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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

एक्सोप्लेनेट और डार्क मेटर

  • 18 Oct 2019
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

नोबेल पुरस्कार, एक्सोप्लेनेट, डार्क मेटर,डार्क एनर्जी, CMB, बिग बैंग थ्योरी

मैन्स के लिये:

ब्रह्मांड के विस्तार की प्रक्रिया, बिग बैंग थ्योरी, इस प्रकार की खोज का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंस (Royal Swedish Academy of Science) द्वारा वर्ष 2019 के भौतिकी (Physics) के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई।

  • इस वर्ष भौतिकी का नोबेल पुरस्कार न्यू प्रेस्पेक्टिव ऑफ़ अवर प्लेस इन द यूनिवर्स (New Prespective of our place in the Universe) हेतु प्रदान किया गया।

विजेता:

  • इस वर्ष माइकल मेयर, डीडीयर क्युलेज़ व जेम्स पीबल्स को संयुक्त रूप से इस पुरस्कार के लिये चुना गया है। माइकल मेयर व डीडीयर क्युलेज़ जो कि जिनेवा विश्वविद्यालय से संबद्ध है को सौर मंडल के बाहर एक ऐसे ग्रह की खोज के लिये चुना गया है जो कि सूर्य जैसे तारे की परिक्रमा करता है।
  • वही जेम्स पीबल्स जो कि प्रिंसटन विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं, को भौतिक ब्रह्मांड विज्ञान में उनके योगदान के लिये इस पुरस्कार हेतु चुना गया।

एक्सोप्लेनेट क्या है:

  • सौर मंडल से बाहर पाए जाने वाले ग्रह एक्सोप्लेनेट (Exoplanet) कहलाते हैं, ये सौरमंडल में मुख्य ग्रहों के अतिरिक्त उपस्थित ग्रह हैं।
  • मेयर एवं क्युलेज़ द्वारा खोजा गया प्रथम एक्सोप्लानेट 51 पेगासी (Pegasi) b था जिसे वर्ष 1995 में खोजा गया था।

51 पेगासी बी (Pegasi b) किस प्रकार का ग्रह है? क्या यह मनुष्यों के रहने योग्य है?

  • पेगासस तारामंडल (Pegasus Constellation) में एक तारा 51 पेगासी है जो पृथ्वी से लगभग 50 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।
  • यह एक गैसीय ग्रह है, जो बृहस्पति के लगभग आधे आकार का है, इसी कारण इसे डिमिडियम नाम दिया गया था, जिसका अर्थ एक-आधा होता है।
  • यह केवल चार दिनों में अपने तारे की परिक्रमा पूरी कर लेता है। यह संभावना काफी कम है कि यह मनुष्यों के रहने योग्य हो।

एक्सोप्लेनेट संबंधी इतिहास:

  • निकोलस कोपरनिकस (वर्ष 1473–1543) ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने यह बताया कि सूर्य सौरमंडल के केंद्र में अवस्थित है, साथ ही कहा कि पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है। इस खोज ने एक नई सोच को जन्म दिया जिसने सारे पुराने नियमों को परिवर्तित कर दिया।
  • उपरोक्त तथ्यों को आधार बनाकर इटेलियन दर्शनशास्त्री गियोरदानो ब्रूनो (Giordano Bruno) ने सोलहवीं सदी में, वहीं बाद में सर आईज़ेक न्यूटन (Sir Isaac Newton) ने भी सूर्य की विशिष्ट स्थिति को स्पष्ट किया, साथ ही बताया कि पृथ्वी के साथ-साथ अन्य कई ग्रह भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

पीबल्स को पुरस्कार दिये जाने का कारण:

  • बिग बैंग से पहले ब्रह्मांड की उत्पत्ति को समझना मुश्किल था पर यह माना जाता था कि यह सघन, अपारदर्शी एवं गर्म था।
  • बिग बैंग के लगभग 400,000 वर्ष बाद ब्रह्माण्ड का विस्तार हुआ और यह माना गया कि इसके तापमान में कुछ हज़ार डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई। साथ ही ब्रह्माण्ड में पारदर्शिता बढ़ी एवं प्रकाश को गुजरने की अनुमति मिली। बिग बैंग के बचे हुए कणों को कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (CMB) कहा गया।
  • ब्रह्मांड का यह विस्तार व ठंडा होना जारी रहा एवं इसका वर्तमान तापमान 2 केल्विन (kelvin) के करीब है अर्थात् लगभग माइनस 271 डिग्री सेल्सियस के करीब है।
  • पीबल्स द्वारा बताया गया कि CMB के ताप को मापने से यह पता लगाया जा सकता है कि बिग-बैंग में कितनी मात्र में पदार्थ/कण/पिंड का निर्माण हुआ। जैसा कि हम जानते हैं कि CMB में माइक्रोवेव रेंज में प्रकाश निहित होता है और ब्रह्मांड के विस्तार के साथ यह प्रकाश विस्तारित होता गया।
  • माइक्रोवेव विकिरण अदृश्य प्रकाश होता है। यह प्रकाश इस तथ्य की खोज में एक अहम् भूमिका निभा सकता है कि किस प्रकार बिग बैंग में उत्पन्न हुए पदार्थों ने वर्तमान समय में उपस्थित गैलेक्सी का सृजन किया। उनकी इस खोज से इन सवालों का जवाब आसानी से खोजा जा सकता है कि ब्रह्माण्ड में कितनी मात्रा व ऊर्जा है, साथ ही यह भी की यह कितना पुराना है?

बिग बैंग थ्योरी

(Big Bang Theory)

  • यह बताता है कि ब्रह्मांड बहुत उच्च घनत्व और उच्च तापमान वाली स्थिति से कैसे विस्तारित हुआ और प्रकाश तत्वों की प्रचुरता, ब्रह्मांडीय माइक्रोवेव पृष्ठभूमि (CMB), बड़े पैमाने पर संरचना सहित घटनाओं की एक विस्तृत शृंखला के लिये एक व्यापक विवरण प्रदान करता है।
  • CMB (Cosmic Microwave Background) के बारे में पहली बार 1964 में पता चला था, इस खोज को वर्ष 1978 में नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।

डार्क मेटर (Dark Matter):

  • डार्क मेटर वह तत्त्व है जो कि ब्रह्मांड का लगभग 85% हिस्सा है, इसके कुल ऊर्जा घनत्व का लगभग ¼ है। यह उन कणों से बना होता है जो कि प्रकाश को प्रतिबिंबित नहीं करते है, साथ ही विद्युत चुम्बकीय विकिरण से इसे पता कर पाना मुश्किल होता है, वहीं दूसरी तरफ इन्हें देखा जाना भी संभव नहीं होता है।

डार्क मेटर को समझने में पीबल्स की क्या भूमिका रही?

  • आकाशगंगाओं की घूर्णन की गति से खगोलविदों ने यह अंदाज़ा लगाया कि ब्रम्हांड में अधिक मात्रा में द्रव्यमान होना चाहिये था जो कि आकाशगंगाओ को गुरुत्वाकर्षण शक्ति के साथ नियंत्रित करता हो। हालाँकि द्रव्यमान के एक हिस्से को देखा जा सकता था तथापि एक बड़ा हिस्सा अदृश्य था, इसी गायब तत्त्व को डार्क मेटर कहा गया।
  • पीबल्स के हस्तक्षेप से पहले लापता द्रव्यमान को न्युट्रीनो के रूप में संदर्भित किया जाता रहा। बाद में इन्होंने यह भी बताया कि डार्क मेटर के इसे केवल गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से महसूस कर सकते हैं बजाय प्रभाव क्रिया के माध्यम से। ज्ञात हो कि ब्रह्मांड के द्रव्यमान का लगभग 25% हिस्सा डार्क मेटर से बना है।

डार्क एनर्जी (dark energy):

  • यह ऊर्जा का एक काल्पनिक रूप है जो कि गुरुत्वाकर्षण के विपरीत कार्य करता है एवं प्रतिकारक दबाव को बाहर निकालता है, इसे सुपरनोवा के गुणों के अवलोकन के लिये परिकल्पित किया गया है।

स्रोत: द हिन्दू

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