डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता प्राधिकरण | 11 Aug 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण, राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, रेडियो एक्सेस नेटवर्क, ई-कॉमर्स, IoT, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, स्मार्ट सिटीज़, डिजिटल इंडिया मेन्स के लिये:डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) ने हाल ही में यूनिफाइड लाइसेंस (Unified License- UL) के तहत डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता प्राधिकरण की शुरुआत पर सिफारिशें जारी कीं।
- ये सिफारिशें राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (National Digital Communications Policy- NDCP), 2018 के अनुरूप हैं, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में डिजिटल बुनियादी ढाँचे की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती हैं।
TRAI की प्रमुख सिफारिशें:
- DCIP प्राधिकरण का निर्माण: TRAI, लाइसेंस की एक नई श्रेणी डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर (Digital Connectivity Infrastructure Provider- DCIP) प्राधिकरण के निर्माण की सिफारिश करता है।
- यह प्राधिकरण सक्रिय और निष्क्रिय दोनों डिजिटल कनेक्टिविटी बुनियादी ढाँचे के निर्माण की अनुमति देता है।
- DCIP प्राधिकरण एक स्टैंडअलोन लाइसेंस (Standalone License) नहीं है बल्कि यूनिफाइड लाइसेंस फ्रेमवर्क (Unified License Framework) के अंतर्गत आता है। इस कदम का उद्देश्य सक्रिय और निष्क्रिय DCI बनाने में विशेषज्ञता वाले अभिकर्त्ताओं के उद्भव को प्रोत्साहित करना है।
- यूनिफाइड लाइसेंस सेवा-वार प्राधिकरण प्रदान करता है, जहाँ लाइसेंसधारी नेटवर्क स्थापित करने और सेवाएँ प्रदान करने के लिये उनका उपयोग करते हैं।
- DCIP प्राधिकरण का प्रयोजन: प्रस्तावित DCIP प्राधिकरण का प्रयोजन व्यापक है, जिसमें वायरलाइन एक्सेस नेटवर्क (Wireline Access Network), रेडियो एक्सेस नेटवर्क (Radio Access Network- RAN), वाई-फाई सिस्टम (Wi-Fi Systems), ट्रांसमिशन लिंक (Transmission Links) इत्यादि जैसे विभिन्न घटकों के स्वामित्व, स्थापना, रखरखाव और संचालन को शामिल किया गया है।
- हालाँकि इसमें मुख्य नेटवर्क तत्त्व (Elements) और स्पेक्ट्रम (Spectrum) शामिल नहीं हैं।
- स्व-विनियमन और अनुपालन: सुरक्षा शर्तों, सेवा की गुणवत्ता (Quality of Service- QoS) तथा अन्य लाइसेंस दायित्वों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये TRAI, DCIP एवं लाइसेंस प्राप्त संस्थाओं के बीच एक प्रिंसिपल-एजेंट संबंध का प्रस्ताव करता है।
- बुनियादी ढाँचे को साझा करना: DCIP लाइसेंसधारियों को कुछ शर्तों के अधीन UL (Unified License) लाइसेंसधारियों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISP) के साथ अपने बुनियादी ढाँचे को साझा करने की अनुमति है।
- यह साझाकरण लागत में कमी के साथ कुशल सेवा वितरण को बढ़ावा देने के साथ सहयोग में वृद्धि करता है।
- योग्य संस्थाओं तक पहुँच: DCIP लाइसेंसधारियों को टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत वैध लाइसेंस वाली संस्थाओं के रूप में अधिसूचित संस्थाओं को सरकार द्वारा पट्टे/किराए/बिक्री के आधार पर DCI वस्तुओं, उपकरण और सिस्टम प्रदान करने की सिफारिश की जाती है।
- इसका विस्तार उन DCIP लाइसेंसधारियों तक भी है, जिन्हें विद्युत अधिनियम के तहत लाइसेंस प्राप्त हुआ है, जो इस अधिकार के आधार पर अपने बुनियादी ढाँचे तक पहुँच को बढ़ावा देते हैं।
डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्त्व:
- परिचय:
- डिजिटल बदलाव के इस आधुनिक युग में डिजिटल कनेक्टिविटी आर्थिक विकास के बुनियादी ढाँचे, सामाजिक प्रगति और तकनीकी नवाचार की आधारशिला के रूप में उभरी है, जिसे NDCP, 2018 में दर्शाया गया है।
- TRAI की हालिया सिफारिशों का उद्देश्य जल, विद्युत और अग्नि सुरक्षा प्रणालियों जैसी अन्य आवश्यक सेवाओं के अनुरूप भवन विकास योजनाओं में DCI को एकीकृत करने के लिये एक रूपरेखा स्थापित करना है।
- महत्त्व:
- संचार और सूचना प्रवाह को सुगम बनाना: डिजिटल कनेक्टिविटी ब्रॉडबैंड नेटवर्क और मोबाइल सेवाओं जैसे बुनियादी ढाँचे, भौगोलिक सीमाओं के पार त्वरित संचार को सक्षम बनाती है।
- यह सूचना, विचारों और ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करती है, जो शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार के विकास में योगदान प्रदान करते हैं।
- आर्थिक विकास की वृद्धि: डिजिटल कनेक्टिविटी व्यवसायों को वैश्विक बाज़ार तक पहुँच प्रदान करके आर्थिक विकास के लिये उत्प्रेरक का कार्य करती है।
- ग्राहक ई-कॉमर्स, ऑनलाइन सेवाएँ और डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुँचने और परिचालन को सुव्यवस्थित करने के लिये कनेक्टिविटी का लाभ उठाते हैं, जिससे व्यापार एवं आर्थिक गतिविधि में वृद्धि होती है।
- डिजिटल सेवाओं को सशक्त बनाना: टेलीमेडिसिन, ई-गवर्नेंस और ऑनलाइन शिक्षा जैसी डिजिटल सेवाओं के लिये हाई-स्पीड इंटरनेट एवं विश्वसनीय कनेक्टिविटी की उपलब्धता आवश्यक है।
- ये सेवाएँ पहुँच, दक्षता और समावेशिता में सुधार करती हैं, जिससे जीवन की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
- नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा: डिजिटल कनेक्टिविटी अवसंरचना सहयोग, डेटा साझाकरण एवं दूरस्थ कार्य को सक्षम करके नवाचार को बढ़ावा देती है।
- उद्यमी आर्थिक विविधीकरण में योगदान करते हुए नवोन्वेषी उत्पादों एवं सेवाओं को विकसित करने के साथ उन्हें लॉन्च करने के लिये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का लाभ उठा सकते हैं।
- उद्योग परिवर्तन का समर्थन: विनिर्माण, कृषि एवं स्वास्थ्य सेवा जैसे उद्योग डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुज़र रहे हैं, जो स्वचालन, IoT एवं डेटा एनालिटिक्स को लागू करने के लिये कनेक्टिविटी पर निर्भर हैं।
- स्मार्ट फैक्टरियाँ, प्रिसिजन एग्रीकल्चर और टेलीमेडिसिन इस बात के कुछ उदाहरण हैं कि कैसे कनेक्टिविटी पारंपरिक क्षेत्रों में क्रांति ला रही है।
- डिजिटल एवं सामाजिक विभाजन अंतराल को समाप्त करना: डिजिटल कनेक्टिविटी अवसंरचना पहले से वंचित या दूरदराज़ के क्षेत्रों को सूचना, शिक्षा तथा आर्थिक अवसरों तक पहुँच प्रदान करके डिजिटल विभाजन के अंतराल को समाप्त करने में सहायता प्रदान करती है।
- साथ ही सामाजिक समावेशन में योगदान के साथ ही यह सुनिश्चित करते हुए असमानताओं को कम करता है ताकि समाज के सभी वर्ग तकनीकी प्रगति से लाभान्वित हो सकें।
- न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन: यह डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) तथा स्मार्ट सिटी के विकास जैसी विभिन्न सरकारी पहलों के सुव्यवस्थित कार्यान्वयन को सक्षम बनाता है।
- डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा भी भारत की जी-20 प्राथमिकताओं में से एक है।
- संचार और सूचना प्रवाह को सुगम बनाना: डिजिटल कनेक्टिविटी ब्रॉडबैंड नेटवर्क और मोबाइल सेवाओं जैसे बुनियादी ढाँचे, भौगोलिक सीमाओं के पार त्वरित संचार को सक्षम बनाती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, के विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. G-20 के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |