विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
एनविज़न मिशन: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी
- 14 Jun 2021
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:एनविज़न मिशन, शुक्र ग्रह, नासा द्वारा घोषित नवीनतम मिशन, पूर्व के मिशन मेन्स के लिये:शुक्र के अध्ययन का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency- ESA) ने शुक्र ग्रह (Venus) के लिये एक नए एनविज़न मिशन (EnVision mission) की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु:
संदर्भ:
- इस मिशन का नेतृत्व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) करेगी जिसमें राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) का भी योगदान होगा।
- इसे वर्ष 2030 तक लॉन्च किये जाने की संभावना है। इसे एरियन 6 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा। इस अंतरिक्षयान को शुक्र तक पहुँचने में लगभग 15 महीने लगेंगे और कक्षा की परिक्रमा पूरी करने में 16 महीने और लगेंगे।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य शुक्र ग्रह के वायुमंडल और सतह का अध्ययन करना तथा इसके वायुमंडल में पाई जाने वाली गैसों की निगरानी करना एवं ग्रह की सतही संरचना का विश्लेषण करना है।
लाभ:
- एनविज़न मिशन शुक्र ग्रह के लिये ESA के नेतृत्व वाले वीनस एक्सप्रेस' (2005-2014) नामक दूसरे मिशन का अनुसरण करेगा जो वायुमंडलीय अनुसंधान पर केंद्रित है और ग्रह की सतह पर ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट के बारे में पता करेगा।
अन्य मिशन:
- संयुक्त राज्य अमेरिका:
- नासा ने शुक्र के लिये दो नए रोबोटिक मिशन - डाविंसी प्लस (DAVINCI+) और वेरिटास (VERITAS) की घोषणा की है। इन्हें 2028-2030 के बीच लॉन्च किया जाएगा।
- इसके अलावा मेरिनर शृंखला 1962-1974, पायनियर वीनस 1 और वर्ष 1978 में पायनियर वीनस 2, वर्ष 1989 में मैगलन आदि भेजे गए।
- रूस:
- रूस द्वारा 1967-1983 में अंतरिक्षयानों की वेनेरा शृंखला और वर्ष 1985 में वेगास 1 तथा 2 भेजे गए।
- जापान:
- जापान का अकात्सुकी अंतरिक्षयान वर्ष 2015 से शुक्र ग्रह के वायुमंडल का अध्ययन कर रहा है।
भारतीय पहलें:
- भारत वर्ष 2024 में शुक्र के लिये शुक्रयान नामक एक नया ऑर्बिटर लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
शुक्र के अध्ययन का महत्त्व:
- इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि पृथ्वी जैसे ग्रहों का विकास कैसे होता है और पृथ्वी के आकार के एक्सोप्लैनेट (हमारे सूर्य के अलावा किसी अन्य तारे की परिक्रमा करने वाले ग्रह) पर कैसी स्थितियाँ मौजूद हैं।
- यह पृथ्वी की जलवायु की मॉडलिंग करने में मदद करेगा और यह जानने में मदद करेगा कि किसी ग्रह की जलवायु कितनी नाटकीय रूप से बदल सकती है।
- वैज्ञानिक शुक्र पर इसके सुदूर अतीत में जीवन के अस्तित्व के संबंध में अनुमान लगाते हैं और ऐसी संभावना व्यक्त की जाती है कि इसके बादलों की ऊपरी परतों में जहाँ तापमान कम होता है जीवन संभव हो सकता है।
- वर्ष 2020 में वैज्ञानिकों ने शुक्र के वातावरण में फॉस्फीन (केवल जैविक प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्पादित एक रसायन) की उपस्थिति का पता लगाया।
डाविंसी प्लस (DAVINCI+):
- DAVINCI+ अर्थात् 'डीप एटमॉस्फियर वीनस इन्वेस्टिगेशन ऑफ नोबल गैस, केमिस्ट्री, एंड इमेजिंग' वर्ष 1978 के बाद से शुक्र ग्रह के वायुमंडल में अमेरिकी नेतृत्व वाला पहला मिशन है।
- इस मिशन के माध्यम से शुक्र के वायुमंडल तथा इसके गठन और विकास का विश्लेषण किया जाएगा।
- इसके अलावा इसका उद्देश्य शुक्र ग्रह पर उपस्थित नोबल गैसों, इसके रासायनिक संगठन, इमेजिंग प्लस (दृश्यों के माध्यम से शुक्र की आतंरिक सतह का परीक्षण) तथा वायुमंडलीय सर्वेक्षण करना है।
- यह भूगर्भीय विशेषता-टेसेरा (Eological Feature-Tesserae) की पहली उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरों को भी प्राप्त करने का प्रयास करेगा।
- टेसेरा की तुलना पृथ्वी के महाद्वीपों से की जा सकती है। टेसेरा की उपस्थिति यह संकेत दे सकती है कि शुक्र पर पृथ्वी की तरह टेक्टोनिक प्लेट हैं।
वेरिटास (VERITAS):
- इस मिशन का विस्तृत नाम ‘वीनस एमिसिविटी, रेडियो साइंस, इनसार, टोपोग्राफी एंड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ (Venus Emissivity, Radio Science, InSAR, Topography, and Spectroscopy) है।
- इस मिशन का उद्देश्य शुक्र ग्रह की सतह का अध्ययन करके यह पता लगाना है कि शुक्र ग्रह की विशेषताएँ पृथ्वी से अलग क्यों हैं।
- यह सतह की ऊँचाई की जाँच के लिये रडार का उपयोग करेगा और यह पुष्टि करने में सक्षम हो सकता है कि प्लेट टेक्टोनिक्स और ज्वालामुखी जैसी प्रक्रियाएँ अभी भी वहाँ सक्रिय हैं या नहीं।
- यह मिशन शुक्र की सतह से उत्सर्जन का भी मानचित्रण करेगा जो शुक्र पर मौज़ूद चट्टानों के प्रकार को निर्धारित करने में मदद कर सकता है।
- यह भी निर्धारित करेगा कि सक्रिय ज्वालामुखी वायुमंडल में जलवाष्प उत्सर्जित कर रहे हैं या नहीं।