भारत-ब्राज़ील संबंधों में प्रगाढ़ता | 09 Sep 2024

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-ब्राज़ील संबंध, विश्व व्यापार संगठन, चीनी सब्सिडी मुद्दे

मेन्स के लिये:

भारत और ब्राज़ील के बीच सहयोग तथा जुड़ाव का क्षेत्र, भारत-ब्राज़ील संबंधों की चुनौतियाँ, आगे की राह

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों ?

पिछले कुछ वर्षों में विविधतापूर्ण रही भारत-ब्राज़ील रणनीतिक साझेदारी में प्रगाढ़ता बढ़ी है, जिसमें रक्षा, अंतरिक्ष-अन्वेषण, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और लोगों के बीच संबंधों सहित कई तरह के क्षेत्र शामिल हैं।

  •  एक अन्य घटनाक्रम में वैश्विक चीनी उत्पादन में दो प्रमुख भागीदार भारत और ब्राज़ील ने चीनी सब्सिडी पर अपने विश्व व्यापार संगठन (WTO) व्यापार विवाद को सुलझा लिया है। यह संकल्प इथेनॉल प्रौद्योगिकी में उनके बढ़ते सहयोग से संबंधित है जिसने वैश्विक चीनी अधिशेष मुद्दों, जो कीमतों को प्रभावित करते हैं, को हल किया है।

भारत-ब्राज़ील चीनी सब्सिडी मुद्दा क्या है?

  • पृष्ठभूमि:
    • वर्ष 2019 में ब्राज़ील ने ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला के साथ मिलकर WTO में भारत के चीनी सब्सिडी मापदंड को चुनौती दायर करते हुए तर्क दिया कि भारत की चीनी सब्सिडी नीतियाँ विश्व व्यापार संगठन के कृषि समझौते के कई प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं।
    • अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भारत की रिपोर्टिंग में एक बहुत बड़ी कमी को भी उजागर किया, जिसमें दावा किया गया कि भारत ने विपणन वर्ष 1995-96 के बाद से किसी भी घरेलू समर्थन अधिसूचना में गन्ना या इसके डेरिवेटिव को शामिल नहीं किया है।
  • भारत का रुख:
    • भारत ने यह कहते हुए अपने रुख का बचाव किया कि गन्ना खरीद का प्रबंधन निजी मिलों द्वारा किया जाता है, न कि सरकार द्वारा, जिससे निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाया जा सके।
    • भारत ने त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया विश्लेषण किसी दिये गए वर्ष में भारत में उत्पादित गन्ने की कुल मात्रा के आधार पर सब्सिडी की गणना करता है, भले ही गन्ना वास्तव में गन्ना (नियंत्रण) आदेश के तहत पेराई के लिये चीनी मिलों को दिया गया हो या नहीं।

भारत और ब्राज़ील के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं?

  • संस्थागत स्तर पर जुड़ाव: भारत और ब्राज़ील के बीच द्विपक्षीय तथा विभिन्न बहुपक्षीय मंचों जैसे BRICS, IBSA, G4, G20, BASIC, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), WTO, UNESCO एवं  WIPO में बहुत करीबी एवं बहुआयामी संबंध हैं। द्विपक्षीय जुड़ाव में शामिल हैं:
    • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) के नेतृत्व में रणनीतिक वार्ता के तहत आपसी हितों के प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को हल किया जाता है।
    • भारत-ब्राज़ील बिजनेस लीडर्स फोरम व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग के अवसरों पर केंद्रित है।
    • व्यापार निगरानी तंत्र (TMM), द्विपक्षीय व्यापार में मुद्दों को ट्रैक और हल करता है।  
    • आर्थिक और वित्तीय वार्ता जिसमें निवेश, व्यापार और मौद्रिक नीति पर सहयोग शामिल है।
    • संयुक्त रक्षा आयोग, संयुक्त अभ्यास, उपकरण खरीद और आसूचना साझा करने सहित रक्षा सहयोग को सुगम बनाता है।
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर संयुक्त समिति, अनुसंधान, विकास और ज्ञान के आदान-प्रदान में सहयोग को बढ़ावा देती है।
  • व्यापार और निवेश:
    • भारत वर्ष 2021 में ब्राज़ील का 5वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना और साथ ही द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2020 में 7.05 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 11.53 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
      • यह व्यापर वर्ष 2022 में बढ़कर 15.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया और वर्ष 2023 में ब्राज़ील को भारत का निर्यात 6.9 बिलियन अमरीकी डॉलर एवं आयात 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हुआ।
    • ब्राज़ील में भारत का प्रमुख निर्यात: कृषि रसायन, सिंथेटिक यार्न, ऑटो कंपोनेंट्स एवं पार्ट्स और ब्राज़ील से आयात में कच्चा तेल, सोना, वनस्पति तेल, चीनी तथा थोक खनिज व अयस्क शामिल हैं।
    • भारत और ब्राज़ील ने ऑटोमोबाइल, आईटी, खनन, ऊर्जा, जैव ईंधन और जूते जैसे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश देखा है।
    • भारत ने वर्ष 2004 में MERCOSUR (ब्राज़ील, अर्जेंटीना, उरुग्वे, पैराग्वे) के साथ एक अधिमान्य व्यापार समझौते (PTA) पर भी हस्ताक्षर किये।
  • रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग: भारत और ब्राज़ील ने वर्ष 2003 में एक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसमें संयुक्त रक्षा समिति (JDC) की बैठकों ने इस सहयोग को संस्थागत रूप दिया।
    • वर्ष 2006 में उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने के लिये भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) के नेतृत्व में एक रणनीतिक वार्ता की स्थापना की।
    • इसके अतिरिक्त जनवरी 2020 में ब्राज़ील के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान CERT-In और उसके ब्राज़ीलियाई समकक्ष के बीच साइबर सुरक्षा पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग:
    • भारत और ब्राज़ील के बीच वर्ष 2004 में अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में हुए समझौते से डेटा शेयरिंग तथा सैटेलाइट ट्रैकिंग में सहयोग की वृद्धि हुई।
  • आयुर्वेद और योग को भी ब्राज़ील की स्वास्थ्य नीति में मान्यता दी गई है। जनवरी, 2020 में परंपरागत चिकित्सा और होम्योपैथी पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
  • ऊर्जा सुरक्षा:
    • जनवरी, 2020 में भारतीय तेल निगम और ब्राजील के CNPEM के बीच भारत में जैव ऊर्जा पर एक शोध संस्थान स्थापित करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
    • दोनों देशों ने अमेरिका के साथ मिलकर जैव ईंधन की उत्पादन और मांग को बढ़ाने के लिये वर्ष 2023 में भारत में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (GBA) की शुरुआत की।
    • इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम: वर्ष 1975 से इथेनॉल उत्पादन में अग्रणी ब्राज़ील ने भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने और भारत के जैव ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तकनीकी सहायता प्रदान की है।
      • ब्राज़ील ने गैसोलीन में 27% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य हासिल किया है, जिससे इसके 84% वाहन फ्लेक्सिबल-ईंधन इंजन से लैस हैं, जो गैसोलीन और इथेनॉल के अलग-अलग अनुपात पर गति करने में सक्षम हैं।
      • जुलाई 2024 तक भारत ने पेट्रोल में 15.83% इथेनॉल मिश्रण दर हासिल कर ली है, जिसका लक्ष्य आपूर्ति वर्ष 2025-26 तक 20% तक पहुँचना है। 

भारत-ब्राज़ील संबंधों में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • व्यापार घाटा और प्रतिस्पर्धा: कृषि उत्पादों में ब्राज़ील के प्रभुत्व और सोयाबीन व चीनी जैसी वस्तुओं के आयात पर भारत की निर्भरता के कारण भारत ने लगातार ब्राज़ील के साथ व्यापार घाटा बनाए रखा है।
    • दोनों देशों ने घरेलू उद्योगों की रक्षा हेतु टैरिफ और सब्सिडी जैसे संरक्षणवादी उपायों को लागू किया है, जिससे व्यापार घर्षण (trade friction) उत्पन्न हुआ है तथा द्विपक्षीय व्यापार के विकास में बाधा उत्पन्न हुई है।
  • वैश्विक मंचों के विविध हित: जलवायु परिवर्तन और बहुपक्षीय संस्थाओं के मामले में भारत तथा ब्राज़ील की प्राथमिकताएँ अलग-अलग हैं। 
    • भारत उत्सर्जन तीव्रता, आर्थिक विकास एवं ऊर्जा पहुँच को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि ब्राज़ील जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अमेज़न वनों की कटाई को कम करने को प्राथमिकता देता है। 
    • इसी तरह संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसे संगठनों में भी उनकी प्राथमिकताएँ अलग-अलग हैं। 
  • पीपल टू पीपल कनेक्ट : भारत और ब्राज़ील के लोगों से लोगों का संपर्क अपेक्षाकृत कम है, जिसमें व्यापार, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान शामिल हैं। 
  • चीन की भूमिका: इसके अतिरिक्त चिंताएँ हैं कि ब्राज़ील के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में चीन की स्थिति भारत एवं ब्राज़ील के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकती है।

आगे की राह

  • आर्थिक सहयोग: भारत और ब्राज़ील को मूल्य-वर्धित उत्पादों, सेवाओं तथा प्रौद्योगिकी को शामिल करके व्यापार में विविधता लानी चाहिये। उन्हें अनुकूल निवेश वातावरण बनाने और समझौतों एवं संयुक्त उद्यमों के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त परिवहन और रसद (Transportation and Logistics) जैसी बुनियादी परियोजनाओं में निवेश करने से व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है तथा कनेक्टिविटी में सुधार हो सकता है।
  • पीपल टू पीपल एक्सचेंज : सांस्कृतिक कूटनीति और छात्र आदान-प्रदान को बढ़ाने से भारत तथा ब्राज़ील के बीच विश्वास का निर्माण हो सकता है, जबकि पर्यटन को बढ़ावा देने से पीपल टू पीपल कनेक्ट और आर्थिक लाभ दोनों को बढ़ावा मिल सकता है।
  • रणनीतिक सहयोग: भारत और ब्राज़ील को संयुक्त अभ्यास तथा प्रौद्योगिकी साझा करने के माध्यम से रक्षा सहयोग को बढ़ाना चाहिये, साथ ही अपने साझा हितों को आगे बढ़ाने हेतु संयुक्त राष्ट्र और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर एक साथ कार्य करना चाहिये।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार: भारत और ब्राज़ील को नवाचार तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये अक्षय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी एवं आईटी में अनुसंधान एवं विकास पर सहयोग करना चाहिये। इसके अतिरिक्त कौशल विकास व प्रशिक्षण में निवेश करने से दोनों देशों में कार्यबल प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिल सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत-ब्राज़ील संबंधों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा कीजिये, सहयोग के लिये प्रमुख अवसरों और चुनौतियों पर प्रकाश डालिये। व्यापार, प्रौद्योगिकी तथा सतत् विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने की रणनीतियों का भी सुझाव दीजिये।

अधिक पढ़ें: इथेनॉल उत्पादन, WTO स्क्रूटनी के तहत भारत की गन्ना सब्सिडी

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में गन्ने की खेती में वर्तमान प्रवृत्तियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. जब ‘बड चिप सेटलिंग्स (Bud Chip Settlings)’ को नर्सरी में उगाकर मुख्य कृषि भूमि में प्रतिरोपित किया जाता है, तब बीज सामग्री में बड़ी बचत होती है।
  2. जब सैट्स का सीधे रोपण किया जाता है, तब एक-कलिका (Single Budded) सैट्स का अकुरण प्रतिशत कई-कलिका (Many Budded) सैट्स की तुलना में बेहतर होता है।
  3. खराब मौसम की दशा में यदि सैट्स का सीधे रोपण होता है, तब एक-कलिका सैट्स का जीवित बचना बड़े सैट्स की तुलना में बेहतर होता है।
  4. गन्ने की खेती ऊतक संवर्द्धन से तैयार की गई सैटलिंग से की जा सकती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कभी-कभी समाचारों में 'एम्बर बॉक्स, ब्लू बॉक्स और ग्रीन बॉक्स' शब्द देखने को मिलते हैं? (2016)

(a) WTO मामला
(b) SAARC मामला
(c) UNFCCC मामला
(d) FTA पर भारत-EU वार्ता

उत्तर: (a)


प्रश्न. गन्ने की उचित एवं लाभप्रद कीमत (FRP) को निम्नलिखित में से कौन अनुमोदित करता/करती है? (2015)

(a) आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति
(b) कृषि लागत और कीमत आयोग
(c) कृषि मंत्रालय का विपणन और निरीक्षण निदेशालय 
(d) कृषि उत्पाद विपणन समिति

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न 1. यदि 'व्यापार युद्ध'  के वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू. टी. ओ.) को जिंदा बने रहना है, तो उसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं, विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए? (2018)

प्रश्न 2. "विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू. टी. ओ.) के अधिक व्यापक लक्ष्य और उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन तथा प्रोन्नति करना है। परंतु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोंमुखी प्रतीत होती है, जिसका कारण विकसित एवं विकासशील देशों के बीच मतभेद है।" भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस पर चर्चा कीजिये। (2016)

प्रश्न 3. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू. टी. ओ.) एक महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जहाँ लिये गए निर्णय देशों को गहराई से प्रभावित करते हैं। डब्ल्यू. टी. ओ. का क्या अधिदेश (मैंडेट) है और उसके निर्णय किस प्रकार बंधनकारी हैं? खाद्य सुरक्षा पर विचार-विमर्श के पिछले चक्र पर भारत के दृढ़ मत का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (2014)