कृषि
MSP को वैधानिक बनाने की किसानों की मांग
- 04 Jan 2025
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प्रिलिम्स के लिये:भारत का सर्वोच्च न्यायालय, न्यूनतम समर्थन मूल्य, आर्थिक उदारीकरण, विश्व व्यापार संगठन, खाद्य मुद्रास्फीति, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मेन्स के लिये:भारत में कृषि नीतियाँ, कृषि से संबंधित आर्थिक चुनौतियाँ, किसानों का विरोध, कृषि विविधीकरण एवं स्थिरता |
स्रोत: लाइवमिंट
चर्चा में क्यों?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत न करने एवं उनकी शिकायतों का समाधान न करने के लिये केंद्र सरकार की आलोचना की गई।
- न्यायालय ने केंद्र से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिये विधिक गारंटी की मांग वाली नई याचिका पर जवाब देते हुए किसानों की मांगों पर विचार करने का आग्रह किया।
- यह घटनाक्रम पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसान समूहों द्वारा लंबे समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन से संबंधित है।
MSP गारंटी से संबंधित याचिका क्या है?
- याचिका: इसमें कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद वर्ष 2021 के किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान किए गए वादों के आधार पर फसलों पर MSP हेतु विधिक गारंटी की मांग की गई।
- इस याचिका में मांग की गई है कि कृषि उत्पादकों के लिये स्थिर आय सुनिश्चित करने के क्रम में MSP को विधिक अधिकार के रूप में मान्यता दी जानी चाहिये।
- सर्वोच्च न्यायालय का दृष्टिकोण: सर्वोच्च न्यायालय ने कोई प्रत्यक्ष आदेश जारी न करते हुए, इस मुद्दे को सुलझाने के लिये उच्चाधिकार प्राप्त समिति का उपयोग करने का सुझाव दिया तथा इस संदर्भ में केंद्र से तुरंत जवाब देने को कहा।
- इसमें सर्वोच्च न्यायालय की भागीदारी से चल रहे विरोध प्रदर्शनों को विधिक बल मिलने के साथ अधिक व्यवस्थित तथा विधिक समाधान की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है।
भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन का क्या कारण है?
- किसानों के विरोध प्रदर्शन का कारण: यह विरोध प्रदर्शन भारत के वर्ष 1991 के आर्थिक उदारीकरण से संबंधित लंबे समय से चली आ रही शिकायतों से प्रेरित है, जिसमें कृषि की तुलना में औद्योगीकरण को प्राथमिकता दी गई थी।
- इससे ग्रामीण क्षेत्रों (जहाँ किसान कम फसल लाभ एवं बढ़ती लागत का सामना कर रहे हैं) में संकट बढ़ रहा है।
- यद्यपि सरकार कई फसलों के लिये MSP निर्धारित करती है लेकिन इसका क्रियान्वयन सीमित है तथा इसके तहत खरीद ज्यादातर चावल एवं गेहूँ की ही होती है।
- किसान (विशेषकर गैर-प्रमुख फसल क्षेत्रों के संदर्भ में)अक्सर उत्पादन लागत से कम कीमत पर फसल बेचने को मजबूर होते हैं।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के समझौते (जिन्हें प्रायः मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने वाले समझौतों के रूप में देखा जाता है), व्यापार प्रतिबंध लगाने या किसानों को सब्सिडी प्रदान करने की भारत की क्षमता को सीमित करते हैं।
- प्रदर्शनकारियों के अनुसार, इससे किसानों के लिये खरीद नीतियों एवं सब्सिडी को नियंत्रित करने की भारत की क्षमता में बाधा उत्पन्न हुई है।
- यद्यपि सरकार कई फसलों के लिये MSP निर्धारित करती है लेकिन इसका क्रियान्वयन सीमित है तथा इसके तहत खरीद ज्यादातर चावल एवं गेहूँ की ही होती है।
- किसानों की प्रमुख मांगें: प्राथमिक मांग एक ऐसे कानून की है जो सभी फसलों के लिये MSP की गारंटी देता है।
- यह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें 'C2+50%' फार्मूले का उपयोग करते हुए उत्पादन लागत पर 50% लाभ मार्जिन की सिफारिश की गई है।
- व्यापक लागत (C2) में सभी भुगतान किये गए व्यय, अवैतनिक पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य, किराया, तथा स्वामित्व वाली भूमि और स्थायी पूंजी पर छोड़ा गया ब्याज शामिल है।
- जबकि MSP वर्तमान में A2+FL से 50% अधिक निर्धारित है, जिसमें भुगतान किये गए व्यय और अवैतनिक पारिवारिक श्रम शामिल हैं।
- अन्य प्रमुख मांगें: किसानों और मजदूरों के लिये पूर्ण ऋण माफी। किसानों के लिये मुआवज़ा और पेंशन, विशेष रूप से विरोध प्रदर्शन या कृषि संकट से प्रभावित किसानों के लिये।
- कृषि श्रमिकों के लिये बेहतर कार्य स्थितियाँ और मज़दूरी।
- भूमि और जल पर स्वदेशी लोगों के अधिकारों का संरक्षण।
- यह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें 'C2+50%' फार्मूले का उपयोग करते हुए उत्पादन लागत पर 50% लाभ मार्जिन की सिफारिश की गई है।
- सरकार का दृष्टिकोण: केंद्र सरकार ने बार-बार कहा है कि MSP के लिये कानूनी गारंटी देना अव्यवहारिक होगा, क्योंकि इसमें लॉजिस्टिक चुनौतियाँ और खरीद की उच्च लागत शामिल है।
- सरकार ऐसी नीति के आर्थिक प्रभावों को लेकर भी चिंतित है, जिसमें खाद्य मुद्रास्फीति और बजटीय बाधाएँ शामिल हैं।
MSP के वैधता के पक्ष और विपक्ष में तर्क क्या हैं?
- MSP के वैधता के पक्ष में तर्क:
- किसानों की परेशानी का समाधान: MSP को वैध बनाने से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी फसलों के लिये उचित मूल्य मिले, बाज़ार में उतार-चढ़ाव से होने वाले कम लाभ की समस्या दूर होगी तथा उत्पादन लागत को कवर करके और किसानों के लिये उचित लाभ की गारंटी देकर वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
- भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा 15% से नीचे गिर गया है, तथा औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में वृद्धि के बावजूद किसानों की आय में न्यूनतम वृद्धि हुई है।
- MSP को वैधानिक बनाने से उचित मूल्य सुनिश्चित करने और कृषि विकास को समर्थन देकर इस अंतर को कम किया जा सकता है।
- भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा 15% से नीचे गिर गया है, तथा औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में वृद्धि के बावजूद किसानों की आय में न्यूनतम वृद्धि हुई है।
- औपचारिक बाज़ारों को बढ़ावा देना: MSP को वैध बनाने से औपचारिक बाज़ार लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा, अनौपचारिक बाज़ारों पर निर्भरता कम होगी, तथा डिजिटल कृषि के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाने के सरकार के लक्ष्य के साथ तालमेल हो सकेगा।
- स्थिर बाज़ार मूल्य: MSP को वैध बनाने से कृषि बाज़ार में मूल्य अस्थिरता कम हो सकती है, जिससे कृषि आय और उपभोक्ता मूल्य दोनों स्थिर हो सकते हैं।
- लागत गणना विधियाँ: लागत गणना की वर्तमान विधियाँ प्रायः कृषि की वास्तविक लागत को दर्शाने में विफल रहती हैं, जिसके परिणामस्वरूप कीमतें किसानों के व्यय से भी कम हो जाती हैं।
- अधिक सटीक मूल्य निर्धारण मॉडल, जैसे कि C2+50% पद्धति, कृषि मूल्यों को अन्य क्षेत्रों के साथ बेहतर ढंग से संरेखित कर सकती है।
- किसानों की परेशानी का समाधान: MSP को वैध बनाने से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी फसलों के लिये उचित मूल्य मिले, बाज़ार में उतार-चढ़ाव से होने वाले कम लाभ की समस्या दूर होगी तथा उत्पादन लागत को कवर करके और किसानों के लिये उचित लाभ की गारंटी देकर वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
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- कृषि निवेश: MSP को वैध बनाने से किसानों को पूर्वानुमानित आय प्राप्त होगी, कृषि में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा तथा सतत् पद्धतियों और हरित प्रौद्योगिकियों के माध्यम से उत्पादकता में सुधार होगा।
- MSP के वैधता के विपक्ष तर्क:
- तार्किक चुनौतियाँ: देश भर में सभी फसलों पर MSP लागू करना अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे के कारण कठिन है, जैसे कि मंडी प्रणाली, जो कई राज्यों में क्रियाशील नहीं है।
- सरकार के लिये उच्च लागत: सभी फसलों को MSP पर खरीदने के लिये अत्यधिक वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी, जिससे बजटीय बाधाएँ और संभावित आर्थिक तनाव बढ़ेगा।
- खाद्य मुद्रास्फीति: MSP के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे उपभोक्ता प्रभावित होंगे, विशेषकर यदि सरकार को सभी फसलों को MSP पर खरीदने के लिये बाध्य किया जाए।
- बाज़ार में बाधाएँ: MSP का सांविधिकरण कृषि बाज़ारों में आपूर्ति और मांग की वर्तमान गतिशीलता को बाधित कर सकता है, जिससे अकुशलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- विश्व व्यापार संगठन की बाधाएँ: विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौते सरकार की सब्सिडी प्रदान करने या कृषि व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की क्षमता को सीमित करते हैं, जिससे MSP के सांविधिकरण की प्रभावशीलता कमज़ोर हो सकती है।
देश भर में MSP को वैध बनाने के विकल्प क्या हो सकते हैं?
- लक्षित दृष्टिकोण: फसलों के एक छोटे प्रतिशत के लिये MSP के सांविधिकरण से खरीद प्रणाली को प्रभावित किये बिना कीमतों को स्थिर किया जा सकता है।
- इसे प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) द्वारा समर्थित किया जा सकता है, जो MSP और मूल्य न्यूनता भुगतान के माध्यम से किसानों के लिये उचित मूल्य सुनिश्चित करता है।
- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों ने खरीद प्रणालियों का सफलतापूर्वक विस्तार किया है।
- क्षेत्रीय कृषि चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिये, राष्ट्रव्यापी स्तर पर MSP को वैध बनाने के बजाय, स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप राज्य-विशिष्ट कानून बनाने पर विचार किया जा सकता है।
- सहकारिता की भूमिका: एक विकल्प के रूप में सहकारी समितियों और FPO को बढ़ावा देना, जो दूध उत्पादन जैसे कुछ क्षेत्रों में सफल रहे हैं।
- सहायक बुनियादी ढाँचा: सहकारी समितियों और FPO के लिये एक मज़बूत कानूनी ढाँचा, आधुनिक भंडारण सुविधाएँ एवं बेहतर बुनियादी ढाँचा आवश्यक है।
- प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (PMKSY) बुनियादी ढाँचे को बढ़ाकर तथा फसल-उपरान्त होने वाले नुकसान को कम करके इसकी पूर्ति कर सकती है।
- अनुबंध खेती: किसानों और निगमों या सहकारी समितियों के बीच अनुबंधों को प्रोत्साहित करना, जहाँ किसान अपनी उपज के लिये गारंटीकृत मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।
- फसल बीमा योजनाएँ: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) जैसी पहलों के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं या बाज़ार में उतार-चढ़ाव के कारण होने वाले नुकसान से किसानों को बचाने के लिये फसल बीमा का विस्तार और सुधार करना।
- विविधीकरण: किसानों को अपनी फसलों और आय स्रोतों में विविधता लाने के लिये प्रोत्साहित करना, जिससे कुछ फसलों पर उनकी निर्भरता कम हो सके, जिससे बाज़ार में अस्थिरता आती हो।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में सभी फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैध बनाने के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। क्या इसे कृषि संकट को दूर करने का एक स्थायी समाधान माना जाना चाहिये? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. खाद्यान्न वितरण प्रणाली को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये सरकार द्वारा कौन-से सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं? (2019) |