महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना का विकेंद्रीकरण | 02 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:मनरेगा, मुद्दे, न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948. मेन्स के लिये:सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक आंतरिक अध्ययन के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) को ज़मीनी स्तर पर अधिक "लचीलापन" की अनुमति देने के लिये विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिये।
अध्ययन के निष्कर्ष:
- मुद्दे:
- विगत कुछ वर्षों में,ग्राम सभाओं को अग्रिम भुगतान करने के बजाय कोष प्रबंधन को केंद्रीकृत कर दिया गया है ताकि वे उस कार्य को तय कर सकें जो वे करना चाहते हैं।
- कोष वितरण में देरी की एक पुरानी समस्या है, जहाँ लाभार्थी परियोजनाओं को पूरा करने के लिये निर्माण सामग्री खुद ही खरीद लेते हैं।
- हिमाचल प्रदेश और गुजरात में मज़दूरी देने में तीन या चार महीने और निर्माण सामग्री उपलब्धता में छह महीने की देरी हुई थी।
- कई राज्यों में मनरेगा की मज़दूरी बाज़ार दर से काफी कम थी, जो सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करने के उद्देश्य को विफल कर रही थी।
- वर्तमान में गुजरात में एक खेतिहर मज़दूर की न्यूनतम मज़दूरी 324.20 रुपए है, लेकिन मनरेगा के तहत उनकी मज़दूरी 229 रुपए है।
- निजी ठेकेदार मज़दूरों को अधिक भुगतान करते हैं।
- अनुमेय कार्यों के प्रकारों को सूचीबद्ध करने के बजाय अनुमेय कार्यों का अधिक विविधीकरण होना चाहिये, इसके साथ ही कार्यों की व्यापक श्रेणियों को सूचीबद्ध किया जा सकता है और व्यापक श्रेणियों के अनुसार कार्यों के प्रकार का चयन करने के लिये ज़मीनी स्तर पर लचीलापन प्रदान किया जाना चाहिये।
- ग्राम सभाएँ अपने लिये निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के बजाय स्थानीय परिस्थितियों और समुदाय की आवश्यकताओं को ध्यान में रख सकती हैं।
- समय पर संवितरण करने के लिये रिवॉल्विंग फंड (एक अतिरिक्त आंतरिक मौद्रिक पूल) होना चाहिये जिसका उपयोग केंद्रीय निधि में देरी होने पर किया जा सकता है।
मनरेगा:
- परिचय:
- मनरेगा, जिसे वर्ष 2005 में लॉन्च किया गया था, दुनिया के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी ग्रामीण परिवार के अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देना है।
- वर्ष 2022-23 तक मनरेगा के तहत 15.4 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं।
- कार्य का कानूनी अधिकार:
- पहले की रोज़गार गारंटी योजनाओं के विपरीत मनरेगा का उद्देश्य अधिकार-आधारित ढाँचे के माध्यम से चरम निर्धनता के कारणों का समाधान करना है।
- लाभार्थियों में कम-से-कम एक-तिहाई महिलाएँ होनी चाहिये।
- मज़दूरी का भुगतान न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के तहत राज्य में कृषि मज़दूरों के लिये निर्दिष्ट वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी के अनुरूप किया जाना चाहिये।
- मांग-प्रेरित योजना:
- मनरेगा की रूपरेखा का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग यह है कि इसके तहत किसी भी ग्रामीण वयस्क को मांग करने के 15 दिनों के भीतर काम पाने की कानूनी रूप से समर्थित गारंटी प्राप्त है, जिसमें विफल होने पर उसे 'बेरोज़गारी भत्ता' प्रदान किया जाता है।
- यह मांग-प्रेरित योजना श्रमिकों के स्व-चयन (Self-Selection) को सक्षम बनाती है।
- विकेंद्रीकृत योजना: इन कार्यों के योजना निर्माण और कार्यान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ सौंपकर विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया को सशक्त करने पर बल दिया गया है।
- अधिनियम में आरंभ किये जाने वाले कार्यों की सिफारिश करने का अधिकार ग्राम सभाओं को सौंपा गया है और इन कार्यों को कम-से-कम 50% उनके द्वारा ही निष्पादित किया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम" से लाभान्वित होने के पात्र हैं? (2011) (a) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवारों के वयस्क सदस्य उत्तर: (d) |