शासन व्यवस्था
विदेशी विश्वविद्यालयों हेतु UGC द्वारा मसौदा मानदंड की घोषणा
- 10 Jan 2023
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प्रिलिम्स के लिये:यूजीसी, NEP 2020 मेन्स के लिये:विदेशी विश्वविद्यालयों के लिये यूजीसी द्वारा मसौदा मानदंड की घोषणा और इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने मसौदा नियम जारी किये हैं जो अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के लिये भारत में कैंपस खोलना आसान बनाएंगे और उन्हें निर्णय लेने की स्वायत्तता प्रदान करेंगे।
यूजीसी द्वारा घोषित मसौदा मानदंड:
- मापदंड निर्धारण:
- भारत में परिसर स्थापित करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय जिसे विश्व भर के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया है या एक विदेशी शैक्षणिक संस्थान जो अपने देश में अच्छी स्थिति में है, यूजीसी को आवेदन दे सकता है।
- आवेदन प्रक्रिया:
- यूजीसी द्वारा नियुक्त एक स्थायी समिति इस आवेदन पर विचार करेगी जो संस्थान की विश्वसनीयता, प्रस्तावित कार्यक्रमों, उसकी क्षमता का आकलन करने के बाद 45 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी।
- यूजीसी इसके बाद 45 दिनों के भीतर अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को दो वर्ष के भीतर भारत में कैंपस खोलने की प्रारंभिक मंज़ूरी दे सकता है।
- आरंभिक मंज़ूरी 10 वर्ष के लिये होगी, जिसे बढ़ाया जा सकता है।
- शिक्षण का तरीका:
- उन्हें भारत और विदेशसे फैकल्टी एवं स्टाफ की भर्ती करने संबंधी स्वायत्तता होगी।
- पाठ्यक्रम ऑनलाइन तथा मुक्त और दूरस्थ शिक्षा मोड में नहीं चलाए जा सकेंगे।
- भारतीय परिसर में छात्रों को दी जाने वाली डिग्रियाँ उनके मूल देश में संस्थानों द्वारा दी गई डिग्रियों के समकक्ष होनी चाहिये।
- ऐसे विश्वविद्यालय और महाविद्यालय अध्ययन का ऐसा कोई भी कार्यक्रम प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं जो भारत के राष्ट्रीय हित या भारत में उच्च शिक्षा के मानकों को खतरे में डालता हो।
- निधि प्रबंधन:
- विदेशी विश्वविद्यालयों को मूल परिसरों में धन प्रत्यावर्तित करने की अनुमति होगी।
- धन की सीमा पार आवाजाही और विदेशी मुद्रा खातों का रखरखाव, भुगतान का तरीका, प्रेषण, प्रत्यावर्तन आदि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) 1999 एवं इसके नियमों के अनुरूप होगी।
- इसके पास अपनी फीस संरचना तय करने की स्वायत्तता भी होगी और भारतीय संस्थानों पर लगाए गए किसी भी सीमा का सामना नहीं करना पड़ेगा। शुल्क “उचित एवं पारदर्शी होना चाहिये।
पहल का महत्त्व:
- विदेश मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में करीब 13 लाख छात्र विदेश में पढ़ रहे थे और RBI के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-2022 में छात्रों के विदेश जाने के कारण विदेशी मुद्रा में 5 अरब रुपए का नुकसान हुआ।
- विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस स्थापित करने की अनुमति देने से यह भी सुनिश्चित होगा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले हमारे लगभग 40 मिलियन छात्रों की वैश्विक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच होगी।
- भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस की स्थापना के आदर्श का उल्लेख राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) 2020 में भी किया गया है।
- NEP के अनुसार, दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को विधायी ढाँचे के माध्यम से भारत में संचालित करने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- ये मसौदा नियम केवल NEP के दृष्टिकोण को संस्थागत बनाने की कोशिश करते हैं।
- यह कदम भारत को शिक्षा के लिये वैश्विक गंतव्य बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- यह न केवल विदेशों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के प्रतिभा पलायन और विदेशी मुद्रा के नुकसान को रोकने में मदद करेगा बल्कि विदेशी छात्रों को भारत में आकर्षित करने में भी मदद करेगा।
- यह देश में विभिन्न अभिकर्त्ताओं के बीच प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करेगा और विभिन्न विश्वविद्यालयों के बीच संकाय से संकाय अनुसंधान सहयोग की अनुमति देगा।
- अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में चीनी छात्रों के बाद भारतीय विदेशी छात्रों की सबसे बड़ी संख्या है।
प्रमुख चुनौतियाँ:
- ऐसा माना जाता है कि सामाजिक न्याय के सरोकारों की उपेक्षा की गई है जो कि भारत के संदर्भ में बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उच्च शिक्षा सामाजिक परिवर्तन के लिये बहुत प्रभावी साधन है।
- मसौदा नियमों में छात्र प्रवेश में जाति आधारित/आर्थिक आधारित/अल्पसंख्यक आधारित/सशस्त्र बल आधारित/दिव्यांग आधारित/कश्मीरी प्रवासियों/प्रतिनिधित्व आधारित/महिला आरक्षण के लिये कोई प्रावधान नहीं है।
- शैक्षिक व्यवसाइयों के एक वर्ग ने भारत में अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को संचालित करने की अनुमति देने के बारे में आपत्ति व्यक्त की है क्योंकि इससे शिक्षा की लागत बढ़ जाएगी, जिससे यह आबादी के एक बड़े हिस्से की पहुँच से बाहर हो जाएगी।
- विदेश में स्थित मूल संस्थानों को धन का प्रत्यावर्तन, जो कि पहले प्रतिबंधित था, को अब अनुमति दे दी गई है।
- भारत में कार्य करने के लिये विदेशी शिक्षा प्रदाताओं को कोष निर्माण हेतु किसी प्रकार की बाध्यता नहीं है
आगे की राह
- यदि भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र का मार्ग प्रशस्त हो जाता है, तो भारत विश्व गुरु न सही किंतु फिर से भारतीय समाज ज्ञानवान बनने की राह में एक कदम आगे होगा।
- संरक्षणवाद हमारी बौद्धिक सीमाओं को बंद नहीं करता, अपितु प्रतिस्पर्द्धा और सर्वश्रेष्ठ के साथ सहयोग वास्तव में भारतीय पुनर्जागरण की दिशा में सहायक होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. संविधान के निम्नलिखित प्रावधानों में से कौन से प्रावधान भारत की शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव डालते हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न 1. भारत में डिजिटल पहल ने देश में शिक्षा प्रणाली के कामकाज़ में कैसे योगदान दिया है? अपने उत्तर की विस्तृत व्याख्या कीजिये। (2020) प्रश्न 2. जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिये तथा भारत में उन्हें प्राप्त करने के उपायों का विस्तार से उल्लेख कीजिये। (2021) |