाव को और अधिक बढ़ा सकता है। गौरतलब है कि अक्तूबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच भारतीय इक्विटी बाज़ारों में आने वाले विदेशी निवेश में भारी वृद्धि देखने को मिली थी।
      • यद्यपि अक्तूबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच भारतीय बाज़ारों में 1.94 लाख करोड़ रुपए का शुद्ध विदेशी निवेश हुआ था, किंतु अप्रैल 2021 से अब तक निवेशकों ने कुल 2,263 करोड़ रुपए बाज़ार से बाहर निकाल लिये हैं।

रुपए के मूल्यह्रास का प्रभाव

  • निम्नलिखित पर रुपए के मूल्यह्रास का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
    • विदेशों से आयात करने वाले लोगों पर 
    • विदेशों में पढ़ रहे छात्रों पर 
    • विदेश यात्रा कर रहे लोगों पर 
    • विदेशों में निवेश कर रहे लोगों पर 
    • विदेश में चिकित्सा उपचार प्राप्त कर रहे लोगों पर 
  • निम्नलिखित पर रुपए के मूल्यह्रास का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
    • भारत से निर्यात करने वाले लोगों पर 
    • अनिवासी भारतीयों (NRIs) से प्रेषण प्राप्त करने वाले लोगों पर 
    • भारत की यात्रा कर रहे विदेश यात्रियों पर 

मुद्रा का मूल्यह्रास

  • अस्थायी विनिमय दर प्रणाली में मुद्रा के मूल्यह्रास का आशय मुद्रा के मूल्य में गिरावट से है।
    • अस्थायी विनिमय दर प्रणाली में बाज़ार शक्तियाँ (मुद्रा की मांग  और आपूर्ति के आधार पर) मुद्रा का मूल्य निर्धारित करती हैं।
  • रुपए के मूल्यह्रास का अर्थ है कि डॉलर के संबंध में रुपया कम मूल्यवान हो गया है।
    • इसका मतलब है कि रुपया अब पहले की तुलना में कमज़ोर है।
    • उदाहरण के लिये पूर्व में 1 अमेरिकी डॉलर 70 रुपए के बराबर था, किंतु मूल्यह्रास के बाद अब 1 डॉलर 76 रुपए के बराबर हो गया है, इसका अर्थ है कि डॉलर के सापेक्ष रुपए का मूल्यह्रास हुआ है यानी डॉलर खरीदने के लिये अब अधिक रुपए चुकाने होंगे।
  • मुद्रा के मूल्य को प्रभावित करने वाले कारक
    • मुद्रास्फीति
    • ब्याज़ दर 
    • व्यापार घाटा 
    • समष्टि आर्थिक नीतियाँ
    • इक्विटी बाज़ार
  • मुद्रा के मूल्यह्रास के कारण किसी देश की निर्यात गतिविधि बढ़ जाती है, क्योंकि उसके उत्पाद और सेवाएँ तुलनात्मक रूप से सस्ती हो जाती हैं।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक रुपए का समर्थन करने के लिये मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप करता है।
  • रिज़र्व बैंक द्वारा निम्नलिखित तरीकों से मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप किया जाता है:
    • डॉलर की खरीद और बिक्री के माध्यम से वह प्रत्यक्ष रूप से मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप कर सकता है।
      • यदि रिज़र्व बैंक रुपए के मूल्य को बढ़ाना चाहता है, तो वह डॉलर की बिक्री कर सकता है और जब उसे रुपए के मूल्य को नीचे लाने की आवश्यकता होती है, तो वह डॉलर की खरीद करता है।
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति के माध्यम से भी रुपए के मूल्य को प्रभावित कर सकता है।
      • रिज़र्व बैंक रुपए के मूल्य को नियंत्रित करने के लिये रेपो दर (जिस दर पर RBI बैंकों को उधार देता है) और तरलता अनुपात (वह राशि जिसे बैंकों के लिये सरकारी बाॅॅण्ड में निवेश करना आवश्यक होता है) को समायोजित कर सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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