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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पर्यावरण और कृषि मंत्रिस्तरीय बैठक : ब्रिक्स

  • 28 Aug 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) पर्यावरण और कृषि मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई थी।

  • ब्रिक्स दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ जोड़ता है, जो दुनिया की 41% आबादी की प्रतिनिधित्व करता है, यह दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 24% और विश्व व्यापार में 16% से अधिक का योगदान देता है।
  • भारत 2021 के लिये ब्रिक्स समूह का अध्यक्ष है।

प्रमुख बिंदु

  • ब्रिक्स के पर्यावरण मंत्रियों की 7वीं बैठक, 2021:
    • केंद्रित क्षेत्र : 
    • पर्यावरण पर नई दिल्ली के वक्तव्य को अपनाया गया:
      • इसका उद्देश्य ब्रिक्स राष्ट्रों के बीच पर्यावरण में निरंतरता, समेकन और सहमति के लिये सहयोग की भावना को आगे बढ़ाना है, विशेष रूप से इस वर्ष के अंत में COP15 जैव विविधता बैठक तथा COP26 (जलवायु परिवर्तन) से पूर्व लक्ष्य को हासिल करना है।
    • ब्रिक्स संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था संवाद :
      • भारत ने यह पहल अपशिष्ट प्रबंधन, संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था पर ज्ञान और बेहतर प्रयासों के आदान-प्रदान की सुविधा के लिये शुरू की है।
      • इसमें देशों में विभिन्न क्षेत्रों पर भी संवाद शामिल होंगे जैसे- निर्माण, कृषि, सौर, जैव ईंधन, पैकेजिंग, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, भोजन, पानी और वस्त्र।
    • भारत का रुख:
      • जलवायु परिवर्तन 2021 रिपोर्ट (IPCC) अनुमान्य : वैश्विक पर्यावरण और जलवायु चुनौतियों के खिलाफ ठोस सामूहिक वैश्विक कार्रवाई करने के लिये आईपीसीसी अंतिम संकेत हो सकता है।
      • कार्यों को समानता, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों, तथा "समान परंतु विभेदित उत्तरदायित्त्व एवं संबंधित क्षमताएँ ( CBDR-RC)" के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिये।
  • ब्रिक्स के कृषि मंत्रियों की 11वीं बैठक:
    • थीम:
      • खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिये कृषि जैव विविधता को मज़बूत करने हेतु ब्रिक्स साझेदारी।
    • ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच:
      • यह ब्रिक्स सदस्य राज्यों के बीच कृषि अनुसंधान और नवाचारों के क्षेत्र में सहयोग को मज़बूत करने हेतु भारत में स्थापित किया गया है।
        • इसे भारत ने विकसित किया है।
      • विज्ञान आधारित कृषि के लिये यह एक वैश्विक मंच के रूप में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग के माध्यम से सतत् कृषि विकास को बढ़ावा देकर वैश्विक भूख, कुपोषण, गरीबी और असमानता के मुद्दों को संबोधित करने में मदद करेगा।
    • कृषि सहयोग हेतु 2021-24 की कार्ययोजना:
      • यह खाद्य सुरक्षा, किसानों के कल्याण, कृषि जैव विविधता के संरक्षण, खाद्य और कृषि उत्पादन प्रणालियों में लचीलापन, डिजिटल कृषि समाधानों को बढ़ावा देने आदि विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • भारत का पक्ष:
      • कृषि-जैव विविधता के संरक्षण में भारत के प्रयास:
        • विभिन्न संबंधित ब्यूरो में पौधों, जानवरों, मछलियों, कीड़ों और कृषि की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सूक्ष्मजीवों के लिये राष्ट्रीय जीन बैंकों की स्थापना और रखरखाव।
        • दलहन, तिलहन, बागवानी फसलों, राष्ट्रीय बाँस मिशन और हाल ही में शुरू किये गए राष्ट्रीय पाम ऑयल मिशन जैसे देशव्यापी कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी कृषि-खाद्य प्रणालियों के विविधीकरण को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना।
        • इन कार्यक्रमों का उद्देश्य खेत और थाली दोनों में विविधीकरण प्रदान करने के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि करना है।

स्रोत-पीआईबी

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