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भारतीय राजनीति

ओबीसी उप-वर्गीकरण आयोग का विस्तार

  • 07 Jul 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग।

मेन्स के लिये:

उप-वर्गीकरण आयोग और उसके उद्देश्य।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उप-वर्गीकरण की जांँच करने और 31 जनवरी, 2023 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये 13वांँ विस्तार दिया है।

  • आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की प्रारंभिक समय-सीमा 12 सप्ताह थी (2 जनवरी, 2018 तक)।

प्रमुख बिंदु

  • आयोग:
    • 2 अक्तूबर, 2017 को राष्ट्रपति के अनुमोदन के उपरांत संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत गठित इस आयोग को रोहिणी आयोग (Rohini Commission) भी कहा जाता है।
    • इसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण और उनके लिये आरक्षित लाभों के समान वितरण का काम सौंपा गया था।
      • वर्ष 2015 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes- NCBC) ने सिफारिश की थी कि OBC को अत्यंत पिछड़े वर्गों, अधिक पिछड़े वर्गों और पिछड़े वर्गों के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिये।
        • NCBC के पास सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के संबंध में शिकायतों व कल्याणकारी उपायों की जाँच करने का अधिकार है।
  • आयोग के विचारार्थ विषय:
    • केंद्रीय OBC सूची में विभिन्न जातियों के बीच आरक्षण लाभों के असमान वितरण की जाँच करना।
    • अन्य पिछड़ा वर्गों के मध्य उप-वर्गीकरण के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण में तंत्र, मानदंड  तैयार करना।
    • व्यापक डेटा कवरेज हेतु संबंधित जातियों/समुदायों/उप-जातियों/समानार्थक की पहचान करने का प्रयास करना।
    • किसी भी प्रकार के दोहराव, अस्पष्टता, विसंगतियों और वर्तनी या प्रतिलेखन की त्रुटियों का अध्ययन एवं सुधार की सिफारिश करना।
  • वर्तमान प्रगति:
    • आयोग राज्य सरकारों, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों, सामुदायिक संघों आदि के प्रतिनिधियों के मध्य परस्पर समन्वय करता है। इसके अलावा उच्च शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों में भर्ती होने वाले OBC के जाति-आधारित आँकड़ों का संकलन करता है।
    • वर्ष 2021 में आयोग ने ओबीसी को चार उपश्रेणियों संख्या 1, 2, 3 और 4 में विभाजित करने तथा 27% आरक्षण को क्रमशः 2, 6, 9 और 10% में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया।
    • इसने सभी ओबीसी रिकॉर्ड के पूर्ण डिजिटलीकरण और ओबीसी प्रमाण पत्र जारी करने की एक मानकीकृत प्रणाली की भी सिफारिश की।

ओबीसी आरक्षण की स्थिति:

  • वर्ष 1953 में स्थापित कालेलकर आयोग, राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के अलावा अन्य पिछड़े वर्गों की पहचान करने वाला पहला आयोग था।
  • मंडल आयोग की रिपोर्ट, 1980 में ओबीसी जनसंख्या 52% होने का अनुमान लगाया गया था और 1,257 समुदायों को पिछड़े के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
    • इसने ओबीसी को शामिल करने के लिये मौज़ूदा कोटा, जो केवल एससी/एसटी के लिये था, को 22.5% से बढ़ाकर 49.5% करने की सिफारिश की।
  • केंद्र सरकार ने OBC [अनुच्छेद 16 (4)] के लिये यूनियन सिविल पदों और सेवाओं में 27% सीटें आरक्षित की हैं। कोटा बाद में केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों [अनुच्छेद 15 (4)] में लागू किया गया।
    • वर्ष 2008 में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को OBC के बीच क्रीमी लेयर (उन्नत वर्ग) को बाहर करने का निर्देश दिया।
  • 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जो पहले सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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