आपदा प्रबंधन
भारत में अग्नि सुरक्षा
- 30 May 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC), भारतीय मानक ब्यूरो, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण। मेन्स के लिये:भारत में अग्नि सुरक्षा के संबंध में वर्तमान प्रावधान, भारत में शहरी आग के लिये अग्रणी मुद्दे, भारत में अग्नि सुरक्षा में सुधार के उपाय। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजकोट गेम-सेंटर में अग्नि दुर्घटनाओं ने अग्नि सुरक्षा नियमों और उनके प्रवर्तन के संबंध में चिंताओं को उजागर किया है।
- पुणे के एक बाज़ार में आग लगने और दिल्ली के एक अस्पताल में ऑक्सीजन विस्फोट जैसी घटनाएँ इस संबंध में मज़बूत सुरक्षा जाँच तथा स्पष्ट नियमों की संभावित आवश्यकता को दर्शाती हैं।
भारत में अग्नि सुरक्षा हेतु आदर्श संहिता क्या है?
- अग्नि दुर्घटनाओं पर डेटा:
- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (National Crimes Records Bureau- NCRB) की आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या (Accidental Deaths and Suicides in India- ADSI) रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में 7,500 से अधिक अग्नि दुर्घटनाओं में 7,435 लोगों की मृत्यु हुई।
- अग्नि दुर्घटनाओं के कारण भारी जनहानि हो रही है तथा वर्ष 1997 में हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड और वर्ष 2004 में कुंभकोणम अग्निकांड जैसी पिछली त्रासदियों से कोई सबक नहीं लिया गया है।
- राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC):
- भारत में एक राष्ट्रीय भवन संहिता (National Building Code- NBC) है जो अग्नि सुरक्षा के लिये केंद्रीय मानक के रूप में कार्य करता है।
- इसे भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) द्वारा वर्ष 1970 में प्रकाशित किया गया था तथा अंतिम बार वर्ष 2016 में इसका अद्यतन किया गया था।
- यह भवनों की सामान्य निर्माण आवश्यकताओं, रखरखाव एवं अग्नि सुरक्षा पर विस्तृत दिशानिर्देश प्रदान करता है।
- अग्नि सुरक्षा निर्देशों का उल्लेख NBC के भाग 4 में किया गया है।
- NBC को राज्य सरकारों द्वारा अपने स्थानीय भवन उपनियमों में शामिल करना एक अनिवार्य आवश्यकता है।
- ऐसा इसलिये है क्योंकि अग्निशमन सेवाएँ राज्य का विषय हैं, जिन्हें संविधान की 12वीं अनुसूची में नगरपालिका के कार्यों के रूप में शामिल किया गया है।
- अग्नि की रोकथाम तथा जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकारें ज़िम्मेदार होती हैं।
- भारत में एक राष्ट्रीय भवन संहिता (National Building Code- NBC) है जो अग्नि सुरक्षा के लिये केंद्रीय मानक के रूप में कार्य करता है।
- आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी 'मॉडल बिल्डिंग बाय लॉज 2016' राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने व्यक्तिगत भवन उपनियम तैयार करने के लिये मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- यह कानून अग्नि से बचाव और सुरक्षा आवश्यकताओं हेतु मानदंड भी निर्धारित करता है।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) ने भी घरों, स्कूलों और अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के संबंध में दिशानिर्देश जारी किये हैं।
- NDMA के दिशानिर्देशों में न्यूनतम सुरक्षित स्थान, संरक्षित निकास तंत्र, सीढ़ियाँ एवं महत्त्वपूर्ण निकास अभ्यास (Drills) के निर्देश शामिल हैं।
भारत में NBC द्वारा निर्धारित प्रमुख अग्नि सुरक्षा नियम क्या हैं?
- NBC, अग्नि क्षेत्रों में भवनों के निर्माण पर सीमांकन और प्रतिबंधों को निर्दिष्ट करता है:
- आवासीय क्षेत्र, शैक्षणिक और संस्थागत इमारतें अग्नि क्षेत्र 1 (Fire Zone 1) के अंतर्गत आती हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे औद्योगिक एवं खतरनाक संरचनाओं (जैसे कारखाने, गोदाम, डेटा केंद्र, विद्युत् और मरम्मत सुविधाएँ) के साथ सह-अस्तित्व में न हों।
- NBC निर्माण के लिये गैर-ज्वलनशील सामग्री के उपयोग को अनिवार्य करता है, जिसमें सीढ़ियों की आंतरिक दीवारों के लिये न्यूनतम 120 मिनट की अग्नि प्रतिरोध रेटिंग शामिल है।
- इसमें अग्नि के प्रसार को रोकने के लिये भवन की अधिकतम ऊँचाई, फर्श के क्षेत्र का अनुपात और दीवारों एवं फर्श की गुणवत्ता से संबंधित प्रावधानों की आवश्यकताओं को भी रेखांकित किया गया है।
- विद्युत प्रतिष्ठानों में अग्निरोधी तार और केबलिंग होनी चाहिये, उच्च, मध्यम व निम्न वोल्टेज के तार अलग-अलग शाफ्ट/नलिकाओं (Shafts/Conduits) में लगे होने चाहिये तथा अग्निरोधी सामग्रियों से ढके होने चाहिये।
- स्टील समेत सभी धातुओं को संरचनात्मक रूप से भूसंपर्कन प्रणाली से उचित रूप से जोड़ा जाना चाहिये।
- संहिता में आपातकालीन विद्युत आपूर्ति वितरण प्रणाली की आवश्यकता है, जिसमें आपातकालीन स्थिति के लिये निकास संकेत, आपातकालीन प्रकाश व्यवस्था, अग्नि अलार्म प्रणाली और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली आदि शामिल हैं।
- इसमें सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिये निकास पहुँच, निकास मार्ग, निकास प्रकाश व्यवस्था और निकास संकेत की आवश्यकताओं को भी निर्दिष्ट किया गया है।
- संहिता में स्वचालित अग्नि पहचान और डाउन-कमर पाइपलाइन (Down-Comer Pipelines), ड्राई राइज़र पाइपलाइन, स्वचालित स्प्रिंकलर तथा वाटर स्प्रे जैसी प्रौद्योगिकियों को शामिल करने की सिफारिश की गई है।
अग्नि सुरक्षा पर NDMA के दिशानिर्देश:
- क्या करना चाहिये:
- तैयारी करेंः अग्नि से बचने की योजना बनाएँ और इसका नियमित रूप से अभ्यास करें। सुनिश्चित करें कि सभी निकास मार्ग स्पष्ट एवं क्रियाशील हों।
- चेतावनी: आग लगने की स्थिति में शांत रहें और अलार्म बजाएँ। इमारत में सभी को सचेत करें और सामान से ज़्यादा स्वयं की निकासी को प्राथमिकता दें।
- निकास: निर्धारित निकास के मार्गों और सीढ़ियों का प्रयोग करें। आग लगने के दौरान कभी भी लिफ्ट का प्रयोग न करें।
- क्रॉल लोः धुएँ से बचने के लिये ज़मीन पर नीचे ही रहें।
- क्या नहीं करना चाहिये:
- घबराना: शांत रहें और स्पष्ट रूप से सोचें। घबराने से आपके उचित निर्णय लेने की क्षमता में बाधा आ सकती है।
- इमारत में पुनः प्रवेश: कभी भी किसी भी कारण से जलती हुई इमारत में वापस नहीं जाना चाहिये।
- लिफ्ट का इस्तेमाल: अग्नि के दौरान लिफ्ट खराब हो सकती है, जिससे आप इमारत के अंदर फंँस सकते हैं।
- बिना सावधानी के दरवाज़े/खिड़कियाँ खोलना: दरवाज़े/खिड़कियाँ खोलने से अग्नि और भड़क सकती है। ऐसा तभी करना चाहिये जब आप उन दरवाज़ों से सुरक्षित बच सकें।
भारत में अग्नि सुरक्षा नियमों के अनुपालन में क्या चुनौतियाँ हैं?
- अग्नि सुरक्षा नियमों की अनदेखी:
- यद्यपि राष्ट्रीय दिशानिर्देश (राष्ट्रीय भवन संहिता) मौज़ूद हैं, लेकिन वे अनिवार्य नहीं हैं, जिसके कारण विभिन्न स्थानों पर उनका क्रियान्वयन असंगत है।
- यहाँ तक कि अनिवार्य प्रमाणन में भी खामियाँ हैं, क्योंकि संहिता अग्निशमन सेवाओं को व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण छूट देने की अनुमति देती है।
- जैसे: राजकोट की दुखद दुर्घटना में इमारत का निर्माण धातु की चादरों का उपयोग करके किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप एक बड़ी संरचना का निर्माण किया गया। मालिकों के पास अग्निशमन विभाग से प्राप्त आवश्यक NOC और संपत्ति पर आवश्यक अग्निशमन आपूर्ति भी नहीं थी तथा परिसर में आवश्यक अग्निशमन उपकरणों का अभाव था।
- यद्यपि राष्ट्रीय दिशानिर्देश (राष्ट्रीय भवन संहिता) मौज़ूद हैं, लेकिन वे अनिवार्य नहीं हैं, जिसके कारण विभिन्न स्थानों पर उनका क्रियान्वयन असंगत है।
- अग्नि सुरक्षा ऑडिट का निम्न उपयोग:
- अग्नि सुरक्षा मानदंडों के लिये ज़िम्मेदार प्राधिकारियों के पास सामान्यतः कर्मचारियों का अभाव होता है तथा वे शायद ही कभी ऑडिट करते हैं, जिससे आग का खतरा बना रहता है।
- अधिकारियों में तैयारी का अभाव और उदासीनता:
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (National Institute of Disaster Management- NIDM) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट में अधिकारियों की निष्क्रियता और पिछली आग दुर्घटनाओं से सबक न लेने के लिये उनकी आलोचना की गई।
- NIDM ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भवन निर्माण संहिताओं का पालन करने और प्रभावी शहरी नियोजन को लागू करने से इस त्रासदी को निष्प्रभावी किया जा सकता है तथा लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
- NIDM ने आपदा तैयारी को बढ़ाने के लिये मज़बूत समुदायों को बढ़ावा देने के महत्त्व पर भी ज़ोर दिया।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (National Institute of Disaster Management- NIDM) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट में अधिकारियों की निष्क्रियता और पिछली आग दुर्घटनाओं से सबक न लेने के लिये उनकी आलोचना की गई।
आगे की राह
- विधायी सुधार और प्रवर्तन:
- अनिवार्य अग्नि सुरक्षा संहिता: सभी राज्यों और स्थानीय प्राधिकारियों के लिये बाध्यकारी एक समान तथा अनिवार्य राष्ट्रीय अग्नि सुरक्षा संहिता लागू करने की आवश्यकता है।
- सभी भवनों के लिये अनिवार्य अग्नि सुरक्षा ऑडिट की प्रणाली लागू करना (NBC और NDMA के अनुसार) तथा अनुपालन न करने पर कठोर दंड का प्रावधान करना आवश्यक है।
- अग्निशमन क्षमताओं को बढ़ावा देना:
- अग्निशमन सेवाओं का आधुनिकीकरण: राज्य सरकारों को अग्निशमन उपकरणों, अग्निशमन कर्मियों के प्रशिक्षण और समग्र अग्निशमन सेवा क्षमता को उन्नत करने की दिशा में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- समुदायों को सशक्त बनाना:
- जन जागरूकता अभियान: नागरिकों को अग्नि सुरक्षा उपायों, निकासी प्रक्रियाओं और भवन संहिता अनुपालन के महत्त्व के संबंध में शिक्षित करने के लिये व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है।
- अल्प आयु से ही अग्नि सुरक्षा जागरूकता की संस्कृति विकसित करने के लिये स्कूल के पाठ्यक्रम में अग्नि सुरक्षा शिक्षा को शामिल करना अनिवार्य है। इससे समुदाय आपदा जोखिम न्यूनीकरण में सक्रिय भागीदारी निभाने के लिये सशक्त होंगे।
- अन्य उपाय:
- मॉक ड्रिल: अग्निशमन सेवाओं को नियमित रूप से अग्नि सुरक्षा अभ्यास आयोजित करने चाहिये ताकि लोगों को ये ज्ञान हो कि ऐसी त्रासदी की स्थिति में क्या करना आवश्यक है।
- स्व-उपकरण वाली सामग्री से बने फर्नीचर का उपयोग: आग प्रतिरोधी या स्व-उपकरण वाली सामग्री से बने फर्नीचर, कालीन और दीवार कवरिंग का उपयोग करना चाहिये, जो आग के प्रसार को धीमा कर सकती हैं।
- उन्नत अग्नि शमन प्रणालियाँ: स्वचालित स्प्रिंकलर और धुँध प्रौद्योगिकियों जैसी उन्नत
- अग्निशमन प्रणालियों की स्थापना को प्रोत्साहित करना।
- धुँध को रोकने के लिये उन्नत उपकरणों की स्थापना: इमारतों में कुछ विशेष उन्नत उपकरणों को स्थापित करने की आवश्यकता है, जैसे कि आग से उत्पन्न धुँध को रोकने वाले उपकरण, ताकि व्यक्तियों का दम घुटने से बचाया जा सके।