अंतर्राष्ट्रीय संबंध
देवास-एंट्रिक्स डील
- 20 Jan 2022
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन, एस-बैंड ट्रांसपोंडर, इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन, आईसीसी, एनसीएलएटी, एनसीएलटी। मेन्स के लिये:संचार प्रणालियों का विकास। |
चर्चा में क्यों?
भारतीय अंतरिक्ष विभाग की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स और बंगलूरु स्थित स्टार्टअप देवास मल्टीमीडिया के बीच विवादास्पद सौदा एक दशक से अधिक समय से सवालों के घेरे में है।
प्रमुख बिंदु:
- स्पेक्ट्रम का आवंटन: अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ ने भारत को एस-बैंड स्पेक्ट्रम 1970 के दशक में प्रदान किया था।
- इसरो को स्पेक्ट्रम सौंपना: वर्ष 2003 तक यह संकोच था कि यदि इसका प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं किया गया तो स्पेक्ट्रम नष्ट हो सकता है।
- स्थलीय उपयोग के लिये दूरसंचार विभाग (DoT) को 40 मेगाहर्ट्ज का एस-बैंड दिया गया था।
- 70 मेगाहर्ट्ज का अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) या भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा उपयोग किया जाना था।
- संचार प्रणालियों के विकास के लिये वैश्विक बातचीत: प्रारंभ में भारत में संचार प्रणालियों के विकास हेतु उपग्रह स्पेक्ट्रम के उपयोग के लिये जुलाई 2003 में फोर्ज (एक यूएस कंसल्टेंसी) और एंट्रिक्स द्वारा एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे, लेकिन बाद में एक स्टार्टअप की परिकल्पना की गई और देवास मल्टीमीडिया शुरू किया गया।
- इसके बाद देवास मल्टीमीडिया विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रहा।
- सौदे पर हस्ताक्षर: वर्ष 2005 में पट्टे पर एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम का उपयोग करने वाले मोबाइल उपयोगकर्त्ताओं को मल्टीमीडिया सेवाएँ प्रदान करने के लिये सौदे पर हस्ताक्षर किये गए।
- इस सौदे के तहत इसरो देवास को दो संचार उपग्रह (जीसैट-6 और 6ए) 12 वर्ष के लिये लीज़ पर देगा।
- बदले में देवास उपग्रहों पर एस-बैंड ट्रांसपोंडर का उपयोग करके भारत में मोबाइल प्लेटफॉर्म को मल्टीमीडिया सेवाएँ प्रदान करेगा।
- सौदे के परिणामस्वरूप देवास ने पहले जैसी तकनीकों को पेश कर उनका उपयोग किया।
- सौदे को रद्द करना: इस सौदे को वर्ष 2011 में इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी में घोटाला हुआ है।
- यह फैसला 2जी घोटाले के बीच लिया गया था और आरोप लगाया गया कि देवास सौदे में लगभग 2 लाख करोड़ रुपए के संचार स्पेक्ट्रम को कुछ समय के लिये सौंपना शामिल है।
- सरकार ने यह भी माना कि उसे राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य सामाजिक उद्देश्यों के लिये एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम की आवश्यकता है।
- भ्रष्टाचार के आरोप: इस बीच अगस्त 2016 में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने देवास इसरो और एंट्रिक्स के अधिकारियों के खिलाफ "आपराधिक साजिश का पक्ष" होने के लिये सौदे के सम्बन्ध में एक आरोप पत्र दायर किया।
- इसमें इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर और एंट्रिक्स के पूर्व कार्यकारी निदेशक के. आर. श्रीधरमूर्ति शामिल थे।
- इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल आर्बिट्रेशन: देवास मल्टीमीडिया ने इंटरनेशनल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (ICC) में विलोपन के खिलाफ मध्यस्थता शुरू की।
- भारत-मॉरीशस द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) के तहत देवास मल्टीमीडिया में मॉरीशस के निवेशकों द्वारा और भारत-जर्मनी द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) के तहत एक जर्मन कंपनी - ड्यूश टेलीकॉम द्वारा दो अलग-अलग मध्यस्थता भी शुरू की गई थी।
- भारत को तीनों विवादों में हार का सामना करना पड़ा और नुकसान के तौर पर कुल 1.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना पड़ा।
- ट्रिब्यूनल के निर्णय बाद: भारत सरकार द्वारा मुआवज़े का भुगतान नहीं करने के कारण एक फ्राँँसीसी न्यायालय ने हाल ही में पेरिस में भारत सरकार की संपत्ति को फ्रीज़ करने का आदेश दिया है, ताकि 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि का भुगतान किया जा सके।
- भारतीय मध्यस्थता परिदृश्य: हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के वर्ष 2011 के रुख को दोहराया और भारत में देवास मल्टीमीडिया व्यवसाय को बंद करने का निर्देश दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पिछले फैसले को भी बरकरार रखा।
- एंट्रिक्स ने जनवरी 2021 में भारत में देवास के परिसमापन के लिये NCLAT में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि इसे एक अनुचित तरीके से निगमित किया गया था।
- इन न्यायाधिकरणों ने देवास मल्टीमीडिया को बंद करने का निर्देश दिया था और इस उद्देश्य के लिये एक अस्थायी परिसमापक नियुक्त किया था।
विदेशों में भारतीय संपत्ति की ज़ब्ती
- नियमों के मुताबिक, राज्य और उसकी संपत्ति अन्य देशों के न्यायालयों में कानूनी कार्यवाही से सुरक्षित हैं।
- यह अंतर्राष्ट्रीय कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है, जिसे ‘स्टेट इम्युनिटी’ कहा जाता है।
- इसमें क्षेत्राधिकार और निष्पादन दोनों से उन्मुक्ति शामिल होती है।
- हालाँकि विभिन्न देशों की कानूनी प्रणालियों से राज्य की सुरक्षा का कोई अंतर्राष्ट्रीय कानूनी साधन उपलब्ध नहीं है।
- इसने एक अंतर्राष्ट्रीय शून्यता को जन्म दिया है।
- नतीजतन, विभिन्न देशों ने अपने राष्ट्रीय कानूनों और ‘स्टेट इम्युनिटी’ पर घरेलू न्यायिक प्रथाओं के माध्यम से इस शून्यता को कम करने का प्रयास किया है।
- फ्राँँस जैसे देश प्रतिबंधात्मक इम्युनिटी की अवधारणा का पालन करते हैं (एक विदेशी राज्य केवल संप्रभु कार्यों के लिये ही प्रतिरक्षित है) और पूर्ण इम्युनिटी (विदेशी न्यायालय में सभी कानूनी कार्यवाही से समग्र सुरक्षा) के सिद्धांत को नहीं मानते हैं।
- द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) के तहत दिये गए निर्णयों के निष्पादन के संदर्भ में इसका तात्पर्य है कि संप्रभु कार्यों (राजनयिक मिशन भवन, केंद्रीय बैंक संपत्ति, आदि) में संलग्न राज्य संपत्ति को ज़ब्त नहीं किया जा सकता है।
- हालाँकि वाणिज्यिक कार्यों में संलग्न संपत्तियों को ज़ब्त किया जा सकता है।
S-बैंड स्पेक्ट्रम
- एस-बैंड स्पेक्ट्रम, जो देवास-इसरो सौदे का हिस्सा है, मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिये उपयोग होने के साथ-साथ रुपए के मामले में भी बेहद मूल्यवान है।
- इस आवृत्ति (यानी 2.5 Ghz बैंड) का उपयोग विश्व स्तर पर फोर्थ जनरेशन की तकनीकों जैसे वाईमैक्स और लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (LTE) का उपयोग करके मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवाएँ प्रदान करने हेतु किया जाता है।
- यह आवृत्ति बैंड अद्वितीय है क्योंकि इसमें पर्याप्त मात्रा में स्पेक्ट्रम (190 मेगाहर्ट्ज) है, जिसे मोबाइल सेवाओं के लिये उपयोग किया जा सकता है।
द्विपक्षीय निवेश संधि
- द्विपक्षीय निवेश समझौते से तात्पर्य एक ऐसे समझौते से है जो उन नियमों एवं शर्तों को तय करता है, जिनके तहत किसी एक देश के नागरिक व कंपनियाँ किसी दूसरे देश में निजी निवेश करते हैं। ऐसी अधिकतर संधियों में विवादों की स्थिति में कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ मध्यस्थता का कार्य करती हैं।
- एक-दूसरे के क्षेत्रों में हस्ताक्षरकर्त्ता देश के नागरिकों द्वारा किये गए निजी निवेश के प्रचार और संरक्षण के लिये पारस्परिक उपक्रम वाले दो देशों के बीच एक समझौता।
- बीआईटी के एक हस्ताक्षरकर्ता द्वारा अवैध राष्ट्रीयकरण और विदेशी संपत्तियों के स्वामित्व व अन्य कार्यों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की जाती है जो अन्य हस्ताक्षरकर्ता के राष्ट्रीय स्वामित्व या आर्थिक हित को कमज़ोर कर सकते हैं।
- बीआईटी में भारत सरकार द्वारा निवेशक के अधिकारों और सरकारी दायित्वों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय उदाहरणों और व्यवहारों के परिप्रेक्ष्य में भारत में विदेशी निवेशकों और विदेश में भारतीय निवेशकों को समुचित सुरक्षा प्रदान की गई है।
एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- यह भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जिसका प्रशासनिक नियंत्रण अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के पास है।
- एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सितंबर 1992 में अंतरिक्ष उत्पादों, तकनीकी परामर्श सेवाओं और इसरो द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के वाणिज्यिक दोहन व प्रचार प्रसार के लिये सरकार के स्वामित्व वाली एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था।
- इसका एक अन्य प्रमुख उद्देश्य भारत में अंतरिक्ष से संबंधित औद्योगिक क्षमताओं के विकास को आगे बढ़ाना है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की वाणिज्यिक एवं विपणन शाखा के रूप में एंट्रिक्स पूरे विश्व में अपने अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों को अंतरिक्ष उत्पाद और सेवाएँ उपलब्ध करा रही है।
अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ
- अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union- ITU) सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के लिये संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है।
- इसे संचार नेटवर्क में अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी की सुविधा के लिये वर्ष 1865 में स्थापित किया गया। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
- यह वैश्विक रेडियो स्पेक्ट्रम और उपग्रह की कक्षाओं को आवंटित करता है, तकनीकी मानकों को विकसित करता है ताकि नेटवर्क और प्रौद्योगिकियों को निर्बाध रूप से आपस में जोड़ा जा सके और दुनिया भर में कम सेवा वाले समुदायों के लिये ICT तक पहुँच में सुधार करने का प्रयास किया जाए।
- भारत को अगले 4 वर्षों की अवधि (2019-2022) के लिये पुनः अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) परिषद का सदस्य चुना गया है। भारत वर्ष 1952 से इसका एक नियमित सदस्य बना हुआ है।
इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC)
- ICC दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक संगठन है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और ज़िम्मेदार व्यावसायिक आचरण को बढ़ावा देने के लिये काम कर रहा है।
- यह वर्ष 1923 से व्यापार और निवेश का समर्थन करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक और व्यावसायिक विवादों में कठिनाइयों को हल करने में मदद कर रहा है।
- ICC का मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है।