शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम
- 11 Aug 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लियेपाम तेल, राष्ट्रीय खाद्य तेल और पाम तेल मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, खरीफ रणनीति, 2021 मेन्स के लियेखाद्य तेल में आत्मनिर्भरता के लिये सरकार द्वारा की जा रही विविध पहलें |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने कृषि आय बढ़ाने में मदद करने के लिये पाम तेल (Palm Oil) उत्पादन पर एक नई राष्ट्रीय पहल की घोषणा की है।
- खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता के लिये राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (National Edible Oil Mission-Oil Palm) नामक योजना में 11,000 करोड़ रुपए (पाँच वर्ष की अवधि में) से अधिक का निवेश शामिल है।
प्रमुख बिंदु
उद्देश्य:
- घरेलू खाद्य तेल की कीमतों को कम करना जो महँगे पाम तेल के आयात से तय होती हैं।
- वर्ष 2025-26 तक पाम तेल का घरेलू उत्पादन तीन गुना बढ़ाकर 11 लाख मीट्रिक टन करना।
- इस मिशन में वर्ष 2025-26 तक पाम तेल की खेती के क्षेत्र को 10 लाख हेक्टेयर और वर्ष 2029-30 तक 16.7 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना शामिल है।
विशेषताएँ:
- इस योजना का विशेष बल भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ( इन क्षेत्रों में अनुकूल मौसम की स्थिति के कारण) में होगा।
- इस योजना के अंतर्गत पाम तेल किसानों को वित्तीय सहायता और पारिश्रमिक प्रदान किया जाएगा।
योजना का महत्त्व:
- आयात पर निर्भरता में कमी:
- इससे तेल के आयात पर निर्भरता कम होने और किसानों को तेल के विशाल बाज़ार से लाभ उठाने की उम्मीद है।
- भारत विश्व में वनस्पति तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसमें से पाम तेल का आयात इसके कुल वनस्पति तेल आयात का लगभग 55% है।
- पैदावार में वृद्धि:
- भारत सालाना खपत किये जाने वाले लगभग 2.4 करोड़ टन खाद्य तेल के आधे से भी कम का उत्पादन करता है। यह इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल, ब्राज़ील तथा अर्जेंटीना से सोया तेल एवं रूस व यूक्रेन से सूरजमुखी का तेल आयात करता है।
- भारत में 94.1% पाम तेल का उपयोग खाद्य उत्पादों (विशेष रूप से खाना पकाने के प्रयोजनों के लिये) में किया जाता है। यह पाम तेल को भारत की खाद्य तेल अर्थव्यवस्था के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण बनाता है।
पाम तेल
- पाम तेल वर्तमान में विश्व का सबसे अधिक खपत वाला वनस्पति तेल है।
- इसका उपयोग डिटर्जेंट, प्लास्टिक, सौंदर्य प्रसाधन और जैव ईंधन के उत्पादन में बड़े पैमाने पर किया जाता है।
- कमोडिटी के शीर्ष उपभोक्ता भारत, चीन और यूरोपीय संघ (EU) हैं।
खाद्य तेल अर्थव्यवस्था
- इसकी दो प्रमुख विशेषताएँ हैं जिन्होंने इस क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। एक वर्ष 1986 में तिलहन पर प्रौद्योगिकी मिशन की स्थापना थी जिसे वर्ष 2014 में तिलहन और पाम तेल पर एक राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Oilseeds and Oil Palm) में बदल दिया गया था।
- इसके अलावा इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission) में मिला दिया गया था।
- इससे तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने के सरकार के प्रयासों को बल मिला। यह तिलहन के उत्पादन में वर्ष 1986-87 के लगभग 11.3 मिलियन टन से वर्ष 2019-20 में 33.22 मिलियन टन वृद्धि से स्पष्ट हो जाता है।
- अन्य प्रमुख विशेषता जिसका खाद्य तिलहन/तेल उद्योग की वर्तमान स्थिति पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है, वह उदारीकरण कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत सरकार की आर्थिक नीति खुले बाज़ार को अधिक स्वतंत्रता देती है तथा सुरक्षा एवं नियंत्रण के बजाय स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा एवं स्व-नियमन को प्रोत्साहित करती है।
- पीली क्रांति (Yellow Revolution) उन क्रांतियों में से एक है जिन्हें देश में खाद्य तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिये शुरू किया गया था।
- सरकार ने तिलहन के लिये खरीफ रणनीति (Kharif Strategy), 2021 भी शुरू की है।
- यह तिलहन की खेती के अंतर्गत 6.37 लाख हेक्टेयर अतरिक्त क्षेत्र लाएगा और इससे 120.26 लाख क्विंटल तिलहन तथा 24.36 लाख क्विंटल खाद्य तेल का उत्पादन होने की संभावना है।
- भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले तेल: मूँगफली, सरसों, रेपसीड, तिल, कुसुम, अलसी, नाइजर बीज, अरंडी पारंपरिक रूप से उगाए जाने वाले प्रमुख तिलहन हैं।
- हाल के वर्षों में सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का भी महत्त्व बढ़ा है।
- बगानी फसलों में नारियल सबसे महत्त्वपूर्ण है।