महत्त्वपूर्ण तथ्य
MSME एवं ऊर्जा क्षेत्र को कार्बन मुक्त करना
- 11 Jul 2024
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 7 MSME क्लस्टरों (अलाथुर,आसनसोल-चिरकुंडा, बेंगलुरु, दिल्ली-NCR, कोयंबटूर, लुधियाना तथा तिरुप्पुर) के डीकार्बोनाइजेशन पर एक अध्ययन से पता चला है कि नवीकरणीय ऊर्जा समाधान और ऊर्जा कुशल उपायों को अपनाने से महत्त्वपूर्ण वार्षिक बचत हो सकती है तथा CO2 के उत्सर्जन में कमी आ सकती है।
- इसमें इन क्लस्टरों में फार्मास्यूटिकल्स, रिफ्रेक्ट्रीज़, एल्युमीनियम डाई-कास्टिंग, बेकरी तथा कपड़ा इकाइयों जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया।
नोट:
- 'डीकार्बोनाइजेशन' का तात्पर्य 'कार्बन तीव्रता' को कम करने की प्रक्रिया से है, जिसमें जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा को कम किया जाता है।
MSME पर अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- मुख्य निष्कर्ष:
- MSME में ऊर्जा खपत: लगभग 31% MSME विनिर्माण क्षेत्र में हैं, जो देश के औद्योगिक ऊर्जा उपयोग में 20% से 25% का योगदान देते हैं।
- इस ऊर्जा का 80% से अधिक तापीय प्रक्रियाओं, जैसे बॉयलर और भट्टियों में हीटिंग के लिये आवश्यक है।
- प्रारंभिक निवेश तथा लागत बचत: ऊर्जा कुशल उपायों को अपनाने, 7 प्रमुख MSME समूहों में नवीकरणीय ऊर्जा समाधान के लिये 90 करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता होगी और इससे 37 करोड़ रुपए की वार्षिक बचत संभव हो सकती है।
- उत्सर्जन में कमी: इन क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करने से 1,36,581 टन CO2 उत्सर्जन में भी कमी आएगी।
- MSME में ऊर्जा खपत: लगभग 31% MSME विनिर्माण क्षेत्र में हैं, जो देश के औद्योगिक ऊर्जा उपयोग में 20% से 25% का योगदान देते हैं।
- अनुशंसाएँ:
- वित्त पहुँच में सुधार: ऋण पात्रता की समीक्षा, वित्तीय संस्थाओं हेतु क्षमता निर्माण तथा कार्बन वित्तपोषण विकल्पों की खोज करके MSME के लिये किफायती, ज़मानत-मुक्त वित्तपोषण करना।
- MSME टेलरिंग योजना: उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य निर्धारित को करना, ऊर्जा लेखा परीक्षा, अनुसंधान एवं विकास, पायलट परियोजनाओं तथा ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा के लिये वित्तपोषण में सहायता करना।
- जैव ईंधन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना: बायोमास नीतियों का विस्तार करना, सरकारी योजनाओं में बायोडीज़ल को शामिल करना तथा बायो-सीएनजी की बिक्री को सुविधाजनक बनाना शामिल हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना: शुल्कों को तर्कसंगत बनाकर, मांग को एकत्रित करके तथा क्लस्टर विकास योजनाओं का उपयोग करके रूफ टॉप सौर ऊर्जा तथा ओपन-एक्सेस प्रणालियों को बढ़ावा देना।
- नियामक प्रोत्साहन: MSME को स्वच्छ ईंधन अपनाने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना, स्वच्छ ईंधन अपनाने को सरल बनाना तथा स्कोप 3 उत्सर्जन की निगरानी करना।
- स्कोप 3 उत्सर्जन: अप्रत्यक्ष उत्सर्जन जो कंपनी की गतिविधियों (विनिर्माण स्थल के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम) का परिणाम है।
भारत में ऊर्जा क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने की चुनौतियाँ:
- लक्ष्य एवं वर्तमान स्थिति: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपने ऊर्जा क्षेत्र को कार्बन मुक्त बनाना तथा प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 20% से अधिक तक बढ़ाना है।
- वर्तमान में भारत के ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस का हिस्सा 6% से भी कम है, जबकि अमेरिका में यह 35% से अधिक और चीन में 20% है।
- प्राकृतिक गैस अवसंरचना के विस्तार में प्रमुख चुनौतियाँ:
- नियामक अनिश्चितता और हस्तक्षेप: प्राकृतिक गैस क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप, जिसमें मूल्य सीमा, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) टर्मिनल विस्तार पर सीमाएँ और शहरी गैस वितरण नेटवर्क पर प्रतिबंध शामिल हैं, निवेशकों के लिये अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं तथा देश के प्राकृतिक गैस उपयोग के विस्तार के लक्ष्य में बाधा डाल रहे हैं।
- मौजूदा LNG आयात क्षमता का कम उपयोग: LNG आयात में 17% की वृद्धि के बावजूद, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की 6 LNG आयात सुविधाओं का उपयोग 30% से कम था।
- विनियामक में कम कर्मचारी और विशेषज्ञता का अभाव (PNGRB): पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (Petroleum & Natural Gas Regulatory Board - PNGRB) हाल के वर्षों में कम कर्मचारियों और घटती हुई बोर्ड क्षमता के साथ काम कर रहा है, जिसके कारण अनुमोदन तथा नए गैस बाज़ार तंत्रों की शुरुआत में देरी हो रही है।
- कोयले से गैस में परिवर्तन: भारत के ऊर्जा मिश्रण में अभी भी कोयले (50% से अधिक) का प्रभुत्व है, जबकि प्राकृतिक गैस (6% से कम) का प्रभुत्व है, जिससे एक बड़ी ऊर्जा प्रणाली में परिवर्तन एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: चर्चा कीजिये कि डीकार्बोनाइजेशन और ऊर्जा संक्रमण भारत में MSME क्षेत्र की वृद्धि तथा विकास में कैसे सहायक हो सकते हैं। स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने और कम कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण में एमएसएमई के लिये चुनौतियों का विश्लेषण करें। |
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ‘कार्बन के सामाजिक मूल्य’ पद का सर्वोत्तम रूप से वर्णन करता है? आर्थिक मूल्य के रूप में यह निम्नलिखित में से किसका माप है? (2020) (a) प्रदत्त वर्ष में एक टन CO2 के उत्सर्जन से होने वाली दीर्घकालीन क्षति उत्तर: (a) प्रश्न. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से कुछ महत्त्वपूर्ण प्रदूषक हैं, भारत में इस्पात उद्योग द्वारा मुक्त किये जाते हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 3 और 4 उत्तर: (d) प्रश्न. इस्पात स्लैग निम्नलिखित में से किसके लिये सामग्री हो सकता है? (2020) आधार सड़क के निर्माण के लिये नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. वर्तमान में लौह एवं इस्पात उद्योगों की कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थिति का उदाहरणों सहित कारण बताइये। (2020) प्रश्न. विश्व में लौह एवं इस्पात उद्योग के स्थानिक प्रतिरूप में परिवर्तन का विवरण प्रस्तुत कीजिये। (2014) |