एक्सोमार्स 2022 मिशन | 21 Mar 2022
प्रिलिम्स के लिये:एक्सोमार्स 2022 मिशन, नासा का पर्सवेरेंस रोवर, यूएई का होप मार्स मिशन, तियानवेन-1, चीन का मार्स मिशन। मेन्स के लिये:विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ। |
चर्चा में क्यों?
रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रम रोस्कोस्मोस के साथ सभी प्रकार के सहयोग को निलंबित करने के बाद अब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का एक्सोमार्स 2022 मिशन सितंबर, 2022 में लॉन्च नहीं होगा।
- रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने घोषणा की है कि वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के रूसी खंड में संयुक्त प्रयोगों पर स्टेट कॉरपोरेशन जर्मनी के साथ सहयोग नहीं करेगा।
एक्सोमार्स 2022 मिशन:
- परिचय:
- यह दो चरणों वाला मिशन है:
- पहला भाग:
- इसका पहला मिशन वर्ष 2016 में प्रोटॉन-एम रॉकेट (Proton-M Rocket) द्वारा लॉन्च किया गया था जिसमें यूरोपीय ट्रेस गैस ऑर्बिटर (Trace Gas Orbiter) और शियापरेली (Schiaparelli) नामक टेस्ट लैंडर शामिल था।
- ऑर्बिटर सफल रहा, जबकि मंगल पर उतरने के दौरान परीक्षण लैंडर विफल हो गया था।
- दूसरा भाग:
- इसमें एक रोवर और सरफेस प्लेटफॉर्म शामिल है:
- मिशन के इस दूसरे भाग की योजना मूल रूप से जुलाई 2020 के लिये बनाई गई थी लेकिन तकनीकी कारणों से इसे सितंबर तक के लिये टाल दिया गया था
- पहला भाग:
- ESA और राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) एक्सोमार्स के मूल सहयोगी थे, लेकिन बजटीय समस्याओं के कारण नासा वर्ष 2012 में इससे बाहर हो गया।
- रूस ने वर्ष 2013 में इस परियोजना में नासा की जगह ली थी।
- यह दो चरणों वाला मिशन है:
- उद्देश्य:
- मिशन का प्राथमिक उद्देश्य यह जाँचना है कि क्या मंगल पर कभी जीवन रहा है और ग्रह पर पानी के इतिहास को भी समझना है।
- यूरोपीय रोवर लगभग 2 मीटर गहराई से नमूने एकत्र करने के लिये मंगल की उप-सतह पर ड्रिल करेगा।
- मुख्य लक्ष्य ESA के रोवर को एक ऐसे स्थान पर उतारना है, जहाँ विशेष रूप से ग्रह के इतिहास से अच्छी तरह से संबंधित कार्बनिक पदार्थ खोजने की उच्च संभावना हो।
- मिशन का प्राथमिक उद्देश्य यह जाँचना है कि क्या मंगल पर कभी जीवन रहा है और ग्रह पर पानी के इतिहास को भी समझना है।
मिशन की रूस पर निर्भरता:
- मिशन रॉकेट सहित कई रूसी-निर्मित घटकों का उपयोग करता है।
- वर्ष 2016 के लॉन्च में रूस द्वारा निर्मित प्रोटॉन-एम रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था, उसी प्रकार की योजना सितंबर 2022 में लॉन्च हेतु बनाई गई थी।
- मिशन के रोवर के कई घटक भी रूस द्वारा निर्मित हैं।
- घटकों में रेडियोआइसोटोप हीटर (Radioisotope Heaters) शामिल हैं जिनका उपयोग रात के समय मंगल की सतह पर रोवर को गर्म रखने हेतु किया जाता है।
अन्य मंगल मिशन:
- नासा का मंगल 2020 मिशन (पर्सिवरेंस रोवर)
- संयुक्त अरब अमीरात का ‘होप’ (यूएई का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन)
- भारत का मंगल ऑर्बिटर मिशन (MOM) या मंगलयान:
- इसे नवंबर 2013 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
- इसे पीएसएलवी सी-25 रॉकेट द्वारा मंगल ग्रह की सतह और खनिज संरचना के अध्ययन के साथ-साथ मंगल ग्रह के वातावरण में मीथेन (मंगल पर जीवन का एक संकेतक) की उपस्थिति का पता लगाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
- इसे नवंबर 2013 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
- तियानवेन-1: चीन का मंगल मिशन:
मंगल के बारे में:
- आकार और दूरी:
- मंगल सौरमंडल में सूर्य से चौथा गृह है। पृथ्वी से इसकी आभा रक्तिम दिखती है, इसीलिये इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है।
- मंगल ग्रह पृथ्वी के आकार का लगभग आधा है।
- पृथ्वी से समानता (कक्षा और घूर्णन):
- मंगल गृह सूर्य की परिक्रमा करते हुए 24.6 घंटे में एक चक्कर पूरा करता है, जो कि पृथ्वी पर एक दिन (23.9 घंटे) के समान है।
- मंगल ग्रह का अक्षीय झुकाव 25 डिग्री है। यह लगभग पृथ्वी के समान है, जो कि 23.4 डिग्री के अक्षीय झुकाव पर स्थित है।
- पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह पर भी अलग-अलग मौसम पाए जाते हैं, लेकिन वे पृथ्वी के मौसम की तुलना में लंबी अवधि के होते हैं क्योंकि सूर्य की परिक्रमा करने में मंगल अधिक समय लेता है।
- मंगल ग्रह के दिनों को सोल (Sols) कहा जाता है, जो 'सौर दिवस' का लघु रूप है।
- अन्य विशेषताएँ:
- मंगल के लाल दिखने का कारण इसकी चट्टानों में लोहे का ऑक्सीकरण, जंग लगना और धूल कणों की उपस्थिति है, इसलिये इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है।
- मंगल ग्रह पर सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी स्थित है, जिसे ओलंपस मॉन्स (Olympus Mons) कहते हैं।
- मंगल के दो छोटे उपग्रह हैं- फोबोस और डीमोस।