शासन व्यवस्था
आधार को मतदाता सूची से जोड़ना स्वैच्छिक: ECI
- 29 Sep 2023
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:आधार, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) मेन्स के लिये:मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का प्रभाव |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका के जवाब में भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) ने स्पष्ट किया कि आधार संख्या को मतदाता सूची के साथ जोड़ना अनिवार्य नहीं है।
नोट:
- मतदाता सूची एक विशिष्ट क्षेत्राधिकार के तहत पात्र मतदाताओं की सूची है, जिसे ECI द्वारा तैयार और अद्यतन किया जाता है।
आधार को मतदाता सूची से जोड़ने को लेकर चिंताएँ:
- दलील:
- पृष्ठभूमि:
- एक याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर केंद्र और ECI को नामांकन के लिये आवेदन पत्र में संशोधन करने तथा मतदाता सूची के साथ आधार संख्या के प्रमाणीकरण के लिये भारत संघ द्वारा अधिसूचित संशोधित प्रावधानों/नियमों पर 1 अप्रैल, 2023 या उससे पहले की मतदाता सूची को अद्यतन करने का निर्देश दिये जाने का आग्रह किया।
- चिंताएँ:
- याचिकाकर्ता ने मतदाता गोपनीयता के बारे में चिंता व्यक्त की और आरोप लगाया कि केंद्र और निर्वाचन आयोग वैकल्पिक विकल्प प्रदान किये बिना मतदाताओं को अपना आधार नंबर जमा करने के लिये मजबूर कर रहे हैं।
- कानूनी रुख:
- इस प्रथा ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन किया और इससे मतदाताओं के व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग हो सकता है।
- पृष्ठभूमि:
- सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:
- सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले में इस बात को दर्ज किया कि मतदाताओं के पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 के नियम 26-B के अनुसार आधार संख्या जमा करना अनिवार्य नहीं है।
- "मौजूदा मतदाताओं द्वारा आधार संख्या प्रदान किये जाने के लिये विशेष प्रावधान" से संबंधित नियम 26B के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति जिसका नाम सूची में सूचीबद्ध है, वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23 की उपधारा (5) के अनुसार फॉर्म 6बी में पंजीकरण अधिकारी को अपना आधार नंबर सूचित कर सकता है।
- फॉर्म 6B एक सूचना पत्र है जिसमें मतदाता सूची प्रमाणीकरण के उद्देश्य से किसी व्यक्ति का आधार नंबर शामिल होता है।
- "मौजूदा मतदाताओं द्वारा आधार संख्या प्रदान किये जाने के लिये विशेष प्रावधान" से संबंधित नियम 26B के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति जिसका नाम सूची में सूचीबद्ध है, वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23 की उपधारा (5) के अनुसार फॉर्म 6बी में पंजीकरण अधिकारी को अपना आधार नंबर सूचित कर सकता है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले में इस बात को दर्ज किया कि मतदाताओं के पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 के नियम 26-B के अनुसार आधार संख्या जमा करना अनिवार्य नहीं है।
- भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की प्रतिक्रिया:
- ECI की प्रतिक्रिया थी कि आधार नंबर जमा करना स्वैच्छिक है। चुनाव आयोग, आधार लिंकेज से संबंधित फॉर्मों में उचित स्पष्टीकरण परिवर्तन करने पर विचार कर रहा है, जो आधार जमा करने की स्वैच्छिक प्रकृति को स्पष्ट करने के उसके इरादे को दर्शाता है।
- चुनाव निकाय ने पीठ को सूचित किया कि "मतदाता सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में लगभग 66.23 करोड़ आधार नंबर पहले ही अपलोड किये जा चुके हैं"।
भारत निर्वाचन आयोग (ECI):
- स्थापना एवं भूमिका:
- ECI की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान के अनुसार की गई थी।
- यह एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं की देख-रेख एवं प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
- आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में स्थित है।
- ECI भारत में लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों का प्रबंधन करता है। यह भारत के राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के पदों के लिये चुनावों की देख-रेख भी करता है।
- इसका राज्यों में पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनावों से कोई सरोकार नहीं है। इसके लिये भारत का संविधान एक अलग राज्य चुनाव आयोग का प्रावधान करता है।
- ECI की संरचना:
- मूल रूप से आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त था लेकिन चुनाव आयुक्त संशोधन अधिनियम 1989 के बाद इसे एक बहु-सदस्यीय निकाय बना दिया गया।
- मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और दो चुनाव आयुक्त (EC) भारत के चुनाव आयोग का गठन करते हैं।
- CEC और EC का दर्जा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समकक्ष होता है और समान वेतन एवं भत्ते मिलते हैं।
- मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और दो चुनाव आयुक्त (EC) भारत के चुनाव आयोग का गठन करते हैं।
- राज्य स्तर पर चुनाव आयोग की मदद मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा की जाती है जो IAS रैंक का अधिकारी होता है।
- मूल रूप से आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त था लेकिन चुनाव आयुक्त संशोधन अधिनियम 1989 के बाद इसे एक बहु-सदस्यीय निकाय बना दिया गया।
- आयुक्तों की नियुक्ति और कार्यकाल:
- राष्ट्रपति CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करता है।
- उनका छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) का एक निश्चित कार्यकाल होता है।
- आयुक्तों का निष्कासन:
- आयुक्त स्वेच्छा से इस्तीफा दे सकते हैं या उन्हें उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले भी हटाया जा सकता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया की तरह ही पद से हटाया जा सकता है।
- सीमाएँ:
- संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों की योग्यता (कानूनी, शैक्षिक, प्रशासनिक या न्यायिक) निर्धारित नहीं की गई है।
- संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों के कार्यकाल को निर्दिष्ट नहीं किया गया है।
- संविधान ने सेवानिवृत्त हो रहे चुनाव आयुक्तों को सरकार द्वारा किसी और नियुक्ति से वंचित नहीं किया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |