वायु प्रदूषण नियंत्रण पर दिल्ली की शीतकालीन योजना | 16 Sep 2024
प्रिलिम्स के लिये:वायु प्रदूषण, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), दिल्ली नगर निगम (MCD), पीएम 2.5 उत्सर्जन, भूमंडलीय लेवल ओज़ोन (O3) प्रदूषण, सफर, पराली दहन, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC), धुंध, पराबैंगनी (UV) विकिरण। मेन्स के लिये:सर्दियों के दौरान दिल्ली में वायु प्रदूषण, दिल्ली में भूमंडलीय ओज़ोन का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिये 21 सूत्री शीतकालीन कार्य योजना शुरू की, जिसमें वास्तविक समय ड्रोन सर्वेक्षण और एक विशेष टास्क फोर्स शामिल है।
दिल्ली की शीतकालीन कार्य योजना में क्या शामिल है?
- वास्तविक समय ड्रोन सर्वेक्षण: पहली बार ड्रोन वास्तविक समय डेटा प्रदान करने और प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों को बढ़ाने के लिये पूरे शहर में प्रदूषण हॉटस्पॉट की निगरानी करेंगे।
- विशेष कार्य बल: कार्य योजना के कार्यान्वयन की निगरानी और प्रभावी निष्पादन सुनिश्चित करने के लिये एक समर्पित कार्य बल की स्थापना की जाएगी।
- योजना के मुख्य केंद्र बिंदु: इस योजना का लक्ष्य प्रदूषण के हॉटस्पॉटों पर ध्यान केंद्रित करना है, जिसका लक्ष्य उच्चतम प्रदूषण स्तर वाले क्षेत्रों पर ध्यान देना है।
- यह वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करके तथा धूल को नियंत्रित करके वाहनों और धूल प्रदूषण की समस्या का समाधान करता है।
- रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक घर से कार्य करने की नीति है, जिसका उद्देश्य निजी संगठनों को दूरस्थ कार्य अपनाने के लिये प्रोत्साहित करके वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना है।
- यह योजना पराली एवं अपशिष्ट दहन की समस्या से निपटती है, औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित करती है तथा वाहनों की सम-विषम योजना, प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिये कृत्रिम वर्षा और हरित रत्न (पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों में भाग लेने वाले संगठनों के लिये एक हरित पुरस्कार) जैसे आपातकालीन उपायों हेतु तैयारी करती है।
- प्रमुख हितधारक: प्रदूषण की निगरानी के लिये पर्यावरण विभाग को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), दिल्ली नगर निगम (MCD), दिल्ली यातायात पुलिस, दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढाँचा विकास निगम (DSIIDC) के साथ मिलकर योजना के विभिन्न पहलुओं की देखरेख करने हेतु नामित किया गया है।
सर्दियों के दौरान दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं?
- पराली दहन: पंजाब और हरियाणा में किसान अगली फसल हेतु अपने खेतों को तैयार करने के लिये फसल अवशेष जलाते हैं। इससे बहुत अधिक धुआँ तथा पार्टिकुलेट मैटर (PM) का उत्सर्जन होता है, जो वायु के साथ दिल्ली तथा उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में पहुँच जाता है।
- वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के अनुसार, वर्ष 2023 में दिल्ली के प्रदूषण में पराली दहन का योगदान महत्त्वपूर्ण था।
- पराली दहन से वातावरण में जहरीले प्रदूषक उत्सर्जित होते हैं जिनमें कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), मीथेन (CH4) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) जैसी हानिकारक गैसें शामिल हैं।
- वाहन उत्सर्जन: दिल्ली में चलने वाली असंख्य कारों, ट्रकों, बसों और दोपहिया वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है।
- ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार, दिल्ली में पीएम 2.5 उत्सर्जन का मुख्य स्रोत परिवहन क्षेत्र है (कुल पीएम 2.5 उत्सर्जन का 28%)।
- दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के अनुसार, दिल्ली में ट्रैफिक हॉट स्पॉट भूमंडलीय लेवल ओज़ोन (O3) प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है, जिसके स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
- वायु की दिशा: दिल्ली के वायु प्रदूषण में विशेषकर सर्दियों के महीनों के दौरान वायु की दिशा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दिल्ली में वायु की प्रमुख दिशा मानसून के बाद उत्तर-पश्चिमी होती है। हरियाणा व पंजाब में जब पराली दहन किया जाता है तो ये वायु शहर में धूल और धुआँ लेकर आती हैं।
- राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, सर्दियों में दिल्ली की 72% वायु भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों और पाकिस्तान से आती है, जबकि शेष 28% वायु सिंधु-गंगा के मैदानों से आती है।
- वायु की दिशा में परिवर्तन हानिकारक प्रदूषकों को शहर में प्रवेश करने से रोकता है।
- ला नीना वायुमंडलीय परिसंचरण गतिशीलता में परिवर्तन करके दिल्ली में वायु पैटर्न को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।
- शुष्क एवं स्थिर वायु: सर्दियों में कम वर्षा और कम वायु गति के कारण प्रदूषक बह नहीं पाते या फैल नहीं पाते, जिससे वायु की गुणवत्ता में कमी आती है तथा वायु में PM का संचय होता है।
- तापमान व्युत्क्रमण: तापमान व्युत्क्रमण एक ऐसी घटना है, जो तब होती है जब वायु का तापमान सामान्य रूप से घटने के बजाय ऊँचाई के साथ बढ़ता है। इससे ठंडी वायु की परत के ऊपर गर्म वायु की एक परत बन जाती है, जिससे प्रदूषक ज़मीन के पास फँस जाते हैं।
- दिल्ली का प्रदूषण सर्दियों में, जब मौसम ठंडा और शांत होता है, तापमान व्युत्क्रमण से प्रभावित होता है।
- प्रदूषक निचले वायुमंडल में एकत्र हो जाते हैं और धुंध की एक मोटी परत बनाते हैं, जो प्रदूषकों को ऊपर उठने तथा फैलने से रोकता है, जिससे सतह के पास प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
- प्रदूषण के अन्य स्रोत: अन्य शीतकालीन प्रदूषण स्रोतों में शामिल हैं; धूल भरी आँधी जो शुष्क क्षेत्रों से धूल लाती है, त्योहारों के दौरान पटाखे जो धुआँ एवं धात्विक कणिका पदार्थ मुक्त करते हैं तथा हीटिंग के लिये घरेलू बायोमास जलाना जो वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड और कण जोड़ता है।
- IIT-कानपुर द्वारा वर्ष 2015 में किये गए एक अध्ययन में कहा गया है कि सर्दियों में दिल्ली में 17-26% कण बायोमास जलने के कारण उत्पन्न होते हैं।
वायु प्रदूषण से संबंधित भारत सरकार की पहल क्या हैं?
- ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (दिल्ली)
- ‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’- सफर (SAFAR) पोर्टल
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (National Air Quality Monitoring Programme- NAMP)
- वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)
- प्रदूषणकर्त्ता द्वारा भुगतान
- वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने हेतु:
- बीएस-VI वाहन
- इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देना
- आपातकालीन उपाय के रूप में ऑड-ईवन पाॅलिसी (दिल्ली के लिये)।
वायु प्रदूषण से संबंधित प्रमुख शब्दावली:
- वायु गुणवत्ता सूचकांक: यह दैनिक वायु गुणवत्ता की रिपोर्टिंग के लिये एक सूचकांक है। यह प्रदूषित वायु में साँस लेने के कुछ घंटों या दिनों के बाद स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर केंद्रित है।
- AQI की गणना आठ प्रमुख वायु प्रदूषकों के माध्यम से की जाती है; ग्राउंड-लेवल ओज़ोन, PM10, PM2.5, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2 ) , नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2 ) , अमोनिया (NH3 ), और लेड (Pb)।
- वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) : ये कार्बन युक्त रसायन हैं, जो पेट्रोल और डीज़ल वाहनों से उत्सर्जित होते हैं, जिनका प्रभाव वायु की गुणवत्ता तथा मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है।
- हालाँकि VOCs की उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से भी हो सकती है। पौधे परागणकों को आकर्षित करने, कीटों और शिकारियों से खुद को बचाने तथा पर्यावरणीय तनाव के अनुकूल होने के लिये इन रसायनों का उत्सर्जन करते हैं।
- ग्राउंड-लेवल ओज़ोन: ग्राउंड-लेवल ओज़ोन या ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन, एक द्वितीयक प्रदूषक है जो वाहनों, उद्योगों और विद्युत् संयंत्रों से उत्सर्जित नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) तथा वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) के सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अभिक्रिया करने से उत्पन होता है, जिसका स्तर विशेष रूप से गर्मियों के दौरान बढ़ जाता है। यह पृथ्वी की सतह के ठीक ऊपर निर्मित एक रंगहीन गैस है।
आगे की राह:
- उत्सर्जन नियंत्रण नीतियाँ: वाहन उत्सर्जन नियमों के प्रवर्तन को सुदृढ़ करना और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS) 2024 तथा जन जागरूकता जैसे अभियानों के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) में परिवर्तन को बढ़ावा देना।
- अपशिष्ट प्रबंधन और विनियमन: खुले में अपशिष्ट को जलाने और लैंडफिल उत्सर्जन को कम करने हेतु अपशिष्ट प्रबंधन में सख्त विनियमन एवं प्रभावी प्रवर्तन।
- दिल्ली में भारत के अन्य भागों से निर्माण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सर्वोत्तम मानकों की जाँच करके अपने वायु गुणवत्ता प्रबंधन का विस्तार किया जा सकता है, जैसे कि सूरत की स्वच्छ निर्माण पुस्तिका और अपशिष्ट प्रबंधन रणनीति ( 2015 तथा 2020 के बीच खुले में अपशिष्ट जलाने में 25% से 2% की कमी), एवं इंदौर की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली (जिसमें पूर्ण अपशिष्ट पृथक्करण व डोर-टू-डोर संग्रह शामिल है)।
- खुलेआम जलाए जाने वाले अपशिष्ट की मात्रा को कम करने के लिये पुनर्चक्रण, खाद निर्माण और अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पन्न करने की पहल को प्रोत्साहित करना।
- फसल अवशेष प्रबंधन (CRM): किसानों को अवशेष प्रबंधन के लिये हैप्पी सीडर जैसे सतत् और लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करके तथा सब्सिडी वाले फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनों की तैनाती करके फसल जलाने की समस्या का समाधान करना।
- इन तरीकों को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने से अपशिष्ट को जलाने की आवश्यकता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- हरित अवसंरचना का कार्यान्वयन: प्रदूषकों को अवशोषित करने की शहर की प्राकृतिक क्षमता को बढ़ाने हेतु शहरी हरित पहलों को बढ़ावा देना, जैसे कि हरित पट्टियों, पार्कों और वनरोपण परियोजनाओं का विकास करना।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारणों पर चर्चा कीजिये। इस प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये लागू किये गए वर्तमान उपायों की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है? (2018)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन कीजिये। 2005 में इसके अंतिम अद्यतन से ये कैसे भिन्न हैं? संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्या बदलाव आवश्यक हैं? (2021) |