लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

शासन व्यवस्था

OBC वर्ग के तहत उप-वर्गीकरण से जुड़े आयोग के कार्यकाल में विस्तार

  • 22 Jul 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

रोहिणी आयोग, अनुच्छेद 340, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण

मेन्स के लिये:

अन्य पिछड़ा वर्ग के भीतर उप-वर्गीकरण से जुड़े मुद्दे

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के भीतर उप-वर्गीकरण से जुड़े मुद्दों पर गौर करने के लये गठित आयोग के कार्यकाल को 31 जनवरी, 2022 तक विस्तारित करने को मंज़ूरी दे दी है।

  • यह आयोग का ग्यारहवाँ विस्तार है, जिसे शुरुआत में मार्च 2018 में अपनी रिपोर्ट जमा करनी थी।

प्रमुख बिंदु

विस्तार के बारे में:

  • यह आयोग को विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के उप-वर्गीकरण से जुड़े मुद्दों पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में सक्षम बनाएगा।
  • इसके उद्देश्यों में OBC समूह के भीतर उप-वर्गीकरण के लिये एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से एक प्रक्रिया, मानदंड, नियम और पैरामीटर तैयार करना तथा OBC की केंद्रीय सूची में संबंधित जातियों या समुदायों या उप-जातियों या समानार्थक शब्दों की पहचान करना एवं उन्हें उनके संबंधित उप-श्रेणियों में वर्गीकृत करना शामिल है।

आयोग:

  • 2 अक्तूबर, 2017 को राष्ट्रपति के अनुमोदन के उपरांत संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत गठित इस आयोग को रोहिणी आयोग (Rohini Commission) भी कहा जाता है।
  • इसका गठन केंद्रीय OBC सूची में 5000-विषम जातियों को उप-वर्गीकृत करने के कार्य को पूरा करने के लिये किया गया था ताकि केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अवसरों का अधिक समान वितरण सुनिश्चित किया जा सके।
  • वर्ष 2015 में, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes- NCBC) ने सिफारिश की थी कि OBC को अत्यंत पिछड़े वर्गों, अधिक पिछड़े वर्गों और पिछड़े वर्गों के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिये।
    • NCBC को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के संबंध में शिकायतों तथा कल्याणकारी उपायों की जाँच करने का अधिकार है।

अब तक किया गया कार्य:

  • आयोग ने अब तक राज्य सरकारों, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों, सामुदायिक संघों आदि के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है। इसके अलावा आयोग ने उच्च शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों में भर्ती होने वाले OBC छात्रों के जाति-वार डेटा प्राप्त कर उसका विश्लेषण किया है।
  • इस वर्ष की शुरुआत में आयोग ने OBC को चार उप-श्रेणियों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा, जिनकी संख्या 1, 2, 3 और 4 थी और 27% आरक्षण को क्रमशः 2%, 6%, 9% और 10% में विभाजित किया गया था।
  • इसके अलावा आयोग ने सभी OBC रिकॉर्ड के पूर्ण डिजिटलीकरण और OBC प्रमाण पत्र जारी करने की एक मानकीकृत प्रणाली की भी सिफारिश की है।

संभावित परिणाम

  • आयोग की सिफारिशों से OBC की मौजूदा सूची में उन समुदायों को लाभ मिल सकता है, जो अब तक केंद्र सरकार के पदों पर नियुक्ति और केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिये OBC आरक्षण योजना का कोई बड़ा लाभ प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 340

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 340 के अनुसार, भारतीय राष्ट्रपति सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं की जाँच करने के लिये तथा उनकी दशा में सुधार करने से संबंधित सिफारिश प्रदान के लिये एक आदेश के माध्यम से आयोग की नियुक्ति कर सकते हैं।
  • इस प्रकार नियुक्त आयोग राष्ट्रपति को निर्दिष्ट मामलों की जाँच करेगा और राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट पेश करेगा जिसमें उनके द्वारा पाए गए तथ्यों को निर्धारित किया जाएगा और ऐसी सिफारिशें की जाएंगी जो वे उचित समझें।
  • राष्ट्रपति इस प्रकार प्रस्तुत की गई रिपोर्ट की एक प्रति संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखने के लिये एक ज्ञापन के साथ उस पर की गई कार्रवाई को स्पष्ट करेगा।

अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण

  • वर्ष 1953 में स्थापित कालेलकर आयोग, राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जातियों (SCs) और अनुसूचित जनजातियों (STs) के अलावा अन्य पिछड़े वर्गों की पहचान करने वाला प्रथम आयोग था।
  • मंडल आयोग की रिपोर्ट, 1980 में OBC जनसंख्या 52% होने का अनुमान लगाया गया था और 1,257 समुदायों को पिछड़े के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
    • इसने OBC को शामिल करने के लिये मौजूदा कोटा, जो केवल SC/ST के लिये था, को 22.5% से बढ़ाकर 49.5% करने की सिफारिश की।
  • केंद्र सरकार ने OBC [अनुच्छेद 16 (4)] के लिये यूनियन सिविल पदों और सेवाओं में 27% सीटें आरक्षित कीं। कोटा बाद में केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों [अनुच्छेद 15 (4)] में लागू किया गया ।
    • वर्ष 2008 मे सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को OBC के बीच क्रीमी लेयर (उन्नत वर्ग) को बाहर करने का निर्देश दिया।
  • 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जो पहले सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय था।

स्रोत: पी.आई.बी

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2