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भारत में चुनाव सुधार

  • 18 Mar 2025
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का निर्वाचन आयोग (ECI)मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC), RPA, 1951, EVM, VVPAT, मतदाता सूची प्रबंधन प्रणाली (ERONET), स्टार प्रचारक, टोटलाइज़र मशीन, आदर्श आचार संहिता (MCC), विधि आयोग, ARC

मेन्स के लिये:

भारत की निर्वाचन प्रक्रिया से संबंधित चिंताएँ और इनका समाधान करने के उपाय

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने मतदाता सूची में हेराफेरी और डुप्लिकेट मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) संख्या के आरोपों के बीच निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार करने पर चर्चा करने हेतु राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है।

निर्वाचन के विनियमन संबंधी विधिक प्रावधान क्या हैं?

  • अनुच्छेद 324: इसके अंतर्गत निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची तैयार करने तथा संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के संचालन का पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण करने का अधिकार प्राप्त है।
  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950: इसमें मुख्य निर्वाचन अधिकारी, ज़िला निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी जैसे निर्वाचन अधिकारियों के साथ-साथ संसदीय, विधानसभा और परिषद निर्वाचन क्षेत्रों के लिये मतदाता सूची के प्रावधान शामिल हैं।
  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RPA): यह अधिनियम निर्वाचन पूर्व प्रक्रिया, मुख्य रूप से मतदाता सूची की तैयारी और अनुरक्षण से संबंधित है।
  • निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अंतर्गत मतदाता सूची से संबंधित प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिये विस्तृत प्रक्रियाएँ निर्धारित की गई हैं। 
    • उदाहरणार्थ, मतदाता सूची में नाम शामिल किये जाने, सुधार करने या हटाने संबंधी दिशा-निर्देश।
  • परिसीमन अधिनियम, 2002: इसे नवीनतम जनगणना आँकड़ों के आधार पर संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को पुनः निर्धारित करने हेतु अधिनियमित किया गया था।

नोट: मतदान पद्धतियों का क्रमिक विकास:

  • 1952 एवं 1957: प्रत्येक उम्मीदवार के लिये अलग मतपेटी
  • 1962: उम्मीदवारों के नाम और प्रतीक के साथ मतपत्रों की शुरूआत।
  • 2004: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की शुरूआत।
  • 2019: EVM सहित वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का अनिवार्य उपयोग।

Electoral_Reforms

चुनाव प्रक्रिया संबंधी प्रमुख चिंताएँ क्या हैं?

मतदान और मतगणना संबंधी मुद्दे:

  • EVM में हेरफेर किये जाने की चिंता: कई लोगों ने EVM में हेरफेर किये जाने की चिंता का हवाला देते हुए पुनः पेपर बैलेट का उपयोग किये जाने की मांग की।
  • पूर्ण VVPAT सत्यापन: EVM के आलोचक पूर्ण VVPAT-EVM सुमेलन की मांग कर रहे हैं, जो वर्तमान में प्रति विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र/खंड में पाँच मशीनों के लिये किया जाता है। 
    • इसके स्थान पर, सर्वोच्च न्यायालय ने इंजीनियरों को हेरफेर का संदेह होने की दशा में 5% EVM में माइक्रोकंट्रोलर की बर्न मेमोरी की जाँच किये जाने को निर्देश दिया।
  • कथित मतदाता सूची में हेराफेरी: विपक्षी दलों ने दावा किया कि महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले बड़ी संख्या में फर्जी मतदाताओं को जोड़ा गया।
    • निर्वाचन आयोग ने दोहराव का कारण ERONET (इलेक्टोरल रोल मैनेजमेंट सिस्टम) का अंगीकरण करने से पूर्ण विकेंद्रीकृत EPIC आवंटन को बताया।
    • ERONET देश भर में कुशल मतदाता सूची प्रबंधन के लिये ECI द्वारा एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
  • डुप्लिकेट EPIC नंबर: पश्चिम बंगाल, गुजरात, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में कुछ मतदाताओं के EPIC नंबर कथित तौर पर एक जैसे हैं।
    • चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही मतदान कर सकते हैं, चाहे उनका EPIC नंबर कुछ भी हो।

अभियान प्रक्रिया संबंधी मुद्दे:

  • आदर्श आचार संहिता (MCC) का उल्लंघन: स्टार प्रचारक अक्सर अनुचित भाषा का प्रयोग करते हैं, जाति/सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काते हैं तथा असत्यापित आरोप लगाते हैं।
  • चुनाव व्यय: जबकि पार्टी का खर्च अप्रतिबंधित है, उम्मीदवार अनुमत राशि से अधिक खर्च करते हैं।
    • राजनीतिक दल वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान लगभग 1,00,000 करोड़ रुपए खर्च हुए।
  • राजनीति का अपराधीकरण: वर्ष 2024 में, निर्वाचित सांसदों में से 46% (251) पर आपराधिक मामले दर्ज है, जिनमें से 31% (170) पर बलात्कार, हत्या और अपहरण जैसे गंभीर आरोप है।

किन सुधारों की आवश्यकता है?

मतदान और मतगणना सुधार

  • VVPAT: राज्यों को क्षेत्रों में विभाजित किया जाना चाहिये, तथा किसी भी विसंगति के लिये प्रभावित क्षेत्र में पूर्ण मैनुअल VVPAT गणना शुरू की जानी चाहिये।
  • दूसरे या तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को संदिग्ध छेड़छाड़ के मामले में 5% EVM सत्यापन का अनुरोध करना चाहिये।
  • टोटलाइजर मशीनें: मतदाता की गोपनीयता बनाए रखने के लिये, ECI के वर्ष 2016 के प्रस्ताव में उम्मीदवार-वार परिणाम घोषित करने से पहले 14 EVM के वोटों को संयोजित करने के लिये 'टोटलाइजर' मशीनों का उपयोग करने की सिफारिश की गई है।
  • फर्जी मतदाताओं से संबंधित चिंताएँ: फर्जी मतदाताओं और डुप्लिकेट EPIC कार्ड को रोकने के लिये, चर्चा और गोपनीयता आश्वासन के बाद आधार-EPIC लिंकिंग पर विचार किया जा सकता है।
  • इस बीच, चुनाव आयोग को डुप्लीकेट मतदाता पहचान-पत्रों को समाप्त तथा विशिष्ट EPIC संख्या सुनिश्चित करनी चाहिये।

अभियान और चुनाव सुधार:

  • आदर्श आचार संहिता का अधिक सशक्त प्रवर्तन: चुनाव आयोग को आदर्श आचार संहिता के गंभीर उल्लंघन के लिये किसी नेता का 'स्टार प्रचारक' का दर्जा रद्द करने तथा अभियान व्यय में छूट समाप्त करने का  अधिकार होना चाहिये।
    • प्रतीक आदेश, 1968 के तहत, चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता या उसके निर्देशों का पालन न करने पर किसी पार्टी की मान्यता निलंबित या वापस भी ले सकता है।
  • चुनाव व्यय का विनियमन: जन प्रतिनिधि कानून, 1951 में संशोधन किया जाना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी राजनीतिक दल द्वारा अपने उम्मीदवार को दिया जाने वाला धन निर्धारित चुनाव व्यय सीमा के अंतर्गत आता है।
    • राजनीतिक दलों के व्यय की भी एक सीमा होनी चाहिये।
  • राजनीति का अपराधीकरण: पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन बनाम भारत संघ केस, 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को सख्ती से लागू करना , जिसके तहत उम्मीदवारों और पार्टियों को चुनाव से पहले व्यापक रूप से प्रसारित मीडिया में तीन बार आपराधिक रिकॉर्ड घोषित करना आवश्यक है।

नोट: उम्मीदवारों के लिये चुनाव व्यय की सीमा बड़े राज्यों में लोकसभा सीटों के लिये 95 लाख रुपए और विधानसभा सीटों के लिये 40 लाख रुपए तथा छोटे राज्यों में क्रमशः 75 लाख रुपए और 28 लाख रुपए निर्धारित की गई है।

  • वर्तमान में, चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों पर कोई व्यय सीमा नहीं लगाई जाती है, जिससे उन्हें अप्रतिबंधित व्यय की अनुमति मिलती है।

और पढ़ें: चुनाव सुधारों पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले?

चुनाव सुधार पर समिति/आयोग की सिफारिशें क्या हैं?

  • वोहरा समिति (वर्ष 1993): इसने सख्त पृष्ठभूमि जाँच और अपराधी-राजनेता-नौकरशाह संबंधों के बारे में गुप्त जानकारी एकत्र करने, उसका विश्लेषण करने और उस पर कार्यवाही करने के लिये एक नोडल एजेंसी के गठन की सिफारिश की।
    • काले धन और बाहुबल पर अंकुश लगाने के लिये चुनावी कानूनों को मज़बूत करना।
  • निर्वाचन आयोग: निर्वाचन आयोग ने सिफारिश की है कि जिन व्यक्तियों के खिलाफ किसी सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसे अपराध के लिये आरोप तय किये गए हैं, जिसके लिये पाँच वर्ष से अधिक की सजा का प्रावधान है, उन्हें भी चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये। 
  • विधि आयोग: विधि आयोग की 244 वीं रिपोर्ट (वर्ष 2014) में सिफारिश की गई:
    • आरोप तय होने के बाद  राजनेताओं को अयोग्य घोषित करना।
    • 1951 के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मिथ्यापूर्ण शपथ-पत्र देने के लिये न्यूनतम सजा को बढ़ाकर दो वर्ष करना, तथा दोषसिद्धि के आधार पर अपराधी को अयोग्य घोषित करना।
  • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC): द्वितीय ARC की शासन में नैतिकता संबंधी रिपोर्ट ने चुनावों में अवैध धन पर अंकुश लगाने के लिये आंशिक राज्य वित्त पोषण का समर्थन किया, जैसा कि चुनावों के राज्य वित्त पोषण पर इंद्रजीत गुप्ता समिति (वर्ष 1998) द्वारा पहले ही सिफारिश की जा चुकी है।

आगे की राह

  • ECI को सुदृढ़ बनाना: उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड और वित्तीय प्रकटन को सत्यापित करने के लिये ECI को अधिक विनियामक शक्तियाँ प्रदान करना।
  • राजनीति में अपराधीकरण को संबोधित करना: भ्रष्टाचार, आतंकवाद और यौन अपराधों जैसे गंभीर अपराधों के लिये अयोग्यता को छह वर्ष से आगे बढ़ाना तथा अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिये MP/MLA के मुकदमों में तेज़ी लाना।
  • चुनावी पारदर्शिता: राजनीतिक वित्तपोषण और व्यय का वास्तविक समय पर प्रकटन अनिवार्य करना तथा भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों को चुनावी कदाचार की जाँच करने का अधिकार देना।
    • लोकतांत्रिक अखंडता सुनिश्चित करने के लिये राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के अंतर्गत लाना
  • मतदाता जागरूकता: चुनावों की निगरानी में मीडिया और नागरिक समाज को समर्थन प्रदान करना तथा सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिये राजनीतिक नेताओं के लिये नैतिक प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत की चुनावी प्रक्रिया में प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और चुनावी पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिये सुधारों का सुझाव दीजिये।।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न .1 निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. भारत में, ऐसा कोई कानून नहीं है जो प्रत्याशियों को किसी एक लोकसभा चुनाव में तीन निर्वाचन क्षेत्रों से लड़ने से रोकता है।
  2.  1991 के लोकसभा चुनाव में श्री देवीलाल ने तीन लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था। 
  3.  वर्तमान नियमों के अनुसार, यदि कोई प्रत्याशी किसी एक लोकसभा चुनाव में कई निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ता है, तो उसकी पार्टी को उन निर्वाचन क्षेत्रों के उप-चुनाव का खर्चा उठाना चाहिये जिन्हें उसने खाली किया है बशर्ते वह सभी निर्वाचन क्षेत्रों से विजयी हुआ हो।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3 

उत्तर:(b) 


मेन्स 

प्रश्न 1. लोक प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951 के अंतर्गत संसद अथवा राज्य विधायिका के सदस्यों के चुनाव से उभरे विवादों के निर्णय की प्रक्रिया का विवेचन कीजिये। किन आधारों पर किसी निर्वाचित घोषित प्रत्याशी के निर्वाचन को शून्य घोषित किया जा सकता है? इस निर्णय के विरुद्ध पीड़ित पक्ष को कौन-सा उपचार उपलब्ध है? वाद विधियों का संदर्भ दीजिये। (2022)

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