भारतीय राजनीति
दीमा हसाओ शांति समझौता: असम
- 29 Apr 2023
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प्रिलिम्स के लिये:दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी, NCHAC, छठी अनुसूची, अहोम नियम मेन्स के लिये:दीमा हसाओ शांति समझौता, दिमासा आदिवासी एवं छठी अनुसूची के तहत उनका संरक्षण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (DNLA) ने असम सरकार एवं केंद्र सरकार के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- सितंबर 2021 में DNLA ने मुख्यमंत्री की अपील के पश्चात् छह माह की अवधि के लिये एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा की थी तभी से संघर्ष-विराम में वृद्धि हुई है।
समझौते का उद्देश्य:
- एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए हैं जो DNLA को अपने हथियार डालने और भारत के संविधान का पालन करने के लिये मज़बूर करता है।
- इससे समूह अपने सशस्त्र संगठन को भंग कर देगा, DNLA कैडरों के कब्ज़े वाले सभी शिविरों को खाली कर देगा और मुख्यधारा में शामिल हो जाएगा।
- कुल 179 DNLA कैडर अपने हथियार और गोला-बारूद सौंपेंगे।
- दिमासा आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिये केंद्र और राज्य सरकार प्रत्येक को 500 करोड़ रुपए प्रदान करेगी।
- दिमासा कल्याण परिषद की स्थापना असम सरकार द्वारा राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षिक आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु एक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भाषायी पहचान की रक्षा, संरक्षण तथा बढ़ावा देने के लिये की जाएगी और यह उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद (NCHAC) के अधिकार क्षेत्र के बाहर रहने वाले दिमासा लोगों का त्वरित तथा केंद्रित विकास सुनिश्चित करेगा।
- NCHAC का संचालन दिमासा जनजातीय क्षेत्र में किया जाता है।
- समझौता ज्ञापन भारत के संविधान की छठी अनुसूची के अनुच्छेद 14 के तहत एक आयोग की नियुक्ति का भी प्रावधान करता है, जो परिषद के साथ NCHAC से जुड़े अतिरिक्त गाँवों को शामिल करने की मांग की जाँच करेगा।
- अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची स्वायत्त प्रशासनिक विभाग, जिनके पास राज्य के भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता है, स्वायत्त ज़िला परिषदों (ADC) के गठन का प्रावधान करती है।
दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (DNLA):
- यह असम के दीमा हसाओ और कार्बी आंगलोंग ज़िलों में सक्रिय एक विद्रोही समूह है।
- DNLA की स्थापना अप्रैल 2019 में दिमासा आदिवासियों के लिये एक संप्रभु क्षेत्र की मांग करते हुए की गई थी और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये एक सशस्त्र विद्रोह शुरू किया था।
- समूह का उद्देश्य "दिमासा के बीच भाईचारे की भावना विकसित करना और दिमासा साम्राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिये दिमासा समाज के बीच विश्वास का पुनर्निर्माण करना" है।
- यह समूह ज़बरन वसूली और कराधान पर चलता है। यह नगालैंड के NSCN (IM) से समर्थन और जीविका प्राप्त करता है।
दिमासा:
- परिचय:
- दिमासा (या दिमासा-कछारी) असम के सबसे पहले ज्ञात शासक और मूलवासी हैं तथा अब मध्य एवं दक्षिणी असम के दीमा हसाओ, कार्बी आंगलोंग, कछार, होजई एवं नागाँव ज़िलों के साथ-साथ नगालैंड के कुछ हिस्सों में रहते हैं।
- कुछ इतिहासकार उन्हें "आदिवासी" या "ब्रह्मपुत्र घाटी के सबसे पहले ज्ञात निवासी" के रूप में वर्णित करते हैं।
- अहोम शासन से पहले दिमासा राजाओं- जिन्हें प्राचीन कामरूप साम्राज्य के शासकों का वंशज माना जाता था, ने 13वीं और 16वीं शताब्दी के बीच ब्रह्मपुत्र के दक्षिण तट के साथ असम के बड़े हिस्सों पर शासन किया था।
- उनकी सबसे पुरानी ऐतिहासिक रूप से ज्ञात राजधानी दीमापुर (अब नगालैंड में) थी और बाद में उत्तरी कछार हिल्स में मैबांग थी।
- यह एक शक्तिशाली राज्य था और 16वीं शताब्दी में इसने ब्रह्मपुत्र के लगभग पूरे दक्षिणी क्षेत्र को अपने नियंत्रण में रखा था।
- दिमासा (या दिमासा-कछारी) असम के सबसे पहले ज्ञात शासक और मूलवासी हैं तथा अब मध्य एवं दक्षिणी असम के दीमा हसाओ, कार्बी आंगलोंग, कछार, होजई एवं नागाँव ज़िलों के साथ-साथ नगालैंड के कुछ हिस्सों में रहते हैं।
- सुरक्षा:
- दीमा हसाओ ज़िला और कार्बी आंगलोंग दोनों को भारत के संविधान द्वारा दी गई छठी अनुसूची का दर्जा प्राप्त है।
- वे क्रमशः उत्तरी कछार पर्वतीय स्वायत्त परिषद (NCHAC) और कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) द्वारा चलाए जाते हैं।
- स्वायत्त परिषद एक शक्तिशाली निकाय है और पुलिस एवं कानून व्यवस्था को छोड़कर सरकार के लगभग सभी विभाग इसके नियंत्रण में हैं जो असम सरकार के अधीन हैं।
दीमा हसाओ क्षेत्र में उग्रवाद का इतिहास:
- उग्रवाद:
- असम के पहाड़ी ज़िलों, कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ में कार्बी एवं दिमासा समूहों के विद्रोह का एक लंबा इतिहास रहा है, जो वर्ष 1990 के दशक के मध्य में चरम पर था, यह मुख्य रूप से अलग राज्य की मांग पर आधारित था।
- दीमा हसाओ क्षेत्र में अविभाजित असम के अन्य आदिवासी वर्गों के साथ 1960 के दशक में अलग राज्य की मांग शुरू हुई।
- जब मेघालय जैसे नए राज्यों की स्थापना की गई थी, कार्बी आंगलोंग और उत्तरी कछार सरकार द्वारा अधिक शक्ति प्रदान किये जाने के वादे की वजह से असम के साथ बने रहे, जिसमें अनुच्छेद 244 (A) को लागू करना शामिल था। यह अनुच्छेद कुछ जनजातीय क्षेत्रों में असम के भीतर एक 'स्वायत्त राज्य' की अनुमति देता है। इसे कभी लागू नहीं किया गया।
- दिमासा राष्ट्रीय सुरक्षा बल:
- 'दिमाराजी' के रूप में एक पूर्ण राज्य की मांग में काफी वृद्धि देखने के उपरांत वर्ष 1991 में उग्रवादी दिमासा राष्ट्रीय सुरक्षा बल (DNSF) का गठन किया गया।
- मांग करने वाले समूह ने वर्ष 1995 में आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन इसके कमांडर-इन-चीफ (जेवेल गोरलोसा) ने इससे अलग दीमा हलाम दाओगाह (DHD) का गठन किया।
- वर्ष 2003 में DHD ने सरकार के साथ बातचीत शुरू की, लेकिन इसके कमांडर-इन-चीफ ने ब्लैक विडो (Black Widow) नामक एक सशस्त्र समूह के साथ मिलकर नए DHD-J (जेवेल गोरलोसा) का गठन किया।
- यह समूह हिंसक था और इन्हें काफी समर्थन भी प्राप्त था। वर्ष 2012 इस समूह ने संघर्ष विराम पर हस्ताक्षर किये।
- 'दिमाराजी' के रूप में एक पूर्ण राज्य की मांग में काफी वृद्धि देखने के उपरांत वर्ष 1991 में उग्रवादी दिमासा राष्ट्रीय सुरक्षा बल (DNSF) का गठन किया गया।
पूर्वोत्तर भारत के अन्य शांति समझौते:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:मेन्स:प्रश्न. भारत का उत्तरी-पूर्वी प्रदेश बहुत लंबे समय से विद्रोह ग्रसित है। इस प्रदेश में सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारणों का विश्लेषण कीजिये। (2017) |