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ई-सिगरेट

  • 18 Dec 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ई-सिगरेट, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), तंबाकू, निकोटीन का व्यसन, कैंसरजन्य पदार्थ

मेन्स के लिये:

ई-सिगरेट, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप तथा उनकी रूपरेखा और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सरकारों से ई-सिगरेट को तंबाकू के समान मानने तथा इसके सभी स्वादों/फ्लेवर्स पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है, जिससे ई-सिगरेट को धूम्रपान का विकल्प मानने वाली सिगरेट-कम्पनियाँ खतरे की स्थिति में हैं।

  • कुछ शोधकर्त्ता, प्रचारक तथा सरकारें ई-सिगरेट अथवा वेप्स को धूम्रपान से होने वाली मृत्यु एवं बीमारी को कम करने में एक सार्थक विकल्प वाले उपकरण के रूप में देखती हैं किंतु WHO के अनुसार इनके इस्तेमाल को नियंत्रित करने के लिये “तत्काल उपाय” की आवश्यकता है।

ई-सिगरेट क्या हैं?

  • ई-सिगरेट बैटरी चालित उपकरण हैं जो एक तरल को एयरोसोल में गर्म करके संचालित होते हैं जिसे उपयोगकर्त्ता श्वसन के माध्यम से अंदर खींचता है और बाहर छोड़ता है।
  • ई-सिगरेट तरल में आमतौर पर निकोटीन, प्रोपलीन ग्लाइकोल, ग्लिसरीन, फ्लेवर तथा अन्य रसायन शामिल होते हैं।
  • उपयोग में आने वाली ई-सिगरेट के विभिन्न प्रकार हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) एवं कभी-कभी इलेक्ट्रॉनिक नॉन-निकोटिन डिलीवरी सिस्टम (ENNDS) के रूप में भी जाना जाता है।

ई-सिगरेट के संबंध में WHO द्वारा क्या चिंताएँ व्यक्त की गई हैं?

  • धूम्रपान समाप्ति के लिये अप्रभाविता: 
    • ई-सिगरेट जैसे उपभोक्ता उत्पाद जनसंख्या स्तर पर व्यसनी को तंबाकू का उपयोग रोकने में मदद करने में सफल साबित नहीं हुए हैं। इसके स्थान पर जनसंख्या के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव के चिंताजनक साक्ष्य सामने आए हैं।
    • ई-सिगरेट को बाज़ार में लाने की अनुमति दी गई है तथा युवाओं के लिये इसका व्यापक विपणन किया गया है।
      • चौंतीस देशों ने ई-सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, 88 देशों में ई-सिगरेट खरीदने की कोई न्यूनतम आयु नहीं है एवं 74 देशों में इन हानिकारक उत्पादों के लिये कोई नियम नहीं है।
  • युवाओं पर प्रभाव:
    • अल्प आयु में ही बच्चों एवं युवाओं की ई-सिगरेट के उपयोग के लिये प्रलोभन तथा संभावित जाल, जिससे संभावित रूप से वे निकोटीन के व्यसन से ग्रसित हो सकते हैं।
    • देशों में इसकी रोकथाम हेतु अपर्याप्त नियमों सहित ई-सिगरेट का व्यापक विपणन इस समस्या में योगदान देता है।
  • युवाओं में बढ़ता उपयोग: 
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सभी क्षेत्रों में 13-15 वर्ष के बच्चे वयस्कों की तुलना में अधिक दर पर ई-सिगरेट का उपयोग कर रहे हैं। 
    • कनाडा में 16-19 वर्ष के बच्चों के बीच ई-सिगरेट के उपयोग की दर वर्ष 2017-2022 के बीच दोगुनी हो गई है और इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम) में युवा उपयोगकर्त्ताओं की संख्या पिछले तीन वर्षों में तीन गुना हो गई है।
  • स्वास्थ्य को खतरा: 
    • हालाँकि ई-सिगरेट के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों को पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन ये उपकरण विषाक्त पदार्थ उत्पन्न करते हैं, जिनमें से कुछ कैंसर का कारण बनते हैं और हृदय तथा फेफड़ों के विकारों के खतरे को बढ़ाते हैं।
    • ई-सिगरेट का उपयोग मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित कर सकता है, युवाओं में सीखने के विकार पैदा कर सकता है और गर्भवती महिलाओं में भ्रूण के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
  • निकोटीन की लत और नशे की प्रकृति:
    • निकोटीन युक्त ई-सिगरेट को अत्यधिक नशे की लत माना जाता है, जो उपयोगकर्त्ताओं और दर्शकों दोनों के लिये स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। ई-सिगरेट में निकोटीन की लत की प्रकृति, खासकर युवा उपयोगकर्त्ताओं के बीच, निकोटीन की लत का मुकाबला करने के बारे में चिंता पैदा करती है।

नोट: भारत में ई-सिगरेट और इसी तरह के उपकरणों का कब्ज़ा इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA) 2019 का उल्लंघन है।

ई-सिगरेट के पक्ष में क्या तर्क हैं?

  • नुकसान में कमी:
    • समर्थकों का तर्क है कि ई-सिगरेट पारंपरिक तंबाकू उत्पादों की तुलना में नुकसान कम करने की रणनीति प्रदान करती है।
    • उनमें निकोटीन होता है लेकिन पारंपरिक सिगरेट में मौजूद कई हानिकारक कार्सिनोजेन्स की कमी होती है। परिणामस्वरूप, उन्हें अक्सर वयस्क धूम्रपान करने वालों के लिये एक सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जाता है जो निकोटीन का उपयोग पूरी तरह से छोड़ने में असमर्थ या अनिच्छुक हैं।
  • आर्थिक राजस्व:
    • एक आर्थिक तर्क यह सुझाव दे रहा है कि ई-सिगरेट को वैध बनाने और विनियमित करने से सरकारों के लिये पर्याप्त कर राजस्व उत्पन्न हो सकता है। ई-सिगरेट पर कर लगाने से, अधिकारियों को राजस्व से लाभ हो सकता है, साथ ही उनके उपयोग पर नियंत्रण तथा निगरानी भी हो सकती है।
  • उपभोक्ता की पसंद: 
    • समर्थक उपभोक्ता की पसंद और विकल्पों तक पहुँच के महत्त्व पर तर्क देते हैं। उनका मानना है कि यदि वयस्क धूम्रपान करने वालों को पारंपरिक धूम्रपान बंद करने के तरीके अप्रभावी लगते हैं तो उनके पास कम हानिकारक निकोटीन वितरण प्रणाली चुनने का विकल्प होना चाहिये।

 निकोटीन क्या है?

  • निकोटीन एक पादप एल्कलॉइड है जिसमें नाइट्रोजन होता है, जो तंबाकू के पौधे सहित कई प्रकार के पौधों में पाया जाता है और इसे कृत्रिम रूप से भी उत्पादित किया जा सकता है।
  • निकोटीन शामक/दर्दनिवारक और उत्तेजक दोनों है।
  • ई-सिगरेट में निकोटीन का उपयोग प्रत्यक्ष पदार्थ के रूप में किया जाता है और इसकी मात्रा 36 mg/mL तक होती है। हालाँकि रेग्युलर सिगरेट में भी निकोटीन होता है, लेकिन यह 1.2 से 1.4 mg/mL के बीच होता है।
  • कर्नाटक ने निकोटीन को क्लास A ज़हर के रूप में अधिसूचित किया है।

तंबाकू उपभोग से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?

आगे की राह 

  • राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, ई-सिगरेट के सेवन को रोकने, निकोटीन की लत का मुकाबला करने और तंबाकू नियंत्रण के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में तत्काल उपायों की आवश्यकता है।
  • अधिवक्ता सिगरेट और शराब जैसी अन्य “सिन गुड्स” की तरह ई-सिगरेट को भी विनियमित और कर लगाने का सुझाव देते हैं। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य धूम्रपान करने वालों के लिये संभावित रूप से हानिकारक विकल्प तक कम पहुँच की अनुमति देते हुए इनके अत्यधिक उपयोग को हतोत्साहित करना है।
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