विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
संयुक्त अरब अमीरात का ‘होप’ मिशन
- 11 Feb 2021
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का पहला इंटरप्लेनेटरी ‘होप’ मिशन हाल ही में सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में पहुँच गया है।
प्रमुख बिंदु
- ‘होप प्रोब’ मिशन
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने मंगल ग्रह के वातावरण का पहला एकीकृत मॉडल तैयार करने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में ‘होप’ नामक ‘मार्स मिशन’ की घोषणा की थी।
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के वैज्ञानिकों द्वारा ‘होप प्रोब’ को संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में विकसित किया गया था और इसे जुलाई 2020 में जापान के तानेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
- विशेषता
- लगभग 1.5 टन वज़न वाला यह ‘होप प्रोब’ तकरीबन 55 घंटे में मंगल ग्रह का एक चक्कर पूरा करेगा।
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के मंगल मिशन का समग्र जीवनकाल एक ‘मार्टियन वर्ष’ के आस-पास है, जो कि पृथ्वी पर लगभग 687 दिन के बराबर है।
- वैज्ञानिक उपकरण: इस मिशन में मुख्यतः तीन वैज्ञानिक उपकरणों का प्रयोग किया है:
- एमिरेट्स एक्सप्लोरेशन इमेज़र (EXI): एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाला कैमरा।
- एमिरेट्स मार्स अल्ट्रावॉयलेट स्पेक्ट्रोमीटर (EMUS): एक फॉर-यूवी इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ
- एमिरेट्स मार्स इंफ्राड्रेड स्पेक्ट्रोमीटर (EMIRS): यह उपकरण मंगल ग्रह के वातावरण में तापमान, बर्फ, जल वाष्प और धूल आदि की जाँच करेगा।
- अपेक्षित लाभ
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का मंगल ग्रह संबंधी यह मिशन वहाँ की जलवायु से संबंधित डेटा एकत्र करेगा जिससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि मंगल के वातावरण का अंतरिक्ष में क्षरण क्यों हो रहा है?
- मिशन में शामिल वैज्ञानिक उपकरण मंगल ग्रह पर मौसम और दैनिक परिवर्तनों को मापने के लिये वातावरण से संबंधित अलग-अलग प्रकार के डेटा एकत्र करेंगे।
- इस प्रकार डेटा के माध्यम से वैज्ञानिक यह समझने में सक्षम हो सकेंगे कि ऊर्जा तथा कण जैसे- ऑक्सीजन और हाइड्रोजन आदि मंगल ग्रह के वातावरण में किस प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं।
महत्त्व
- मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुँचने के साथ ही संयुक्त अरब अमीरात ऐसा करने वाले चार इकाइयों (नासा, सोवियत संघ, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और भारत) की सूची में पाँचवें स्थान पर शामिल हो गया है।
- इस मिशन की सफलता से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी, जिससे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्र में निवेश में भी बढ़ोतरी होगी।
- वर्ष 2021 में ही UAE अपनी स्थापना की 50वीं वर्षगाँठ मना रहा है।
- ‘होप’ मिशन न केवल संयुक्त अरब अमीरात के लिये, बल्कि पूरे अरब जगत के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह अरब जगत का भी पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन है।
मंगल ग्रह संबंधी अन्य मिशन
- संयुक्त अरब अमीरात के ‘होप’ मिशन अलावा, अमेरिका और चीन के भी मानव रहित अंतरिक्ष यान आगामी दिनों में मंगल पर पहुँचने वाले हैं।
- इन सभी मिशनों को पृथ्वी और मंगल ग्रह के करीबी संरेखण का लाभ उठाने के लिये बीते वर्ष जुलाई माह में लॉन्च किया गया था।
- चीन के मिशन ‘तियानवेन-1’ में लैंडर और ऑर्बिटर दोनों शामिल हैं और इस मिशन का लैंडर मंगल ग्रह की सतह पर उतरकर प्राचीन जीवन के संकेतकों का पता पता लगाएगा।
- ‘पर्सीवरेंस’ नाम से अमेरिका का एक रोवर भी जल्द ही मंगल ग्रह की कक्षा में पहुँचने वाला है। यह एक दशक तक चलने वाली अमेरिका-यूरोपीय परियोजना का पहला चरण होगा, जिसमें मंगल ग्रह की चट्टानों को वापस पृथ्वी पर लाकर वहाँ पर जीवन के साक्ष्य की जाँच की जाएगी।
मंगल ग्रह के अन्वेषण का उद्देश्य
- विश्व भर के वैज्ञानिक और शोधकर्त्ता मंगल ग्रह को लेकर काफी अधिक उत्सुक रहते हैं, क्योंकि ग्रह को लेकर यह संभावना है कि एक समय यह इतना गर्म था कि यहाँ जीवन के मौजूद होने की संभावना है।
- कई मायनों में पृथ्वी से अलग होने के बावजूद दोनों ग्रहों (पृथ्वी और मंगल) में कई समानताएँ हैं- जैसे बादल, ध्रुवीय बर्फ, ज्वालामुखी और मौसम पैटर्न।
- इसके बावजूद अभी तक कोई भी मानव मंगल ग्रह पर नहीं पहुँच पाया है, क्योंकि मंगल पर वायुमंडल बहुत सूक्ष्म है, जिसमें अधिकतर कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद है, जिसके कारण अंतरिक्ष यात्रियों के लिये वहाँ जीवित रहना काफी मुश्किल है।
भारत का मंगल ऑर्बिटर मिशन
- ‘मंगलयान’ के नाम से प्रसिद्ध भारत के मंगल ऑर्बिटर मिशन को नवंबर 2013 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
- इस मिशन को मंगल ग्रह की सतह और खनिज संरचना के अध्ययन के साथ-साथ मीथेन (मंगल पर जीवन का एक संकेतक) का पता लगाने के उद्देश्य से एक PSLV C25 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस