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जैव विविधता और पर्यावरण

मीथेन के उत्सर्जन और अवशोषण में व्यवधान

  • 16 Oct 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन, मीथेन चक्र, अमेज़न वर्षावन, आर्द्रभूमि , मीथेनोट्रोफिक सूक्ष्मजीव, लैंडफिल, पशुधन, मीथेन हाइड्रेट , ग्लोबल वार्मिंग क्षमता , ग्लोबल वार्मिंग, ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन, एरोबिक डाइज़ेशन, मैंग्रोव, साल्ट मार्श

मेन्स के लिये:

मीथेन चक्र पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और इसके विपरीत, मीथेन चक्र को संतुलित करने के लिये कदम।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, नए शोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण अमेज़न वर्षावन में मीथेन चक्र (मीथेन उत्सर्जन और अवशोषण) बाधित हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण वैश्विक परिणाम होंगे।

  • मीथेन चक्र प्रक्रियाओं की शृंखला को संदर्भित करता है जो पर्यावरण में मीथेन (CH4) के उत्पादन, खपत और उत्सर्जन को नियंत्रित करता है।

मीथेन पर शोध की मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • बाढ़ के मैदान पारिस्थितिकी तंत्र: अमेज़न में बाढ़ के मैदान (जलभराव वाले क्षेत्र) वैश्विक आर्द्रभूमि मीथेन उत्सर्जन में 29% तक का योगदान करते हैं। जलवायु परिवर्तन से मीथेन उत्पादक सूक्ष्मजीवों का खतरा बढ़ जाता है।
  • ऊँचे स्थान वाले वन: अमेज़न में ऊँचे स्थान वाले वन मीथेन सिंक के रूप में कार्य करते हैं। 
    • अध्ययन में पाया गया कि उच्चभूमि वाले वनों की मिट्टी में मीथेन का अवशोषण उष्ण एवं शुष्क परिस्थितियों में 70% तक कम हो गया है, जो मीथेन उत्सर्जन की कमी को प्रदर्शित करता है।
  • मीथेन चक्र: शोध में मीथेनोट्रोफिक सूक्ष्मजीवों की भूमिका पर भी गहनता से अध्ययन किया गया, जो मीथेन का उपभोग करते हैं। 
    • अध्ययन से पता चला कि एरोबिक और एनारोबिक दोनों प्रकार के मीथेन उपभोग करने वाले सूक्ष्मजीव बाढ़ के मैदानों में सक्रिय थे, जिससे अमेज़न में मीथेन चक्र की अंतःक्रियाएँ प्रभावित हुई।

मीथेन चक्र क्या है?

  • आर्द्रभूमि जैसे कई स्रोत हैं जो वायुमंडल में मीथेन (CH4) उत्सर्जित करते हैं। इसके अलावा, ऐसे सिंक या विधियाँ भी हैं जिसके द्वारा मीथेन उत्सर्जन को कम या समाप्त किया जाता है। 
  • मीथेन चक्र की प्रक्रिया मृदा में शुरू होती है जहाँ सूक्ष्मजीवों द्वारा मीथेन गैस का निर्माण होता है ।
  • मृदा द्वारा उत्पादित मीथेन का उपभोग मीथेनोट्रोफ्स  (मीथेन पर निर्भर रहने वाले सूक्ष्मजीव) के द्वारा किया जाता है।
  • मीथेनोजेन्स अधिक मीथेन का निर्माण करते हैं जिनका उपभोग मीथेनोट्रोफ्स द्वारा किया जाता है। 
    • मीथेनोट्रोफ्स शुष्क ऑक्सीजन युक्त मृदा की ऊपरी परतों में रहते हैं, क्योंकि उनकी अंतःक्रिया के लिये ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
    • उनके भोजन का बुलबुले के रूप में सतह पर उठने के साथ ही वायुमंडल में मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है। 
    • यह अन्य स्रोतों से प्राप्त मीथेन जैसे लैंडफिल, पशुधन और जीवाश्म ईंधन के दोहन से प्राप्त मीथेन में शामिल हो जाती है।
  • पृथ्वी के वायुमंडल से मीथेन को निष्कासित करने का मुख्य तंत्र हाइड्रॉक्सिल रेडिकल (OH) द्वारा क्षोभमंडल के भीतर ऑक्सीकरण है
    • हाइड्रॉक्सिल रेडिकल्स सिंक का एक रूप हैं जो पर्यावरण को प्रदूषक अणुओं से साफ तथा उनका अपघटन करते हैं। इस कारण से OH को 'वायुमंडल का क्लीनर‘ भी कहा जाता है।
  • OH के साथ प्रतिक्रिया करने के बाद, वायुमंडलीय मीथेन रासायनिक प्रतिक्रियाओं की एक लंबी शृंखला द्वारा CO2 में परिवर्तित हो जाती है।
  • क्षोभमंडल में मौजूद कुछ मीथेन समतापमंडल में पहुँच जाती है, जहाँ एक समान प्रक्रिया द्वारा इसे वायुमंडल से बाहर उत्सर्जित कर दिया जाता है।

Methane_Cycle

ग्लोबल वार्मिंग मीथेन चक्र को कैसे प्रभावित कर सकती है?

  • स्रोतों और सिंक में असंतुलन: आदर्श रूप से विश्व में मीथेन के स्रोत और अवशिष्ट कार्बन डाइऑक्साइड की तरह संतुलन स्थापित करते हैं, जबकि मानवीय गतिविधियों के कारण वायुमंडल में मीथेन की सांद्रता वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है।
    • वैज्ञानिक चिंतित हैं, क्योंकि जैसे-जैसे ग्रह के तापमान में वृद्धि होगी, मृदा या अन्य स्थानों से और अधिक मीथेन उत्सर्जित होगी, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या और बढ़ेगी।
  • मीथेन क्लैथ्रेट: मीथेन क्रिस्टलों का निर्माण ठंडे, ऑक्सीजन-रहित समुद्री तलछट में होता हैं। क्लैथ्रेट आर्कटिक और उप-आर्कटिक अक्षांशों में स्थायी रूप से जमी हुई मृदा, पर्माफ्रॉस्ट में भी फंस जाते हैं। 
    • क्लैथ्रेट आइस, जिसे मीथेन हाइड्रेट भी कहा जाता है, पानी की बर्फ के समान ठोस और सफेद रंग की होती है। हालाँकि, इस बर्फ में पानी के अणु होते हैं जो मीथेन के अणुओं के चारों ओर जमे होते हैं।
  • क्लैथ्रेट डिपॉज़िट्स (निक्षेपण) की भूमिका: क्लैथ्रेट डिपॉज़िट्स कभी सिंक के रूप में कार्य करते थे जो मीथेन पृथक करते थे। 
    • हालाँकि, जिस प्रकार ग्रह के तापमान में वृद्धि हो रही है, इनमें से कुछ गहरे, ठंडे तलछट पिघल रहे हैं, जिससे मीथेन का उत्सर्जन सतह पर होने लगा है। 
    • क्योंकि CH4 एक ग्रीनहाउस गैस है, जो वायुमंडल में तापमान का अवशोषण कर ग्रह के तामपान में और वृद्धि कर देती है

मीथेन चक्र में व्यवधान के वैश्विक परिणाम क्या हो सकते हैं?

  • ग्लोबल वार्मिंग में योगदानकर्त्ता: कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) के बाद मीथेन जलवायु परिवर्तन के लिये ज़िम्मेदार दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस है। 
    • अपनी उच्च ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (100 वर्ष की अवधि में कार्बन डाइऑक्साइड से 28 गुना अधिक) के कारण, मीथेन की छोटी मात्रा भी ग्लोबल वार्मिंग में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है ।
  • ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के प्रयासों पर रोक: संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में  कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने के बावजूद , वायुमंडलीय मीथेन में वृद्धि हुई थी।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: मीथेन हानिकारक वायु प्रदूषक, ट्रोपोस्फेरिक (क्षोभमण्डलीय) ओज़ोन  की एक प्रमुख पूर्ववर्ती गैस है। 
    • ओजोन विश्व भर में लगभग 1 मिलियन असामयिक श्वसन मृत्यु के लिये ज़िम्मेदार है। 
    • वैश्विक स्तर पर, मीथेन उत्सर्जन में वृद्धि, ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन स्तर में देखी गई वृद्धि के आधे भाग के लिये ज़िम्मेदार है।
  • वायु गुणवत्ता पर प्रभाव: मीथेन उत्सर्जन में वृद्धि से हाइड्रॉक्सिल रेडिकल्स (OH) कम हो जाते हैं, जो वायुमंडलीय प्रदूषकों के लिये एक प्राकृतिक डिटर्जेंट के रूप में कार्य करते हैं। यह कमी अन्य वायु प्रदूषकों को लंबे समय तक बने रहने देती है, जिससे वायु की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
  • कृषि पर प्रभाव: मीथेन वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि करके तथा ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन का निर्माण कर प्रतिवर्ष 15% तक मुख्य फसलों की हानि में योगदान प्रदान करती है।
  • आर्थिक प्रभाव: जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर मीथेन के प्रभाव के कारण अत्यधिक गर्मी के कारण वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष लगभग 400 मिलियन घंटों का कार्य प्रभावित होता है ।
  • जैव विविधता के लिये खतरा: मीथेन से प्रेरित जलवायु परिवर्तन से पारिस्थितिकी तंत्र बाधित होता है, जिससे प्रजातियों के वितरण में बदलाव होता है, जैव विविधता की हानि को दर्शाता है, साथ ही पारिस्थितिकी तंत्र में अस्थिरता आती है, जिससे पौधों और पशुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

हम मीथेन चक्र को कैसे संतुलित कर सकते हैं?

  • उन्नत लैंडफिल डिज़ाइन: लैंडफिल में लाइनिंग प्रणालियों और गैस संग्रहण कुओं का उपयोग ऊर्जा उपयोग हेतु मीथेन संग्रहण के लिये किया जा सकता है, बजाय इसके कि उसे वायुमंडल में उत्सर्जित होने दिया जाए।
  • पशुधन प्रबंधन: यह प्रदर्शित किया गया है कि कुछ एंज़ाइम या समुद्री शैवाल जुगाली करने वाले पशुओं से होने वाले मीथेन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं, जिससे पशुओं से होने वाले उत्सर्जन को कम करने में सहायता मिल सकती है।
  • एरोबिक उपचार विधियाँ:  एरोबिक डाइज़ेशन जैसी प्रक्रिया द्वारा मीथेन उत्पन्न किये बिना अपशिष्ट जल से कार्बनिक पदार्थों को प्रभावी ढंग से समाप्त किया जा सकता है।
  • चावल के उत्पादन से संबंधित तकनीक: खेतों में जलमग्नता के समय को कम करके, वैकल्पिक रूप से गीला करने और सुखाने (alternative wetting and drying practices) की तकनीकों से चावल उत्पादन में मीथेन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
  • मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन : जैविक उर्वरकों और फसल चक्र के उपयोग के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य को बढ़ाने से मृदा में एरोबिक स्थितियों को बढ़ावा देकर मीथेन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है, जो मीथेन उत्पादन के लिये कम अनुकूल हैं।
  • कीट नियंत्रण: जिन क्षेत्रों में दीमक उत्सर्जन काफी अधिक है, वहाँ पर्यावरण अनुकूल कीट नियंत्रण तकनीकों पर शोध से दीमकों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
  • तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली: तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों, जैसे मैंग्रोव और साल्ट मार्श की सुरक्षा और पुनर्स्थापना से कार्बन को अवशोषित करने की उनकी क्षमता में वृद्धि हो सकती है तथा तलछट से मीथेन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
  • सुरक्षित निष्कर्षण पद्धतियाँ: यदि ऊर्जा के लिये मीथेन हाइड्रेट्स का निष्कर्षण किया जाना है, तो सुरक्षित निष्कर्षण प्रौद्योगिकियों का विकास करना महत्त्वपूर्ण है, जो मीथेन उत्सर्जन को न्यूनतम कर सकें।
  • जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी: जीवाश्म ईंधन के खनन और उपयोग से जुड़े मीथेन उत्सर्जन को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर स्विच करके समग्र रूप से कम किया जा सकता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में मीथेन चक्र के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। मीथेन के प्रमुख स्रोत और सिंक क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. ‘मीथेन हाइड्रेट’ के निक्षेपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं? 

  1. भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मीथेन गैस का निर्मुक्त होना प्रेरित हो सकता है।  
  2. ‘मीथेन हाइड्रेट’ के विशाल निक्षेप उत्तरी ध्रुवीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं।   
  3. वायुमंडल में मीथेन एक या दो दशक के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाती है। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d) 

Q. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड  
  2. मीथेन 
  3. ओज़ोन  
  4. सल्फर  डाइऑक्साइड 

उपर्युक्त में से कौन-से फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वातावरण में छोड़े जाते हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 1 और 4 
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (d) 

मेन्स

प्रश्न. आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरुप और मानवीय गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं? स्पष्ट कीजिये। (250 शब्द) (2021)

प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत कैसे प्रभावित होगा? भारत के हिमालयी और तटीय राज्य जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होंगे? (2017)

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