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शासन व्यवस्था

भारत में बाँध प्रबंधन

  • 18 Aug 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कारम नदी में बाँध प्रबंधन, नर्मदा नदी, भारत के बाँध, भारत में बाँधों  का विनियमन

मेन्स के लिये:

भारत के पुराने बाँधों और उठाये जाने वाले कदम से संबंधित में चिंताएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नर्मदा की सहायक कारम नदी पर बन रहे "कारम  बाँध" का बाहरी हिस्सा ढह गया।

  • ाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021 में कुछ शर्तों के साथ उन बांधों को शामिल किया गया है जिनकी ऊंचाई 15 मीटर से अधिक और 10 मीटर से 15 मीटर के बीच है।

नर्मदा नदी 

  • परिचय:  
    • नर्मदा प्रायद्वीपीय क्षेत्र की सबसे बड़ी पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है जो उत्तर में विंध्य रेंज और दक्षिण में सतपुड़ा रेंज के बीच भ्रंश घाटी से होकर बहती है। 
  • उद्गम:  
    • यह मध्य प्रदेश में अमरकंटक के पास मैकला श्रेणी से निकलती है। 
  • अपवहन-क्षेत्र:  
    • यह महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के कुछ क्षेत्रों के अलावा मध्य प्रदेश में एक बड़े क्षेत्र में जल प्रवाहित होता है। 
    • जबलपुर (मध्य प्रदेश) के पास नदी धुआँधार जलप्रपात बनाती है। 
    • नर्मदा के मुहाने में कई द्वीप हैं जिनमें से आलियाबेट सबसे बड़ा है। 
  • प्रमुख सहायक नदियाँ: हिरेन, ओरसांग, बरना और कोलार। 
  • बेसिन में प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएँ: इंदिरा सागर, सरदार सरोवर आदि। 
  • नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA): 
    • यह नर्मदा नदी पर कई बड़ी बाँध परियोजनाओं के खिलाफ जनजातियों (आदिवासियों), किसानों, पर्यावरणविदों और मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं द्वारा संचालित भारतीय सामाजिक आंदोलन है। 
    • गुजरात में सरदार सरोवर बांध नदी पर सबसे बड़े बाँधों में से एक है और आंदोलन के पहले केंद्र बिंदुओं में से एक था।

बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021:

  • परिचय:
    • बाँध सुरक्षा अधिनियम 2021 का उद्देश्य देश भर में सभी निर्दिष्ट बाँधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव करना है।
    • यह अधिनियम देश में सभी निर्दिष्ट बाँधों पर लागू होता है, यानी वे बाँध जिनकी ऊँचाई 15 मीटर से अधिक और 10 मीटर से 15 मीटर के बीच कुछ निश्चित डिजाइन और संरचनात्मक स्थितियों के साथ है।
  • प्रावधान:
    • यह दो राष्ट्रीय निकायों का गठन करता है:
      • बाँध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति:
        • इसके कार्यों में बाँध सुरक्षा के संबंध में नीतियों को विकसित करना और विनियमों की सिफारिश करना शामिल है।
      • राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण:
        • इसके कार्यों में राष्ट्रीय समिति की नीतियों को लागू करना और राज्य बाँध सुरक्षा संगठनों (SDSOs), या SDSO और उस राज्य के किसी भी बाँध प्राधिकरण के बीच के मामलों को हल करना शामिल है।
    • इसमें दो राज्य निकाय भी शामिल हैं:
      • राज्य बाँध सुरक्षा संगठन (SDSOs):
        • इसके कार्यों में बाँधों की सतत् निगरानी, निरीक्षण और मॉनीटरिंग शामिल है।
      • राज्य बाँध सुरक्षा समिति:
        • यह राज्य बाँध पुनर्वास कार्यक्रमों की निगरानी, SDSO के काम की समीक्षा और बाँध सुरक्षा के संबंध में अनुशंसित उपायों पर प्रगति की समीक्षा करेगा।
    • बाँध प्राधिकरण की बाध्यताएँ:
      • बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के अनुसार, सभी निर्दिष्ट बाँधों का वर्ष में दो बार; मानसून पूर्व और मानसून के बाद की अवधि के दौरान निरीक्षण किया जाना आवश्यक है।
      • बाँध के सुरक्षित निर्माण, संचालन, रखरखाव और पर्यवेक्षण के लिये बाँध प्राधिकरण ज़िम्मेदार होंगे।
      • उन्हें प्रत्येक बाँध में एक बाँध सुरक्षा इकाई उपलब्ध करानी होगी।
        • यह इकाई बाँधों का निरीक्षण करेगी:
        • मानसून के मौसम से पहले और बाद में
        • प्रत्येक भूकंप, बाढ़, आपदा या संकट के किसी भी संकेत के दौरान और बाद में।
      • बाँध प्राधिकरण के कार्यों में शामिल हैं:
        • आपात कार्य योजना तैयार करना।
        • निर्दिष्ट नियमित अंतरालों पर जोखिम मूल्यांकन अध्ययन करना।
        • विशेषज्ञों के पैनल के माध्यम से व्यापक बाँध सुरक्षा मूल्यांकन तैयार करना।
    • दंड:
      • अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को उसके कार्यों के निर्वहन में बाधा डालने या निर्देशों का पालन करने से इनकार करने वाले को एक वर्ष के लिए जेल हो सकती है। जीवन की हानि के मामले में, व्यक्ति को दो साल की कैद हो सकती है।
  • अधिनियम के साथ समस्याएँ:
    • अंतर्राज्यीय नदी बाँधों पर कानून बनाने के संदर्भ में संसद के अधिकार क्षेत्र:
      • यह अधिनियम देश के सभी निर्दिष्ट बाँधों पर लागू होता है। संविधान के अनुसार राज्यों के पास पानी के मामलों पर, जिसमें जल संरक्षण और जल से ऊर्जा बनाना शामिल है, उस पर कानून बना सकते हैं (राज्य सूची की प्रविष्टि 17)।
        • हालाँकि संसद अंतर-राज्यीय नदी घाटियों को विनियमित और विकसित कर सकती है यदि वह इसे जनहित में आवश्यक समझे (संघ सूची की प्रविष्टि 56)।
      • क्या संसद के पास पूरी तरह से एक राज्य के भीतर बहने वाली नदियों पर बाँधों को विनियमित करने का अधिकार है।
    • अधिसूचना के माध्यम से अधिकारियों के कार्यों को बदलना:
      • बाँध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति, राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण और बाँध सुरक्षा पर राज्य समिति के कार्यों को अधिनियम की अनुसूचियों में सूचीबद्ध किया गया है।
        • इन अनुसूचियों में सरकार द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से संशोधन किया जा सकता है।
      • प्रश्न यह है कि क्या प्राधिकारियों के मुख्य कार्यों में अधिसूचना के माध्यम से संशोधन किया जाना चाहिये या क्या ऐसे संशोधन संसद द्वारा पारित किये जाने चाहिये।

आगे की राह

  • बाँध सुरक्षा सुनिश्चित करने में सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू वास्तविक हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखते हुए जवाबदेही और पारदर्शिता का होना है, हालाँकि बाँधों से नीचे की ओर रहने वाले लोग अधिक जोखिम वाले समूह हैं।
  • परिचालन सुरक्षा के संदर्भ में नियम वक्र जो यह तय करता है कि बाँध को कैसे संचालित किया जाना चाहिये जब एक बाँध प्रस्तावित किया जाता है, साथ ही पर्यावरणीय परिवर्तनों जैसे कि गाद और वर्षा प्रतिरूप के आधार पर नियमित अंतराल पर अद्यतन करने की आवश्यकता होती है। क्योंकि ये बाँध में आने वाली बाढ़ की आवृत्ति और तीव्रता के साथ-साथ स्पिलवे क्षमता को भी बदल देंगे।
    • नियम वक्र को भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होना चाहिये ताकि लोग इसके सही कामकाज पर नज़र रख सकें और इसकी अनुपस्थिति में सवाल उठा सकें।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षो के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. मान लीजिये कि भारत सरकार एक ऐसी पर्वतीय घाटी में एक बाँध का निर्माण करने की सोच रही है, जो जंगलों से घिरी है और जहाँ नृजातीय समुदाय रहते हैं. अप्रत्याशित आकस्मिकताओं से निपटने के लिये सरकार को कौन-सी तर्कसंगत नीति का सहारा लेना चाहिये? (मुख्य परीक्षा, 2018)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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