भारतीय राजव्यवस्था
ECI ने रयथू बंधु योजना संवितरण रद्द किया
- 28 Nov 2023
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प्रिलिम्स के लिये:आदर्श आचार संहिता, भारतीय निर्वाचन आयोग, रयथू बंधु योजना, PM किसान सम्मान निधि मेन्स के लिये:आदर्श आचार संहिता के विकास में भारतीय निर्वाचन आयोग की भूमिका, आदर्श आचार संहिता - चुनावों में महत्त्व और इसकी आलोचना |
स्रोत इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) ने तेलंगाना की रयथू बंधु योजना के तहत धन के वितरण के लिये अपने पिछले 'नो ऑब्जेक्शन' को रद्द कर दिया है।
- यह कदम आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct- MCC) के उल्लंघन के आरोपों के बीच उठाया गया है।
ECI ने रयथू बंधु संवितरण को रद्द क्यों कर दिया?
- ECI ने अन्य मौजूदा केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की तरह MCC अवधि के दौरान रयथू बंधु संवितरण के लिये 'नो ऑब्जेक्शन' की मंज़ूरी इस शर्त पर दी कि इसे राजनीतिक लाभ हेतु प्रकाशित नहीं किया जाएगा और भुगतान मतदान की तारीख से 48 घंटे पहले की संवितरण अवधि के दौरान नहीं किया जाएगा।
- पीएम किसान सम्मान निधि के समान इस योजना का उद्देश्य किसानों की सहायता करना था और सरकार को कुछ दिशा-निर्देशों के तहत अनुमति मिली।
- चुनाव के दौरान रयथू बंधु योजना के तहत धन जारी करने का प्रचार करने वाले तेलंगाना के एक मंत्री के भाषण को MCC का उल्लंघन पाया गया और ECI ने इसे रद्द कर दिया।
- निर्वाचन आयोग का आदेश MCC के दौरान रयथू बंधु संवितरण की अनुमति को तत्काल वापस लेने का निर्देश देता है।
- अब जब तक तेलंगाना में MCC बंद नहीं हो जाती तब तक संवितरण रोक दिया गया है, जिससे संभावित रूप से किसानों की वित्तीय सहायता प्रभावित होगी।
रयथू बंधु योजना:
- यह तेलंगाना सरकार की एक पहल है जो किसानों को कृषि और बागवानी फसलों के लिये निवेश सहायता प्रदान करती है।
- इसका उद्देश्य किसानों के कर्ज़ के बोझ को कम करना है। योजना के अनुसार, प्रत्येक किसान को बीज, उर्वरक, कीटनाशकों की खरीद और अन्य आवश्यकताओं के लिये प्रत्येक सीज़न में 5,000 रुपए प्रति एकड़ का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) मिलता है।
- वर्ष 2018 में 50.25 लाख किसानों के साथ शुरुआत के साथ आज रयथू बंधु लाभार्थियों की संख्या 70 लाख हो गई है।
ECI की आदर्श आचार संहिता (MCC) क्या है?
- परिचय:
- MCC, ECI द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का एक समूह है, जो संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुरूप चुनाव से पहले पार्टियों और उम्मीदवारों को नियंत्रित करता है।
- यह चुनाव आयोग को संसद और राज्य विधानमंडलों में निष्पक्ष चुनावों की निगरानी सुनिश्चित करने का अधिकार देता है।
- यह चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से लेकर परिणाम घोषित होने तक सक्रिय रहता है।
- राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिये MCC:
- सामान्य आचरण:
- पार्टियों और उम्मीदवारों को ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिये जो विभिन्न जातियों, समुदायों, धार्मिक या भाषायी समूहों के बीच आपसी नफरत या तनाव उत्पन्न करती हैं।
- अन्य दलों की आलोचना व्यक्तिगत पहलुओं से बचते हुए नीतियों, पिछले रिकॉर्ड और काम तक ही सीमित होनी चाहिये।
- वोट के लिये जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की अपील करना प्रतिबंधित है।
- पूजा स्थलों का उपयोग चुनाव प्रचार के लिये नहीं किया जाना चाहिये।
- सत्तारूढ़ पार्टी:
- MCC ने वर्ष 1979 में सत्तारूढ़ पार्टी के आचरण को विनियमित करने के लिये कुछ प्रतिबंध शामिल किये।
- मंत्रियों को आधिकारिक दौरों को चुनाव कार्य के साथ नहीं जोड़ना चाहिये या इसके लिये आधिकारिक मशीनरी का उपयोग नहीं करना चाहिये।
- मंत्रियों तथा अधिकारियों को चुनाव की घोषणा के बाद भुगतान देने, वित्तीय अनुदान की घोषणा करने, शिलान्यास, परियोजनाओं का वादा करने, तदर्थ नियुक्तियाँ करने अथवा सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में मतदाताओं को प्रभावित करने से बचना चाहिये।
- दल को चुनावों में जीत की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिये सार्वजनिक राजकोष की लागत से विज्ञापन जारी करने अथवा उपलब्धियों के प्रचार के लिये आधिकारिक जन संचार माध्यमों का उपयोग करने से बचना चाहिये।
- केंद्र अथवा राज्य सरकार के मंत्रियों को उम्मीदवार, मतदाता अथवा अधिकृत एजेंट के रूप में अपनी क्षमता के अलावा मतदान केंद्रों अथवा मतगणना स्थलों में प्रवेश नहीं करना चाहिये।
- निर्वाचन घोषणापत्र:
- ECI का निर्देश है कि राजनीतिक दलों तथा उम्मीदवारों को किसी भी चुनाव (संसद/राज्य विधानमंडल) के लिये निर्वाचन घोषणापत्र जारी करते समय निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिये:
- घोषणापत्रों को संविधान तथा MCC के अनुरूप होना चाहिये।
- ऐसे वादों से बचें जो मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
- घोषणापत्र में तर्क एवं वित्तीय परामर्श प्रतिबिंबित होने चाहिये।
- एकल चरण निर्वाचन की दशा में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951 की धारा 126 के अंतर्गत यथा-विहित निषेधात्मक अवधि के दौरान घोषणा पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
- ECI का निर्देश है कि राजनीतिक दलों तथा उम्मीदवारों को किसी भी चुनाव (संसद/राज्य विधानमंडल) के लिये निर्वाचन घोषणापत्र जारी करते समय निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिये:
- बैठक (सभा):
- दल अथवा अभ्यर्थी किसी भी प्रस्तावित बैठक के स्थान और समय के बारे में स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों को समय रहते सूचित करेंगे ताकि पुलिस पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था कर सके।
- जलूस:
- यदि दो या दो से अधिक दल के अभ्यर्थी एक ही मार्ग पर जलूस की योजना बनाते हैं, तो राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करने के लिये पहले से संपर्क स्थापित करना होगा कि जलूस में टकराव न हो।
- अन्य राजनीतिक दलों के सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले पुतले ले जाना तथा उन्हें जलाने की अनुमति नहीं है।
- मतदान के दिन:
- केवल मतदाताओं तथा निर्वाचन आयोग के वैध पास वाले लोगों को ही मतदान केंद्रों में प्रवेश की अनुमति है।
- मतदान केंद्रों पर सभी अधिकृत पार्टी कार्यकर्त्ताओं को उपयुक्त बैज या पहचान पत्र की आपूर्ति की जानी चाहिये।
- उनके द्वारा मतदाताओं को दी जाने वाली पहचान पर्चियाँ सादे (सफेद) कागज़ पर होंगी और उनमें कोई प्रतीक, उम्मीदवार का नाम या पार्टी का नाम नहीं होगा।
- पर्यवेक्षक:
- चुनाव आयोग पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करेगा जिनके पास कोई भी उम्मीदवार चुनाव के संचालन के संबंध में समस्याओं की रिपोर्ट कर सकता है।
- सामान्य आचरण:
- MCC की वैधता:
- हालाँकि MCC के पास कोई वैधानिक समर्थन नहीं है, लेकिन चुनाव आयोग द्वारा इसके सख्त कार्यान्वयन के कारण पिछले दशक में इसे ताकत मिली है।
- अन्य कानूनों, जैसे भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 और RPA 1951, के अनुरूप कानूनों का उपयोग करके, MCC के कुछ प्रावधानों को लागू किया जा सकता है।
- कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर स्थायी समिति ने वर्ष 2013 में सुझाव दिया कि MCC को RPA 1951 में शामिल किया जाए तथा इसे कानूनी रूप से अनिवार्य बनाया जाए।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. आदर्श आचार संहिता के विकास के आलोक में भारत के चुनाव आयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (2022) |