भारतीय जलाशयों के जल स्तर में गिरावट | 11 Sep 2023
प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय जल आयोग, अल नीनो, हिंद महासागर द्विध्रुव मेन्स के लिये:भारत के जलाशयों का महत्त्व, जल की कम उपलब्धता का परिणाम, अल नीनो, MJO और IOD का भारत के मानसून पैटर्न एवं वर्षा पर प्रभाव |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत, मानसूनी बारिश पर बहुत अधिक निर्भर देश है, अगस्त 2023 में बारिश में अभूतपूर्व कमी के कारण इसे अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- इसके परिणामस्वरूप देश के प्रमुख जलाशयों के जल स्तर में भारी गिरावट के कारण घरों, उद्योगों तथा विद्युत उत्पादन के लिये जलापूर्ति चिंता का विषय बन गई है।
- सामान्यतः अगस्त एक ऐसा महीना होता है जिसमें भारत के जलाशयों में जल भंडारण का स्तर काफी बढ़ जाता है लेकिन वर्ष 2023 का अगस्त इस संदर्भ में एक अपवाद था क्योंकि यह महीना पिछले 120 से अधिक वर्षों में सबसे शुष्क रहा। अपेक्षित 255 मिमी. वर्षा के बजाय देश में केवल 162 मिमी. वर्षा हुई, जिसके परिणामस्वरूप 36% वर्षा कम हुई।
भारतीय जलाशयों की स्थिति:
- केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission- CWC) के अनुसार, 31 अगस्त, 2023 तक भारत के 150 जलाशयों की लाइव स्टोरेज 113.417 बिलियन क्यूबिक मीटर थी, जो उनकी कुल स्टोरेज क्षमता का 63% थी।
- विभिन्न क्षेत्रों और नदी घाटियों में जलाशयों में जल का स्तर भिन्न-भिन्न पाया गया। दक्षिणी क्षेत्र, जहाँ अगस्त में 60% कम वर्षा हुई, उसका भंडारण स्तर 49% यानी उसकी संयुक्त क्षमता के अनुसार सबसे कम था।
- पूर्वी क्षेत्र, जहाँ सामान्य वर्षा हुई, उसका भंडारण स्तर 82% यानी उसकी संयुक्त क्षमता के अनुसार उच्चतम था।
- कुछ नदी घाटियाँ जिनमें जल स्तर अत्यधिक कम अथवा न्यून था:
- अत्यधिक कम:
- कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पेन्नार बेसिन
- छत्तीसगढ़ और ओडिशा में महानदी बेसिन
- कम:
- झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में सुवर्णरेखा, ब्राह्मणी तथा वैतरणी बेसिन
- कर्नाटक और तमिलनाडु में कावेरी बेसिन
- पश्चिमी भारत में माही बेसिन
- महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में कृष्णा बेसिन
- अत्यधिक कम:
- उत्तरी क्षेत्र को छोड़कर पूर्वी, पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों के जलाशयों में जल भंडारण पिछले वर्ष (2022) की तुलना में कम है।
टिप्पणी:
- CWC के अनुसार, नदी बेसिन में 20% की कमी सामान्य के निकट है।
- यदि कमी 20% से अधिक और 60% से कम या उसके बराबर हो तो एक बेसिन में गिरावट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- 60% से अधिक की कमी को अत्यधिक गिरावट कहा जाता है।
इस जल संकट के परिणाम:
- कृषि:
- जलाशय फसलों की सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराते हैं, विशेषकर रबी मौसम के दौरान। जल की कम उपलब्धता फसल उत्पादन और किसानों की आय को प्रभावित कर सकती है।
- ऊर्जा:
- जलाशय जलविद्युत उत्पादन के लिये भी जल की आपूर्ति करते हैं, जो भारत में कुल विद्युत ऊर्जा उत्पादन का 12% से अधिक है।
- शुष्क अगस्त के कारण मुख्य रूप से सिंचाई उद्देश्यों के लिये विद्युत ऊर्जा की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई।
- अगस्त में विद्युत ऊर्जा उत्पादन रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गया, जिससे जलाशयों में जल के अनिश्चित स्तर के कारण कोयला आधारित विद्युत ऊर्जा संयंत्रों से अतिरिक्त विद्युत ऊर्जा उत्पादन की आवश्यकता महसूस की गई।
- शुष्क अगस्त के कारण मुख्य रूप से सिंचाई उद्देश्यों के लिये विद्युत ऊर्जा की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई।
- जलाशय जलविद्युत उत्पादन के लिये भी जल की आपूर्ति करते हैं, जो भारत में कुल विद्युत ऊर्जा उत्पादन का 12% से अधिक है।
- पर्यावरण:
- जलाशय जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र व्यवस्थाओं, जैसे बाढ़ नियंत्रण, भूजल- पुनर्भरण, मत्स्यपालन और मनोरंजन का भी समर्थन करते हैं। निम्न जल स्तर इन कार्यों को प्रभावित कर सकता है और पारिस्थितिक क्षति का कारण बन सकता है।
- जल आपूर्ति पर प्रभाव:
- भारत की वार्षिक वर्षा मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम पर निर्भर होती है, जिससे इन जलाशयों से वर्ष भर जल की आपूर्ति की जाती है। जल भंडारण की कमी घरेलू कार्यों को खतरे में डालती है।
अल्प वर्षा के कारण:
- अल-नीनो:
- अल-नीनो एक जलवायु संबंधी घटना है जो मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से ऊपर बढ़ने पर घटित होती है।
- यह वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती है तथा मानसून के मौसम के दौरान भारत में वर्षा को कम करती है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, अल-नीनो अगस्त 2023 के दौरान मौजूद था तथा सितंबर तक इसके बने रहने की उम्मीद थी।
- IMD ने अनुमान लगाया है कि सितंबर में बारिश 10% से कम नहीं होगी।
- हालाँकि भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल-नीनो का मंडराता खतरा, जो अभी भी बढ़ रहा है, भारत के जल संसाधनों के लिये एक गंभीर खतरा है।
- अल-नीनो एक जलवायु संबंधी घटना है जो मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से ऊपर बढ़ने पर घटित होती है।
- हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD):
- हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) को दो क्षेत्रों (अथवा ध्रुवों, अतः द्विध्रुव) के मध्य समुद्र की सतह के तापमान में अंतर से परिभाषित किया जाता है, वे दो क्षेत्र, अरब सागर (पश्चिमी हिंद महासागर) में पश्चिमी ध्रुव तथा पूर्वी हिंद महासागर के दक्षिण में इंडोनेशिया का पूर्वी ध्रुव हैं।
- IOD ऑस्ट्रेलिया तथा हिंद महासागर बेसिन के आसपास के अन्य देशों की जलवायु को प्रभावित करता है एवं इस क्षेत्र में वर्षा की परिवर्तनशीलता में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्ता है।
- IMD के अनुसार, IOD के इस वर्ष मानसूनी वर्षा के लिये अनुकूल होने की उम्मीद थी, लेकिन इसका ज़्यादा प्रभाव नहीं पड़ा।
आगे की राह
- ड्रिप सिंचाई हेतु वर्षा जल संचयन तकनीकों को अपनाने सहित कृषि में कुशल जल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना चाहिये।
- जल-गहन खेती पर निर्भरता को कम करने के लिये फसल विविधीकरण तथा सूखा प्रतिरोधी फसलों की खेती को प्रोत्साहित करना चाहिये।
- अलवणीकरण, अपशिष्ट जल उपचार, स्मार्ट जल प्रौद्योगिकी और जलवायु-लचीली कृषि जैसी जल नवाचार पहल, जल आपूर्ति व दक्षता बढ़ाने तथा जल चुनौतियों एवं अनिश्चितताओं से निपटने में मदद कर सकती है।
- विशेष रूप से शुष्क अवधि के दौरान जलविद्युत उत्पादन पर निर्भरता कम करने के लिये सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश करना चाहिये ।
- जल के उपयोग और संरक्षण के महत्त्व के विषय में जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित ‘इंडियन ओशन डाइपोल (IOD)’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न: आप कहाँ तक सहमत हैं कि मानवीकारी दृश्यभूमियों के कारण भारतीय मानसून के आचरण में परिवर्तन होता रहा है। चर्चा कीजिये। (2015) प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत कैसे प्रभावित होगा? भारत के हिमालयी और तटीय राज्य जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होंगे? (2017) |