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अर्ली कैंसर डिटेक्शन और CRC ट्यूमर के इलाज में सफलता

  • 22 May 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, नीति आयोग, गैर-संचारी रोग, उच्च रक्तचाप, राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड, कोलोरेक्टल कैंसर

मेन्स के लिये:

कैंसर जाँच में कमियाँ, भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) की एक रिपोर्ट में भारत में कैंसर को प्रकट करने में आने वाले संकटमय अंतराल पर प्रकाश डाला गया है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। 

  • इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका में शोधकर्त्ताओं ने कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer- CRC) ट्यूमर में फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम के एक नए उपप्रकार की खोज की, जो संभावित रूप से प्रारंभिक चरण में कैंसर की पहचान और लक्षित उपचार सुनिश्चित करता है।

भारत में अर्ली कैंसर डिटेक्शन पर नीति आयोग की रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • रिपोर्ट में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (Health and Wellness Centres- HWC) में कैंसर की जाँच में "व्यापक अंतराल" देखा गया, जिसका उद्देश्य 30 वर्ष तथा उससे अधिक उम्र के लोगों के लिये मुख, स्तन एवं गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर (Cervical Cancer) की वार्षिक रूप से जाँच करना था।
    • निरीक्षण किये गए HWC में से 10% से भी कम ने कैंसर सहित गैर-संचारी रोगों के लिये स्क्रीनिंग का एक चरण भी पूरा कर लिया था।
  • मुख के कैंसर की जाँच दृश्य लक्षणों के आधार पर प्रत्येक मामले में की जाती थी, जबकि स्तन कैंसर की जाँच स्व-परीक्षण के माध्यम से की जाती थी। सर्वाइकल कैंसर की जाँच का प्रावधान अभी तक प्रारंभ नहीं किया गया था।
  • रिपोर्ट में पाया गया कि निरीक्षण किये गए HWC में आवश्यक उपकरणों, दवाओं और नैदानिक ​​परीक्षणों की बुनियादी संरचना एवं उपलब्धता परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार थी।
  • रिपोर्ट में कैंसर स्क्रीनिंग में अंतराल के लिये HWC कर्मचारियों के बीच "जागरूकता के निम्न स्तर" और "क्षमताओं की कमी" को ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन स्क्रीनिंग विधियों (मौखिक दृश्य परीक्षा, एसिटिक एसिड के साथ दृश्य निरीक्षण एवं नैदानिक स्तन परीक्षा) पर सहायक नर्सों और आशाओं (Auxiliary Nurses And Midwives-ANM) के लिये आवश्यक गहन प्रशिक्षण तथा सावधानीपूर्वक निगरानी वांछित सीमा तक नहीं हुई थी। 
    • HWC स्टाफ को उच्च रक्तचाप और मधुमेह के लिये वार्षिक जाँच की आवश्यकता के बारे में भी सीमित अथवा कोई जानकारी नहीं थी।

अर्ली कैंसर डिटेक्शन (Early Cancer Detection) क्या है?

  • कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में विस्तृत हो जाती हैं। वैश्विक स्तर पर कैंसर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण था, वर्ष 2018 में 6 रोगियों में से 1 रोगी की मृत्यु हुई।
  • प्रारंभिक कैंसर का पता लगाने के दो घटक हैं: स्क्रीनिंग और प्रारंभिक निदान।
  • स्क्रीनिंग:
    • इसका तात्पर्य किसी भी लक्षण के प्रकट होने से पूर्व कैंसर से पीड़ित रोगियों की पहचान करने के लिये स्वस्थ व्यक्तियों का परीक्षण करना है।
    • उदाहरण: स्तन कैंसर के लिये मैमोग्राफी या क्लिनिकल स्तन परीक्षण।
  • प्रारंभिक निदान:
    • प्रारंभिक निदान कार्यक्रम यथाशीघ्र लक्षणयुक्त रोगियों का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
      • इसमें स्वास्थ्य सेवा प्रदात्ताओं व आम जनता के बीच कैंसर के प्राथमिक लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, निदान और उपचार सेवाओं की पहुँच, सामर्थ्य एवं गुणवत्ता में सुधार करना महत्त्वपूर्ण है।
    • प्रारंभिक निदान और स्क्रीनिंग के बीच अंतर: प्रारंभिक निदान सभी प्रकार के कैंसर के लिये प्रासंगिक है और उन रोगियों पर केंद्रित है जिनमें कैंसर के लक्षण दिखाई देते है।
    • स्क्रीनिंग केवल कैंसर के एक उपसमूह (सर्वाइकल, स्तन, कोलोरेक्टल) के लिये प्रासंगिक है तथा स्पर्शोन्मुख (asymptomatic) व्यक्तियों को लक्षित करती है।
  • चुनौतियाँ एवं सीमाएँ:
    • स्क्रीनिंग के अवांछित परिणामों में फॉल्स-पॉज़िटिव (False-Positive), फॉल्स-नेगेटिव (False Negative) आश्वासन और अति निदान एवं अति उपचार शामिल हैं।
    • उच्च हानि/लाभ अनुपात के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) प्रोस्टेट कैंसर के लिये नियमित प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (Prostate-Specific Antigen- PSA) जाँच और 50 से कम उम्र की महिलाओं के लिये मैमोग्राफी जाँच की सलाह नहीं देता है।

कैंसर से संबंधित भारत की पहल क्या हैं?

कोलोरेक्टल कैंसर के संबंध में अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • शोधकर्त्ताओं ने 130 मानव CRC ट्यूमर से फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम बैक्टीरिया (Fusobacterium nucleatum bacteria) को अलग किया और उनकी आनुवंशिक संरचना का मानचित्रण किया।
    • उन्होंने पाया कि उप-प्रजाति फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम एनिमेलिस (Fusobacterium nucleatum animalis- Fna) CRC ट्यूमर से महत्त्वपूर्ण रूप से जुड़ी हुई थी।
    • Fna दो अलग-अलग विकासवादी वंशों या समूहों से बना होता है, जिन्हें Fna C1 और Fna C2 नाम दिया गया है।
      • Fna C2 क्लैड CRC ट्यूमर के साथ जुड़ा होता है और इसमें अतिरिक्त आनुवंशिक कारक होते हैं जो कैंसर के बीच संबंध को बढ़ावा देते हैं। 
  • शारीरिक रूप से, Fna C2 बैक्टीरिया Fna C1 की तुलना में लंबे और पतले होते हैं, जो प्रतिरक्षा तंत्र को विकसित करने तथा ऊतकों के निर्माण में सहायता कर सकते हैं।
    • आनुवंशिक रूप से, Fna C2 में ऐसे जीन होते हैं जो इसे मानव आँत में मौजूद इथेनॉलमाइन और 1,2-प्रोपेनेडियोल जैसे यौगिकों को चयापचय करने की अनुमति देते हैं।
    • Fna C2 अधिक अम्लीय स्थितियों में जीवित रह सकता है, जिससे यह मुँह से आँत तक फैल सकता है, जो बैक्टीरिया के लिये असामान्य है।
      • यह पूर्व धारणा को चुनौती देता है कि फ्यूसोबैक्टीरियम केवल रक्तप्रवाह संक्रमण के माध्यम से आँत तक पहुँचता है।
  • निष्कर्षों से शीघ्र CRC नैदानिक परीक्षण हो सकते हैं। Fna C2 विशेषताओं से लक्षित उपचार विकसित किये जा सकते हैं।
  • अन्य आँत बैक्टीरिया को प्रभावित किये बिना Fna C2 को चुनिंदा रूप से लक्षित करना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।

कोलोरेक्टल कैंसर (CRC): 

  • वैश्विक भार: कोलोरेक्टल कैंसर, जिसे कोलन कैंसर, रेक्टल कैंसर या आँत कैंसर के रूप में भी जाना जाता है, एक सामान्य प्रकार का कैंसर है जो कोलन या मलाशय को प्रभावित करता है। 
    • कोलोरेक्टल कैंसर विश्व भर में होने वाला तीसरा सबसे आम कैंसर है, जो सभी कैंसर के लगभग 10% मामलों के लिये ज़िम्मेदार है।
      • यह वैश्विक स्तर पर कैंसर से संबंधित मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है।
    • वर्ष 2040 तक, कोलोरेक्टल कैंसर के कुल नए मामलों में 63% और मृत्यु में 73% तक हिस्सेदारी बढ़ने का अनुमान है।
  • CRC और भारत: CRC भारत में कैंसर का सातवाँ सबसे आम प्रकार है, जहाँ वर्ष 2004 से 2014 तक इसके कुल मामलों की संख्या 20% तक बढ़ी है। 
  • जोखिम के कारक और रोकथाम: इसके जोखिम कारकों में पारिवारिक इतिहास, कोलोरेक्टल कैंसर और निम्न स्तरीय आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, मोटापा, धूम्रपान तथा अत्यधिक शराब का सेवन जैसे कारक शामिल हैं।
    • स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और नियमित जाँच से कोलोरेक्टल कैंसर को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है।
  • लक्षण: कोलोरेक्टल कैंसर के प्रारंभिक चरण में अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं, जो नियमित जाँच के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
    • सामान्य लक्षणों में आँत की प्रकृति में बदलाव, मलाशय से रक्तस्राव, पेट में दर्द और एनीमिया शामिल हैं।
  • उपचार: इसके विकल्पों में सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, लक्षित थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं। 
    • उपचार योजनाएँ कैंसर के विशिष्ट प्रकार और चरण के साथ-साथ रोगी की चिकित्सीय पृष्ठभूमि के आधार पर निर्धारित की जाती हैं। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: कैंसर नियंत्रण रणनीतियों में शीघ्र पता लगाने तथा स्क्रीनिंग के महत्त्व पर चर्चा कीजिये और बीमारी के बढ़ते बोझ को संबोधित करने में भारत की वर्तमान कैंसर नियंत्रण नीतियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कैंसर के ट्यूमर के इलाज के संदर्भ में साइबरनाइफ नामक एक उपकरण चर्चा में बना हुआ है। इस संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (2010)

(a) यह एक रोबोटिक इमेज गाइडेड सिस्टम है। 
(b) यह विकिरण की अत्यंत सटीक खुराक प्रदान करता है। 
(c) इसमें सब-मिलीमीटर सटीकता प्राप्त करने की क्षमता है। 
(d) यह शरीर में ट्यूमर के प्रसार को मैप कर सकता है।

उत्तर: (d)


प्रश्न: 'RNA इंटरफेरेंस (RNAi)' प्रद्योगिकी ने पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रियता हासिल कर ली है। क्यों? (2019)

  1. यह जीन अभिव्यक्तिकरण (जीन-साइलेंसिंग) रोगोपचारों के विकास में प्रयुक्त होता है। 
  2. इसे कैंसर की चिकित्सा में  के लिये रोगोपचार विकसित करने हेतु प्रयुक्त होता है। 
  3. इसे हार्मोन प्रतिस्थापन रोगोपचार विकसित करने हेतु प्रयुक्त किया जा सकता है। 
  4. इसे ऐसी फसल पादपों को उगाने के लिये प्रयुक्त किया जा सकता है जो विषाणु रोगजनकों के लिये प्रतिरोधी हो।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये

(a) 1, 2 और 4 
(b) 2 और 3 
(c) 1 और 3 
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. 1 अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होगी? (2021)

प्रश्न. 2 नैनोटेक्नोलॉजी से आप क्या समझते हैं और यह स्वास्थ्य क्षेत्र में कैसे मदद कर रही है? (2020)

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