लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

आंतरिक सुरक्षा

‘कटलैस एक्सप्रेस’ अभ्यास

  • 27 Jul 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये

‘कटलैस एक्सप्रेस’ अभ्यास, ‘सागर’ पहल

मेन्स के लिये

पश्चिमी हिंद महासागर का महत्त्व, पश्चिमी हिंद महासागर में भारत की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय नौसेना के जहाज़ ‘तलवार’ ने अफ्रीका के पूर्वी तट पर आयोजित एक बहुराष्ट्रीय प्रशिक्षण अभ्यास ‘कटलैस एक्सप्रेस’ 2021 में भाग लिया।

प्रमुख बिंदु

‘कटलैस एक्सप्रेस’ अभ्यास के विषय में

  • यह पूर्वी अफ्रीका और पश्चिमी हिंद महासागर में राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित एक वार्षिक समुद्री अभ्यास है।
  • इस अभ्यास के वर्ष 2021 के संस्करण में 12 पूर्वी अफ्रीकी देश, अमेरिका, ब्रिटेन, भारत और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO), ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC), इंटरपोल, यूरोपीय संघ नौसेना बल (EUNAVFOR) तथा क्रिटिकल मैरीटाइम रूट्स इंडियन ओसियन (CRIMARIO) के भागीदार शामिल हैं।
  • इस अभ्यास को संयुक्त समुद्री कानून प्रवर्तन क्षमता का आकलन करने और उसमें सुधार करने, राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने तथा क्षेत्रीय नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन को बढ़ाने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
  • भारत का ‘सूचना संलयन केंद्र- हिंद महासागर क्षेत्र’ (IFC-IOR) भी इस अभ्यास में हिस्सा ले रहा है।
    • इस अभ्यास में भारत की भागीदारी हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग हेतु भारत द्वारा घोषित ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region- SAGAR) पहल के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

    पश्चिमी हिंद महासागर का महत्त्व:

    • पश्चिमी हिंद महासागर का आशय उस क्षेत्र से है जहाँ हिंद महासागर और अरब सागर मिलते हैं। यह उत्तरी अमेरिका, यूरोप तथा एशिया को जोड़ता है, इसलिये रणनीतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण है।
    • पश्चिमी हिंद महासागर (WIO) क्षेत्र में 10 देश शामिल हैं: सोमालिया, केन्या, तंजानिया, मोज़ाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका, कोमोरोस, मेडागास्कर, सेशेल्स, मॉरीशस और रीयूनियन द्वीप।
    • प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के कारण हाल के वर्षों में विश्व के कई बड़े देशों की रुचि इस क्षेत्र के प्रति काफी बढ़ गई है।
    • ऊर्जा सुरक्षा के लिये भारत की मजबूरी और विदेशी संसाधनों पर देश की निर्भरता इसे इस क्षेत्र के करीब लाने में सबसे बड़ा आकर्षण रही है।

    The-Western-Indian-Ocean

    WIO क्षेत्र में अंतर-क्षेत्रीय सहयोग की प्रकृति:

    • क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने हेतु मेस (MASE) कार्यक्रम: मेस कार्यक्रम को वर्ष 2010 में मॉरीशस में अपनाया गया तथा इसका संचालन संयुक्त रूप से यूरोपीय संघ (EU) और संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) द्वारा किया जाता है।
      • कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य समुद्री डकैती के खिलाफ क्षेत्रीय रणनीति और कार्ययोजना को लागू करने हेतु पूर्वी एवं दक्षिणी अफ्रीका तथा WIO क्षेत्र की समुद्री सुरक्षा क्षमता को मज़बूत करना है।
      • हिंद महासागर आयोग (IOC) इसका एक हिस्सा है।
    • जिबूती आचार संहिता (DCOC): इसे पश्चिमी हिंद महासागर और अदन की खाड़ी में समुद्री चोरी एवं सशस्त्र डकैती को रोकने के विषय से संबंधित एक आचार संहिता एक रूप में जाना जाता है।
      • यह पश्चिमी हिंद महासागर के जल पर लागू होने वाली पहली ऐसी आचार संहिता है। इस पर जनवरी 2009 में हस्ताक्षर किये गए थे।
    • जिबूती आचार संहिता में जेद्दा संशोधन (DCoC+): इसे वर्ष 2017 में मानव तस्करी और गैर-रिपोर्टेड तथा अनियमित तरीके से मछली पकड़ने सहित अन्य अवैध समुद्री गतिविधियों को कवर करने एवं समुद्री क्षेत्र के सतत् विकास के आधार के रूप में व्यापक समुद्री सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करने हेतु राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय क्षमता निर्माण करने के लिये बनाया गया था।
      • वर्ष 2017 में सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित ‘जिबूती आचार संहिता’ के लिये हस्ताक्षरकर्त्ताओं की उच्च-स्तरीय बैठक में एक संशोधित आचार संहिता को अपनाया गया, जिसे जिबूती आचार संहिता में जेद्दा संशोधन के रूप में जाना जाता है।
      • भारत जिबूती संहिता/जेद्दा संशोधन में शामिल हो गया है।
    • हिंद महासागर आयोग: IOC वर्ष 1982 में स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है जिसमें पश्चिमी हिंद महासागर में पांँच छोटे-द्वीप राज्य कोमोरोस, मेडागास्कर, मॉरीशस, रीयूनियन (एक फ्रांँसीसी विभाग) और सेशेल्स शामिल हैं।
      • भारत को IOC में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
    • हिंद महासागर रिम एसोसिएशन: हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association- IORA) एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसे 7 मार्च, 1997 को स्थापित किया गया था। यह एक क्षेत्रीय मंच है जो सर्वसम्मति-आधारित, विकासवादी और घुसपैठ को रोकने हेतु दृष्टिकोण के माध्यम से समझ और पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग का निर्माण और विस्तार करना चाहता है।
      • IORA में 22 सदस्य देश शामिल हैं, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कोमोरोस, भारत, इंडोनेशिया, ईरान, केन्या, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, ओमान, सेशेल्स, सिंगापुर, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, तंजानिया, थाईलैंड, यूएई और यमन शामिल हैं।

      INS तलवार

      • आईएनएस तलवार भारतीय नौसेना के तलवार-श्रेणी के युद्धपोतों या क्रिवक श्रेणी के स्टील्थ जहाज़ों का प्रमुख पोत/जहाज़है।
      • 'मेक इन इंडिया' के तहत गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा रूस से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ क्रिवाक श्रेणी के स्टील्थ जहाज़ों का निर्माण किया जा रहा है। जहाज़ों के लिये इंजन की आपूर्ति यूक्रेन द्वारा की जा रही है।
        • अक्तूबर 2016 में भारत और रूस ने चार क्रिवाक या तलवार स्टील्थ फ्रिगेट के लिये एक अंतर-सरकारी समझौते (IGA) पर हस्ताक्षर किये थे।
        • पहले दो युद्धपोत रूस के कैलिनिनग्राद में यंतर शिपयार्ड में बनाए जाएंगे, जबकि अन्य दो गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में बनाए जाएंगे।
      • मौजूदा फ्रिगेट: नौसेना पहले से ही छह क्रिवाक III फ्रिगेट संचालित करती है।
        • अप्रैल 2012 और जून 2013 के बीच बेड़े में शामिल हुए नए क्रिवाक युद्धपोत आईएनएस तेग, तरकश तथा त्रिकंद हैं।
      • उपयोग: इनका उपयोग मुख्य रूप से दुश्मन पनडुब्बियों एवं बड़े सतह जहाजों को खोजने और नष्ट करने जैसे विभिन्न प्रकार के नौसैनिक मिशनों को पूरा करने हेतु किया जाता है।

      स्रोत: पी.आई.बी.

      close
      एसएमएस अलर्ट
      Share Page
      images-2
      images-2