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भारतीय राजव्यवस्था

भारत के युवाओं को मतदान में शामिल करना

  • 25 Apr 2024
  • 19 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चुनाव, नोटा, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, भारत निर्वाचन आयोग, मतदाता अधिकार, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, नियम 49P

मेन्स के लिये:

चुनावी प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी, कम मतदान के निहितार्थ।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

भारत में हाल ही में होने वाले 18वें लोकसभा चुनावों की तैयारी हो रही है, एक चिंताजनक प्रवृत्ति उभरकर आ रही है, जिसमें देश के सबसे कम उम्र के पात्र मतदाता भाग लेने के लिये अनिच्छुक हैं।

भारत के सबसे युवा मतदान में भाग लेने में क्यों संकोच कर रहे हैं?

  • ऐतिहासिक रुझान:
    • 18 से 19 वर्ष के बीच के 40% से कम मतदाताओं ने वर्ष 2024 के चुनावों के लिये पंजीकरण कराया है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
      • जिसमें दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश में नामांकन दर सबसे कम दर्ज़ की गई है।
    • सोशल मीडिया के माध्यम से राजनेताओं के संपर्क में आने के बावजूद कई युवा सामाजिक कार्रवाई और विरोध प्रदर्शन करने, मतदान में सक्रिय रूप से भाग लेने से झिझकते हैं।
    • बिहार राज्य, जो अपनी युवा आबादी के रूप में प्रसिद्ध है, में संभावित 54 लाख (17%) में से केवल 9.3 लाख नामांकित मतदाता हैं।
    • इसी प्रकार के रुझान दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में भी देखे गए हैं, जहाँ नामांकन दर काफी कम है।
  • राजनीतिक शिक्षा का अभाव: कई युवाओं को लगता है कि शिक्षा प्रणाली उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया और उसके महत्त्व को समझने के लिये पर्याप्त रूप से तैयार नहीं करती है।
    • नागरिक सहभागिता और मतदान के महत्त्व पर शिक्षा का अभाव।
      • स्कूली पाठ्यक्रम में आलोचनात्मक चिंतन, कौशल और राजनीतिक जागरूकता को शामिल करने का अभाव।
  • युवा-केंद्रित एजेंडा का अभाव: राजनीतिक दल प्रायः उन एजेंडा का समर्थन करने में विफल रहते हैं, जो युवा जनसांख्यिकीय के साथ प्रतिध्वनित होते हैं या जिससे अलगाव होता है।
    • राजनीतिक दल प्रायः उन प्रमुख मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं, जो युवा जनसांख्यिकीय के लिये अत्यधिक चिंता का विषय हैं, जैसे नौकरी के अवसर और सस्ती उच्च शिक्षा, आदि।
  • अपर्याप्त प्रतिनिधित्व: जनसंख्या का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होने के बावजूद, राजनीतिक निर्णय लेने वाली संस्थाओं में युवाओं का प्रतिनिधित्व अक्सर कम होता है।
    • प्रतिनिधित्व की यह कमी ऐसी नीतियों को जन्म दे सकती है, जो युवाओं की ज़रूरतों और चिंताओं को पूर्ण रूप से संबोधित नहीं करती हैं।
  • सहभागिता का अभाव: राजनीतिक प्रक्रिया में सार्थक भागीदारी के सीमित अवसर।
    • उच्च से निम्न तक निर्णय लेने और शासन संरचनाओं में मतभेद।
  • सामाजिक दबाव:
    • रूढ़िवादिता और नकारात्मक धारणाओं से युक्त सामाजिक दबाव, युवाओं को राजनीति में शामिल होने से हतोत्साहित कर सकते हैं।
    • सार्थक एजेंडों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, राजनीति में प्रायः धन और बाहुबल पर ज़ोर दिया जाता है।
    • यह सक्रिय राजनीतिक की वास्तविकता से ध्यान भटका सकता है और सार्थक परिवर्तन लाने में युवाओं की भागीदारी में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  • मुद्दों से ध्यान भटकाना:
    • युवा उन राजनीतिक मुद्दों से पृथक महसूस कर रहे हैं, जो सीधे तौर पर उनके जीवन और समुदायों को प्रभावित करते हैं।
    • उनकी तात्कालिक चिंताओं और प्राथमिकताओं के लिये राजनीतिक निर्णयों का अप्रासंगिक होना।
  • तकनीकी प्रभाव:
    • सूचना के लिये सोशल मीडिया पर अत्यधिक निर्भरता के कारण युवाओं का गलत सूचना और राजनीतिक मुद्दों के साथ सतही जुड़ाव हो रहा है।

मतदाताओं की मतदान में अरुचि लोकतंत्र को कैसे खतरे में डालती है?

  • मताधिकार से वंचित:
    • मताधिकार से वंचित करने का तात्पर्य मतदान के अधिकार से वंचित होना है, जो अक्सर कानूनी बाधाओं के परिणामस्वरूप होता है, जिससे नागरिकों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने की क्षमता बाधित होती है।
      • कई प्रवासियों को मतदान केंद्रों तक पहुँचने में असमर्थता के कारण मताधिकार से वंचित होना पड़ता है, जहाँ वे कानून के अनुसार मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। हालाँकि किसी नए स्थान पर मतदान करने के लिये पंजीकरण कराना संभव है, लेकिन ऐसा करने के लिये एक निश्चित पते के प्रमाण की आवश्यकता होती है, जो कई गरीबों के पास नहीं है।
    • संवैधानिक गारंटी (अनुच्छेद 326) के बावजूद चुनावों के दौरान सामाजिक मताधिकार से वंचित होना चुनावी प्रक्रिया में न्यायसंगत भागीदारी में बाधा उत्पन्न करता है।
  • लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमज़ोर करना:
    • मतदाताओं की अरुचि लोकतंत्र के मूल सिद्धांत को चुनौती देती है, जो चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय नागरिक भागीदारी पर पनपता है।
    • जब नागरिक मतदान से विमुख हो जाते हैं, तो वे सामूहिक निर्णय लेने में अपनी भूमिका छोड़ देते हैं, जिससे लोकतांत्रिक शासन की नींव कमज़ोर हो जाती है।
  • स्थायी बहिष्करण:
    • उदासीन मतदाता एक अल्पसंख्यक को शासन की दिशा तय करने की अनुमति देते हैं, जिससे हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिये बहिष्कार का चक्र शुरू हो जाता है।
    • मतदाताओं की भागीदारी की कमी असमानता और अन्याय को बढ़ावा देती है, क्योंकि नीति निर्धारण में कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की आवाज़ अनसुनी कर दी जाती है।
  • वैधता पर प्रश्न उठाना:
    • कम मतदान प्रतिशत चुनावी परिणामों की वैधता पर प्रश्न उठाता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता का विश्वास कम होता है।
    • जब जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा मतदान से परहेज़ करता है, तो निर्वाचित प्रतिनिधियों के जनादेश पर प्रश्न उठाया जा सकता है, जिससे लोकतांत्रिक संस्थानों की विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न हो सकता है।

चुनाव में मतदाता के अधिकार और ज़िम्मेदारियाँ क्या होती हैं?

  • मतदाता नामांकन और अधिकार:
    • योग्यता: 
      • भारत में मतदाता सूची त्रैमासिक रूप से अपडेट की जाती है, जिससे 18 वर्ष की आयु पूरी होने की तिमाही में पंजीकरण की अनुमति मिलती है। योग्य युवाओं को पंजीकरण के बाद एक मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) प्राप्त होता है। 
        • यह 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई, या 1 अक्तूबर तक 18 वर्ष तक पहुँचने वालों पर लागू होता है।
    • एक स्थान पर पंजीकरण: मतदाताओं को केवल एक ही स्थान पर नामांकित किया जा सकता है, एकाधिक पंजीकरण अपराध है।
    • वैकल्पिक पहचान पत्र: 
      • मतदाता पहचान पत्र या भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित दस्तावेज़ होना मतदान की गारंटी नहीं देता है। नाम मतदाता सूची में होना चाहिये और मतदान करने के लिये एक वैध ID आवश्यक है।
      • मतदाता मतदान केंद्र पर अपने निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (EPIC) या आयोग द्वारा निर्दिष्ट अन्य दस्तावेज़ों का उपयोग कर सकते हैं। 
        • राशन कार्ड मतदान के लिये वैध पहचान नहीं है। 
        • वैकल्पिक दस्तावेजों में आधार कार्ड, MNREGA जॉब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त का एक स्मार्ट कार्ड, पासपोर्ट, फोटो के साथ पेंशन दस्तावेज़, सरकारी एजेंसी से पहचान पत्र या MLA/MP पहचान पत्र शामिल हैं।
  • मतदान प्रक्रिया द्वारा अयोग्यता:
    • जिन व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 171E (जो रिश्वतखोरी से संबंधित है) और धारा 171F (जो चुनाव में प्रतिरूपण या अनुचित प्रभाव से संबंधित है) के तहत किये गए अपराधों के लिये दोषी ठहराया जाता है, उन्हें चुनाव में भाग लेने से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
    • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 (जो विभिन्न चुनावी अपराधों से संबंधित है), धारा 135 और धारा 136 के तहत अपराधों के लिये दोषी पाए जाने वालों को मतदान प्रक्रिया से अयोग्य ठहराया जा सकता है।
    • यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करता है, तो उसका मत भी अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
  • मतदान प्रक्रिया:
    • गलत बटन दबाने पर: 
      • यदि आपके द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर भूलवश कोई गलत बटन दबाया जाता है, तो रीसेट के लिये मतदान अधिकारी से संपर्क करें, जिससे वह आपको पुनः मतदान करने दे।
    • वोट देने से इनकार (Refusal to Vote): 
      • पीठासीन अधिकारी के समक्ष अपनी पहचान दर्ज कराने और मतदान केंद्र पर पहुँचने के बाद भी मतदाता मत देने से इनकार कर सकते हैं।
      • नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प मतदाताओं को किसी भी उम्मीदवार में विश्वास की कमी व्यक्त करने की अनुमति देता है, जबकि 'वोट देने से इनकार' करने का विकल्प एक मतदाता को पूरी मतदान प्रक्रिया से दूर रहने की अनुमति देता है।
    • अनधिकृत मतदान (Unauthorised Voting): 
      • मतदाता तब भी मतदान कर सकते हैं यदि किसी अन्य व्यक्ति ने चुनाव संचालन नियमों के नियम 49P के अनुसार "निविदा मतपत्र" का उपयोग करके पहले ही उनके नाम पर मतदान कर दिया है।
      • पीठासीन अधिकारी निविदत्त मतपत्र को एकत्रित कर अलग रखेंगे।
    • प्रॉक्सी मतदान (Proxy Voting): 
      • सशस्त्र बलों के सदस्य, देश के बाहर तैनात सरकारी कर्मचारी और किसी राज्य के सशस्त्र पुलिस बल के सदस्य जैसी सेवा (Service) योग्यता वाले सेवा मतदाता प्रॉक्सी वोटिंग सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।
      • वे अपनी ओर से मतदान करने के लिये एक प्रॉक्सी नियुक्त कर सकते हैं, जो उसी निर्वाचन क्षेत्र का निवासी होना चाहिये।
    • घर से मतदान करना (Vote from Home):
      • चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनावों में बुजुर्गों और दिव्यांग व्यक्तियों (Persons with Disabilities - PwDs) के लिये घर पर मतदान की शुरुआत की, जिससे 85 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों तथा 40% बेंचमार्क दिव्यांगता वाले दिव्यांग लोगों को इस सुविधा का लाभ उठाने की अनुमति मिली।
  • कदाचार की रिपोर्ट करना (Reporting Malpractices):
    • आपके द्वारा देखे गए कदाचार की छवियों (images) या वीडियो को कैप्चर करने के लिये cVIGIL नागरिक मोबाइल ऐप का उपयोग कर बिना पहचान उजागर किये उल्लंघन की रिपोर्ट करना।
      • यह ऐप चुनाव आयोग द्वारा की गई कार्रवाई को निर्दिष्ट करते हुए 100 मिनट के भीतर प्रतिक्रिया की गारंटी देता है।
      • ऐप उपयोगकर्त्ताओं को उल्लंघनों की रिपोर्ट करने, GPS के माध्यम से स्थान ट्रैक करने, लाइव घटनाओं को पकड़ने, शिकायत की स्थिति की निगरानी करने और बिना पहचान उजागर किये उल्लंघनों की रिपोर्ट करने की अनुमति देता है।

आगे की राह

  • महत्त्वपूर्ण राजनीतिक एजेंडा की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए और राजनीतिक व्यवस्था की समझ को विकसित करते हुए युवा मतदाताओं की सहभागिता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
    • राजनीतिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में युवाओं के प्रतिनिधित्त्व को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
    • सामाजिक और राजनीतिक चर्चाओं में युवाओं की समस्याओं पर ध्यान एवं महत्त्व देने के लिये मंच प्रदान किये जाने की आवश्यकता है।
  • मताधिकार से वंचित होने के चक्र से मुक्त होने के लिये प्रत्येक मत के महत्त्व और इसकी शक्ति को पहचानना आवश्यक है।
    • लोकतंत्र के सिद्धांतों की सुरक्षा और समावेशी शासन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  • बड़ी युवा आबादी वाले राज्यों पर ध्यान केंद्रित करना, राजनीतिक अभियानों के दौरान नौजवानों की समस्याओं का समाधान करना, और जेन Z (वर्ष 1997 व 2012 के मध्य पैदा हुए लोगों की पीढ़ी) को लेकर सामाजिक जागरूकता एवं जुड़ाव से जुड़ी रूढ़िवादिता को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
  • भारत के युवाओं को उनके निर्णयों के प्रभाव से परिचित कराते हुए, उन्हें स्थानीय व राष्ट्रीय मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाकर, सूचित निर्णय लेना प्रोत्साहित करके और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग न लेने के परिणामों के संबंध में उन्हें सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
  • डिजिटल रूप से जुड़े और सामाजिक रूप से जागरूक युवाओं की क्षमता का प्रयोग करते हुए युवा मतदाताओं के बीच सक्रियता, सामाजिक ज़िम्मेदारी एवं सशक्तीकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • डिजिटल पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सुरक्षित ऑनलाइन मतदान प्रक्रिया अपनाने की संभावनाओं पर भी विचार किये जाने की आवश्यकता है

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. मतदाताओं की अरुचि लोकतंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है? भारतीय चुनावी संदर्भ में प्रासंगिक उदाहरणों के साथ लोकतांत्रिक सिद्धांतों, चुनावी वैधता तथा समावेशी शासन व्यवस्था पर इसके प्रभावों का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. भारत का निर्वाचन आयोग पाँच-सदस्यीय निकाय है।
  2. संघ का गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनावों दोनों के लिए चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
  3. निर्वाचन आयोग मान्यता-प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवाद निपटाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो मतदान के लिये योग्य है, किसी राज्य में छह माह के लिये मंत्री बनाया जा सकता है तब भी जब कि वह उस राज्य के विधान-मंडल का सदस्य नहीं है।
  2. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो दांडिक अपराध के अंतर्गत दोषी पाया गया है और जिसे पाँच वर्ष के लिये कारावास का दंड दिया गया है, चुनाव लड़ने के लिये स्थायी तौर पर निरर्हत हो जाता है भले ही वह कारावास से मुक्त हो चुका हो।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. आदर्श आचार-संहिता के उद्भव के आलोक में, भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका का विवेचन कीजिये। (2022)

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