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भारतीय अर्थव्यवस्था

सरकारी प्रतिभूतियों के लाभांश में गिरावट

  • 29 May 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सरकारी प्रतिभूति (जी-सेक), ऋण घटक, बॉण्ड यील्ड

मेन्स के लिये:

जी-सेक की अवधारणा और उनका महत्त्व, वैकल्पिक निवेश विकल्पों के साथ जी-सेक की तुलना 

चर्चा में क्यों?

भारत में 10 वर्ष की सरकारी प्रतिभूति (जी-सेक) बेंचमार्क के लाभांश/यील्ड में गिरावट देखी गई है, जिससे खुदरा निवेशकों के समक्ष उनकी निवेश रणनीति के संदर्भ में चुनौती उत्पन्न हो गई है।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने खुदरा निवेशकों हेतु सरकारी प्रतिभूति बाज़ार की सुविधा उपलब्ध कराई है, हालाँकि उनकी भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही है।

सरकारी प्रतिभूतियों के लाभांश में गिरावट का कारण: 

  • ऋण म्युचुअल फंड कराधान में बदलाव के बाद मार्च 2023 की शुरुआत में बेंचमार्क 10-वर्षीय सरकारी प्रतिभूति (G-sec) का लाभांश 7.4% से गिरकर 6.9% (मई 2023) हो गया है। यह अभी लगभग 6.96-6.99% की दर से कारोबार कर रहा है।
    • ऋण म्युचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की गणना में इंडेक्सेशन के लाभ को हटा दिया गया है।
  • ऋण म्युचुअल फंड कराधान में बदलाव, रेपो दर पर RBI के निर्णय और मुद्रास्फीति में गिरावट जैसे विभिन्न कारकों ने सरकारी प्रतिभूति लाभांश में गिरावट दर्ज की है।

जी-सेक में खुदरा निवेशकों की कम भागीदारी का कारण:

  • निवेशक मार्गदर्शन का अभाव: 
    • खुदरा निवेशकों को सरकारी बॉण्ड में निवेश करना जटिल लगता है, साथ ही प्रक्रिया के परिचालन के लिये प्रायः बिचौलियों के माध्यम से मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
  • सीमित तरलता: 
    • जी-सेक बाज़ार में तरलता की कमी है, जिससे खुदरा निवेशकों, जब वे अपनी प्रतिभूतियों को बेचना चाहते हैं, के लिये द्वितीयक बाज़ार में खरीदार खोजना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
      • तरलता की इस कमी के परिणामस्वरूप निवेशक अपने निवेश को फँसा हुआ महसूस करते हैं। 
  • निवेश में जटिलता: 
    • खुदरा निवेशक, विशेष रूप से असूचित प्रतिभागियों को सरकारी प्रतिभूति की निवेश प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण लग सकती है और सावधि जमा जैसे अधिक सरलीकृत निवेश विकल्प पसंद आ सकते हैं।
      • RBI रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म सूचित निवेशकों के लिये फायदेमंद है, लेकिन यह उन असूचित प्रतिभागियों के लिये नहीं है, जिन्हें सरल निवेश प्रक्रिया की आवश्यकता होती है।
  • कम व्यापार पूंजी:  
    • सरकारी प्रतिभूति के लिये द्वितीयक बाज़ार में व्यापार की मात्रा अपेक्षाकृत कम रही है, जिस कारण खुदरा निवेशकों का आकर्षण कम हो गया है। 
  • वैकल्पिक निवेश विकल्प:  

सरकारी प्रतिभूतियाँ:

  • परिचय: 
    • सरकारी प्रतिभूति केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी एक व्यापार योग्य साधन है।
    • सरकारी प्रतिभूति एक प्रकार का ऋण साधन है जो सरकार द्वारा अपने राजकोषीय घाटे को वित्तपोषित करने के लिये जनता से धन उधार लेने के लिये जारी किया जाता है। 
      • ऋणकर्त्ता एक वित्तीय साधन है जो जारीकर्त्ता द्वारा एक निर्दिष्ट तिथि पर धारक को एक निश्चित राशि का भुगतान करने के लिये एक संविदात्मक दायित्व का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे मूलधन या अंकित मूल्य के रूप में जाना जाता है।
    • यह सरकार के ऋण दायित्व को स्वीकार करता है। ऐसी प्रतिभूतियाँ अल्पावधि (आमतौर पर राजकोषीय बिल कहलाती हैं, एक वर्ष से कम की मूल परिपक्वता के साथ- वर्तमान में तीन अवधियों में जारी की जाती हैं, अर्थात् 91-दिन, 182 दिन और 364 दिन) या दीर्घावधि (जिसे आमतौर पर सरकारी बॉण्ड या दिनांकित कहा जाता है, एक वर्ष या उससे अधिक की मूल परिपक्वता वाली प्रतिभूतियाँ) की होती हैं।
    • भारत में केंद्र सरकार राजकोषीय बिल और बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ दोनों जारी करती है, जबकि राज्य सरकार केवल बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ जारी करती है, जिन्हें राज्य विकास ऋण (SDL) कहा जाता है।
    • जी-सेक में व्यावहारिक रूप से डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं होता है और इसलिये जोखिम मुक्त गिल्ट-एज्ड उपकरण कहलाते हैं।
      • गिल्ट-एज सिक्योरिटीज़, उच्च-श्रेणी के निवेश  बॉण्ड हैं जो सरकारों और बड़े निगमों द्वारा धन उधार लेने के साधन के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं।
    • RBI, धन की आपूर्ति की स्थिति को समायोजित करने के लिये जी-सेक की बिक्री या खरीद के लिये ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs) आयोजित करता है।
      • RBI, एक प्रक्रिया के अंतर्गत तरलता को हटाने के लिये जी-सेक बेचता है और एक अन्य प्रक्रिया के अंतर्गत तरलता को बढ़ाने के लिये जी-सेक खरीदता है। 
  •  बॉण्ड लाभांश: 
    •  बॉण्ड लाभांश वह रिटर्न है, जो एक निवेशक को  बॉण्ड पर मिलता है। उपज की गणना के लिये गणितीय सूत्र  बॉण्ड के वर्तमान बाज़ार मूल्य से विभाजित वार्षिक कूपन दर है। मूल्य और लाभांश विपरीत रूप से संबंधित हैं, जैसे-जैसे एक  बॉण्ड की कीमत बढ़ती है, इसके विपरीत ही इसका लाभांश घट जाता है।
  •  बॉण्ड:  
    • यह धन उधार लेने का एक साधन है। किसी देश की सरकार द्वारा या किसी कंपनी द्वारा धन एकत्रित करने के लिये एक  बॉण्ड जारी किया जा सकता है।
  • कूपन दर: 
    • यह  बॉण्ड जारी करने वालों द्वारा  बॉण्ड के अंकित मूल्य पर भुगतान की जाने वाली ब्याज दर है।

जी-सेक के प्रकार:

  • ट्रेज़री बिल(T-bills): 
    • ट्रेज़री बिल शून्य कूपन प्रतिभूतियाँ हैं, इस कारण कोई ब्याज प्रदान नहीं करते हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें छूट पर जारी किया जाता है और परिपक्वव होने पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है।
    • वर्ष 2010 में भारत सरकार ने RBI के परामर्श से भारत सरकार के नकदी प्रवाह में अस्थायी असंतुलन को दूर करने के लिये CMBs के रूप में जाना जाने वाला एक नया अल्पकालिक साधन प्रारंभ किया। CMBs में ट्रेज़री बिल सामान्य प्रकृत्ति का होता है लेकिन यह 91 दिनों से कम की परिपक्वता अवधि के लिये जारी किया जाता है।
  • दिनाँकित जी-सेक: 
    • दिनाँकित जी-सेक, प्रतिभूतियाँ हैं जो एक निश्चित या फ्लोटिंग कूपन (ब्याज दर) रखती हैं, जिसका भुगतान अंकित मूल्य पर अर्द्ध-वार्षिक आधार पर किया जाता है। सामान्यतः दिनाँकित प्रतिभूतियों की अवधि 5 वर्ष से 40 वर्ष तक होती है।
  • राज्य विकास ऋण (SDLs): 
    • राज्य सरकारें भी बाज़ार से ऋण लेती हैं जिन्हें SDL कहा जाता है। SDL, केंद्र सरकार द्वारा जारी दिनांकित प्रतिभूतियों के लिये आयोजित नीलामी के समान सामान्य नीलामी के  माध्यम से जारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ हैं।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, ‘खुला बाज़ार प्रचालन’ किसे निर्दिष्ट करता है? (2013)

(a) अनुसूचित बैंकों द्वारा RBI से ऋण लेना
(b) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उद्योग और व्यापार क्षेत्रों को ऋण देना
(c) RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय और विक्रय
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (c) 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत सरकार की प्रतिभूतियों का प्रबंधन और प्रयोजन करता है किंतु किसी राज्य सरकार की प्रतिभूतियों का नहीं।
  2. भारत सरकार कोष-पत्र (ट्रेज़री बिल) जारी करती है और राज्य सरकारें कोई कोष-पत्र जारी नहीं करतीं।
  3. कोष-पत्र ऑफर अपने सममूल्य से बट्टे पर जारी किये जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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