भारतीय अर्थव्यवस्था
जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान
- 10 Jan 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:पहला अग्रिम अनुमान, सकल घरेलू उत्पाद, सकल मूल्यवर्द्धन, मुद्रास्फीति, वास्तविक जीडीपी बनाम नाममात्र जीडीपी मेन्स के लिये:जीडीपी गणना तंत्र |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने चालू वित्त वर्ष (2021-22) के लिये जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान (FAE) जारी किया।
- MoSPI के अनुसार, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वित्त वर्ष 2021-22 में 9.2% की दर से बढ़ेगा।
प्रमुख बिंदु
- जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान:
- FAE पहली बार वर्ष 2016-17 में पेश किया गया था, इसे आमतौर पर जनवरी के पहले सप्ताह के अंत में प्रकाशित किया जाता है।
- ये पहले आधिकारिक अनुमान हैं कि उस वित्तीय वर्ष में जीडीपी कैसे बढ़ने की उम्मीद है।
- इसके अलावा ये "अग्रिम" अनुमान भी हैं क्योंकि ये वित्तीय वर्ष (अप्रैल से मार्च) समाप्त होने से बहुत पहले प्रकाशित होते हैं।
- FAE तीसरी तिमाही या Q3 (अक्तूबर, नवंबर, दिसंबर) की समाप्ति के तुरंत बाद प्रकाशित होता है।
- हालाँकि इसमें औपचारिक Q3 जीडीपी डेटा शामिल नहीं होता है, जो फरवरी के अंत में दूसरे अग्रिम अनुमान (SAE) के हिस्से के रूप में प्रकाशित होता है।
- महत्त्व: FAE का मुख्य महत्व इस तथ्य में निहित है किये जीडीपी अनुमान हैं जिन्हें केंद्रीय वित्त मंत्रालय अगले वित्तीय वर्ष के बजट आवंटन को तय करने के लिये उपयोग करता है।
- बजट बनाने के दृष्टिकोण से नाममात्र जीडीपी और इसकी विकास दर दोनों का अनुमान लगाना महत्त्वपूर्ण है।
- इससे वास्तविक जीडीपी तथा मुद्रास्फीति की गणना में और मदद मिलेगी।
- वास्तविक और सांकेतिक जीडीपी के बीच का अंतर वर्ष में मुद्रास्फीति के स्तर को दर्शाता है।
- वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद = नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद - मुद्रास्फीति दर।
- FAE गणना:
- MoSPI के अनुसार, अग्रिम अनुमानों को संकलित करने का दृष्टिकोण बेंचमार्क-संकेतक पद्धति पर आधारित है।
- इसके अनुसार, पिछले वर्ष (इस मामले में वर्ष 2020-21) हेतु उपलब्ध अनुमान प्रासंगिक संकेतकों का उपयोग करके क्षेत्रों के प्रदर्शन को दर्शाते हैं।
- MoSPI औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के पिछले डेटा, वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री के डेटा आदि जैसे संकेतकों का उपयोग करके क्षेत्र-वार अनुमान प्रस्तुत करता है।
- डेटा की गणना संबंधी मुद्दे: पिछले कुछ वर्षों के दौरान महत्त्वपूर्ण उतार-चढ़ाव के कारण महामारी ने ऐसे कई अनुमानों को प्रभावित किया है।
- यही कारण है कि MoSPI ने सचेत किया है कि ‘ये केवल शुरुआती अनुमान हैं’ तथा बाद में संशोधित हो सकते हैं, जो कि कोविड महामारी की स्थिति, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और सरकार की राजकोषीय प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।
GDP बनाम GVA:
- ‘सकल घरेलू उत्पाद’ (GDP) अर्थव्यवस्था को व्यय (या मांग) पक्ष से मापता करता है- यानी सभी व्यय जोड़कर।
- जीडीपी = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + निर्यात-आयात।
- सकल मूल्य वर्द्धन (Gross Value Added- GVA) आपूर्ति पक्ष से अर्थव्यवस्था की एक तस्वीर प्रदान करता है।
- सकल मूल्य वर्द्धन किसी देश की अर्थव्यवस्था में सभी क्षेत्रों, यथा- प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीय क्षेत्र और तृतीयक क्षेत्र द्वारा किया गया कुल अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन का मौद्रिक मूल्य होता है।
- सकल मूल्यवर्द्धन = GDP + उत्पादों पर सब्सिडी - उत्पादों पर कर।
- वर्ष 2015 में भारत ने राष्ट्रीय खातों के अपने संकलन में बड़े बदलाव करने का निर्णय लिया तथा पूरी प्रक्रिया को वर्ष 2008 के संयुक्त राष्ट्र राष्ट्रीय लेखा प्रणाली (SNA) के अनुरूप करने का निर्णय लिया।
- आधार वर्ष 2004-2005 से 2011-2012 में परिवर्तन।
- फैक्टर कॉस्ट को मार्केट प्राइस से बदलना।
- डेटा पूल का विस्तार।
- जीडीपी अनुमान में वित्तीय निगमों का बेहतर कवरेज़ (जैसे स्टॉक ब्रोकर, स्टॉक एक्सचेंज, परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियांँ, म्यूचुअल फंड और पेंशन फंड)।