पूर्वोत्तर भारत में पर्यावरणीय चुनौतियाँ | 23 Aug 2023
प्रिलिम्स के लिये:जनहित याचिका, मेघालय जल निकाय (सुरक्षा और संरक्षण) दिशा-निर्देश, 2023, गारो-खासी-जयंतिया पहाड़ियाँ, संविधान की छठी अनुसूची, पूर्वोत्तर औद्योगिक विकास योजना मेन्स के लिये:पूर्वोत्तर भारत में विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मेघालय उच्च न्यायालय ने उमियम झील की सफाई बनाम मेघालय राज्य मामला, 2023 में कहा कि "किसी अन्य रोज़गार अवसर के अभाव में राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को क्षति पहुँचाया जाना सर्वथा अनुचित है"।
- उच्च न्यायालय का यह फैसला इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता की सुरक्षा करते हुए पर्यटन, बुनियादी अवसंरचना के विकास और निर्माण को बढ़ावा देने की चुनौती पर प्रकाश डालता है।
पृष्ठभूमि:
- उमियम झील की सफाई पर एक जनहित याचिका मेघालय उच्च न्यायालय में काफी लंबे समय से लंबित थी।
- उमियम झील मामला मुख्यतः झील और जलाशय के आसपास अनियमित निर्माण और पर्यटन के प्रतिकूल प्रभाव पर केंद्रित था।
- फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को नष्ट करने की कीमत पर आर्थिक विकास कदापि नहीं होना चाहिये।
- अधिक व्यापक नियमों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए जल निकायों के आसपास अनियंत्रित निर्माण के मुद्दे का प्रभावी रूप से हल न करने के लिये उच्च न्यायालय ने मेघालय जल निकाय (सुरक्षा और संरक्षण) दिशा-निर्देश, 2023 की आलोचना की।
पूर्वोत्तर क्षेत्र की विकासात्मक चुनौतियाँ और जैवविविधता में संबंध:
- जैवविविधता हॉटस्पॉट:
- तेल, प्राकृतिक गैस, खनिज और मीठे जल जैसे प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के कारण पूर्वोत्तर भारत एक हरित पट्टी क्षेत्र है।
- गारो-खासी-जयंतिया पहाड़ियाँ और ब्रह्मपुत्र घाटी सबसे महत्त्वपूर्ण जैवविविधता हॉटस्पॉट में से हैं।
- पूर्वोत्तर भारत इंडो-बर्मा हॉटस्पॉट का एक हिस्सा है।
- चिंताएँ:
- हालाँकि पूर्वोत्तर क्षेत्र औद्योगिक रूप से पर्याप्त विकसित नहीं है, परंतु वनों की कटाई, बाढ़ और मौजूदा उद्योग इस क्षेत्र में पर्यावरण के लिये गंभीर समस्याएँ पैदा कर रहे हैं।
- विकास मंत्रालय द्वारा किये गए पूर्वोत्तर ग्रामीण आजीविका परियोजना का एक पर्यावरणीय मूल्यांकन बताता है कि "पूर्वोत्तर भारत एक पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील तथा जैविक रूप से समृद्ध क्षेत्र और सीमा पार नदी बेसिन में स्थित है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
- वन-कटाई, खनन, उत्खनन, स्थानांतरण खेती के कारण क्षेत्रों की वनस्पति और जीव दोनों खतरे में हैं।
- कानूनी ढाँचा और चुनौतियाँ:
- संविधान की छठी अनुसूची ज़िला परिषदों को स्वायत्तता प्रदान करती है, जो भूमि उपयोग पर राज्य के अधिकार को सीमित करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत जनहित याचिकाओं और न्यायिक सक्रियता ने पर्यावरण सुरक्षा को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा पर्यावरणीय उल्लंघनों के लिये राज्यों पर ज़ुर्माना लगाना पर्यावरण की सुरक्षा में कानूनी तंत्र की भूमिका को रेखांकित करता है।
पूर्वोत्तर में सतत् विकास को बढ़ावा देने हेतु किये गए प्रयास:
- पूर्वोत्तर औद्योगिक विकास योजना:
- पूर्वोत्तर औद्योगिक विकास योजना (North East Industrial Development Scheme- NEIDS), 2017 के भीतर 'नेगेटिव लिस्ट (Negative List)' एक सराहनीय कदम है, जो यह सुनिश्चित करती है कि पर्यावरण मानकों का पालन करने वाली संस्थाओं को प्रोत्साहन मिले।
- यदि कोई इकाई पर्यावरण मानकों का अनुपालन नहीं कर रही है या उसके पास आवश्यक पर्यावरणीय मंज़ूरी नही है या संबंधित प्रदूषण बोर्डों की सहमति नहीं है, तो वह NEIDS के तहत किसी भी प्रोत्साहन के लिये पात्र नहीं होगी और उसे 'नेगेटिव लिस्ट' में डाल दिया जाएगा।
- एक्ट फास्ट फॉर नॉर्थ-ईस्ट:
- 'एक्ट फास्ट फॉर नॉर्थ-ईस्ट' नीति में न केवल "व्यापार और वाणिज्य" बल्कि इस क्षेत्र में "पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी" का संरक्षण भी शामिल होना चाहिये।
- समान एवं व्यापक पर्यावरण विधान:
- सभी शासन स्तरों पर पर्यावरणीय मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिये, समान तथा व्यापक पर्यावरण विधान महत्त्वपूर्ण है।
- इस तरह का कानून नियमों में अंतराल को कम कर देगा तथा यह सुनिश्चित करेगा कि आर्थिक विकास पर्यावरणीय स्थिरता के साथ संरेखित हो।
उमियम झील के बारे में मुख्य तथ्य:
- उमियम झील मेघालय की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है जो शिलाॅन्ग से लगभग 15 किमी. दूर स्थित है।
- यह झील एक जलाशय है जिसे उमियम नदी (बारापानी नदी भी कहा जाता है) पर एक बाँध निर्माण परियोजना के हिस्से के रूप में बनाया गया था।
- बाँध का निर्माण क्षेत्र के लिये जलविद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु किया गया था।