हिममंडल क्षति | 25 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:'एम्बिशन ऑन मेल्टिंग आइस (AMI) ऑन सी-लेवल राइज़ एंड माउंटेन वाटर रिसोर्सेज', हिममंडल, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीन हाउस गैस, पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना। मेन्स के लिये:वैश्विक जलवायु पर हिममंडल क्षति का प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
COP27 में 18 देश व्यापक गठबंधन के तहत एक नए उच्च-स्तरीय समूह 'एम्बिशन ऑन मेल्टिंग आइस (AMI) ऑन सी-लेवल राइज़ एंड माउंटेन वाटर रिसोर्सेज़' के गठन के लिये एकजुट हुए।
एम्बिशन ऑन मेल्टिंग आइस (AMI)
- "AMI" समूह का उद्देश्य हिममंडल/क्रायोस्फीयर क्षति के प्रभावों के बारे में राजनेताओं और जनता को जागरूक करना है, इसे न केवल पहाड़ और ध्रुवीय क्षेत्रों के स्तर पर बल्कि पूरे ग्रह के स्तर पर समझने की आवश्यकता है।
- समूह के संस्थापकों में चिली (सह-अध्यक्ष), आइसलैंड (सह-अध्यक्ष), पेरू, चेक गणराज्य, नेपाल, फिनलैंड, सेनेगल, किर्गिज़ गणराज्य, समोआ, जॉर्जिया, स्विटज़रलैंड, न्यूज़ीलैंड, मोनाको, वानुअतु, स्वीडन, तंज़ानिया, लाइबेरिया, नॉर्वे और मेंक्सिको शामिल हैं।
समूह की घोषणा:
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- जलवायु परिवर्तन के कारण पहले ही वैश्विक हिममंडल (पृथ्वी पर हिम या बर्फ वाले क्षेत्र) में नाटकीय बदलाव देखा गया है।
- इन परिवर्तनों से जीवन और आजीविका को खतरा उत्पन्न हुआ है। आर्कटिक एवं पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानीय लोग सबसे पहले प्रभावित हुए हैं।
- बदलती जलवायु में महासागर और हिममंडल पर विशेष रिपोर्ट सहित IPCC आकलन चक्र की छठी रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि हिममंडल में इस तरह के बदलाव ग्लोबल वार्मिंग और वातावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के अतिरिक्त वृद्धि से असंतुलन की स्थिति उतन्न होगी।
- इसका ध्रुवीय और पर्वतीय क्षेत्रों पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।
- ध्रुवीय मत्स्य पालन में तापीय उष्मन के अलावा इनमें ध्रुवीय महासागरों का तेज़ी से अम्लीकरण भी शामिल है, इसलिये वैज्ञानिकों का कहना है कि 450 ppm पर यह एक चरम सीमा तक पहुँच जाएगा, इस स्तर पर पहुँचने में केवल 12 वर्ष और लगेंगे।
- सुझाव:
- सशक्त जलवायु कार्रवाई के माध्यम से हिममंडल की रक्षा करना अकेले पर्वतीय और ध्रुवीय देशों का मामला नहीं है: यह तत्काल वैश्विक चिंता का विषय है क्योंकि मानव समुदायों पर सबसे बड़ा प्रभाव इन क्षेत्रों के बाहर पड़ेगा।
- वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेज़ी से कमी, ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की संभावना को जीवंत रखना हिममंडल क्षति एवं संभावित आपदाओं की परिणामी शृंखला को सीमित करने का हमारा सबसे अच्छा विकल्प है।
- हमारे सभी समाजों के लाभ के लिये वर्ष 2030 से पहले उत्सर्जन में कमी को अत्यावश्यक विषय बनाने की जरुरत है।
हिममंडल (Cryosphere):
- परिचय:
- हिममंडल पृथ्वी की जलवायु प्रणाली का हिस्सा है जिसमें ठोस वर्षा, बर्फ, सागरों में जमी बर्फ, हिमखंड, ग्लेशियर और हिम-झीलें, हिम-नदियाँ, ग्लेशियर्स, हिमचादर, हिमशैल और पर्माफ्रॉस्ट आदि शामिल हैं।
- "क्रायोस्फीयर" शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द 'क्रायोस' से हुई है, जिसका अर्थ ठंढ या बर्फ की ठंड है।
- हिममंडल न केवल आर्कटिक, अंटार्कटिक और पर्वतीय क्षेत्रों में बल्कि लगभग सौ देशों में अधिकांश अक्षांशों पर मौसमी या बारहमासी रूप से विश्व स्तर पर विस्तृत है।
- अंटार्कटिक में सबसे बड़ी महाद्वीपीय हिमचादर पाई जाती हैं।
- पृथ्वी का लगभग 70% ताज़ा पानी बर्फ या हिम के रूप में मौजूद है।
- वैश्विक जलवायु पर हिममंडल के प्रभाव:
- एल्बिडो (Albedo):
- बर्फ और हिम में उच्च एल्बिडो होता है। वे अधिकांश प्रकाश को अवशोषित किये बिना परावर्तित कर देते हैं और पृथ्वी को ठंडा करने में मदद करते हैं। इस प्रकार बर्फ एवं हिम की उपस्थिति या अनुपस्थिति पृथ्वी की सतह के ताप और शीतलन को प्रभावित करती है।
- यह पूरे ग्रह के ऊर्जा संतुलन को प्रभावित करता है।
- फीडबैक लूप (Feedback Loop):
- बर्फ के पिघलने से परावर्तक सतह कम हो जाती है तथा समुद्र और भूमि का रंग गहरा हो जाता है, जो अधिक सौर विकिरण को अवशोषित करते हैं तथा फिर वातावरण में गर्मी छोड़ते हैं।
- इससे अधिक गर्मी होती है और अधिक बर्फ पिघलती है। इसे फीडबैक लूप के रूप में जाना जाता है।
- बर्फ के पिघलने से परावर्तक सतह कम हो जाती है तथा समुद्र और भूमि का रंग गहरा हो जाता है, जो अधिक सौर विकिरण को अवशोषित करते हैं तथा फिर वातावरण में गर्मी छोड़ते हैं।
- पर्माफ्रॉस्ट:
- पर्माफ्रॉस्ट संभावित रूप से मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड का एक प्रमुख स्रोत है।
- पर्माफ्रॉस्ट ने ध्रुवीय क्षेत्र की मिट्टी में अनेकों टन कार्बन जमा कर दिया है।
- यदि 'फीडबैक लूप' बढ़ता है तो कार्बन मीथेन के रूप में निकलता है- एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है।
- पर्माफ्रॉस्ट में लगभग 1,400 से 1,600 बिलियन टन कार्बन होता है।
- कार्बन बजट के संदर्भ में 1.5 डिग्री सेल्सियस की जलवायु वार्मिंग के परिदृश्य में, पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से 150 से 200 गीगाटन CO2 ईक्यू (eq) उत्सर्जन का अनुमान है, जबकि वर्ष 2100 तक 2+ डिग्री सेल्सियस पर आँकड़ा लगभग 220 से 300 गीगाटन होगा जो कनाडा अथवा पूरे यूरोपीय संघ के देशों के कुल उत्सर्जन के बराबर होगा।
- हिममंडल का पिघलना:
- हिममंडल के पिघलने से महासागरों में पानी की मात्रा प्रभावित होती है। जल चक्र में कोई भी परिवर्तन वैश्विक ऊर्जा/गर्मी बजट (हीट बजट) को प्रभावित करता है और इस प्रकार वैश्विक जलवायु को प्रभावित करता है।
- GHG के उत्सर्जन और पिघलते आर्कटिक से एल्बिडो में परिवर्तन से वर्ष 2100 तक ग्लोबल वार्मिंग में आर्कटिक के योगदान के दोगुने से अधिक होने का अनुमान है।
- हिममंडल के पिघलने से महासागरों में पानी की मात्रा प्रभावित होती है। जल चक्र में कोई भी परिवर्तन वैश्विक ऊर्जा/गर्मी बजट (हीट बजट) को प्रभावित करता है और इस प्रकार वैश्विक जलवायु को प्रभावित करता है।
- एल्बिडो (Albedo):
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. हिममंडल वैश्विक जलवायु को कैसे प्रभावित करता है? (2017) प्रश्न. आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरुप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं? स्पष्ट कीजिये। (2021) |