जैव विविधता और पर्यावरण
भारत में मगरमच्छ की प्रजाति
- 01 Sep 2021
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प्रिलिम्स के लिये:अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 मेन्स के लिये:मगरमच्छ के संरक्षण हेतु प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ओडिशा के केंद्रपाड़ा ज़िले ने भारत का एकमात्र ऐसा ज़िला होने का गौरव प्राप्त किया है जहाँ मगरमच्छ की तीनों प्रजातियाँ- घड़ियाल (Gharial), खारे पानी के (Salt-Water) मगरमच्छ और मगर (Mugge) पाई जाती हैं।
प्रमुख बिंदु
- मगर या मार्श मगरमच्छ:
- विवरण:
- यह अंडा देने वाली और होल-नेस्टिंग स्पेसीज़ (Hole-Nesting Species) है जिसे खतरनाक भी माना जाता है।
- आवास:
- यह मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप तक ही सीमित है जहाँ यह मीठे पानी के स्रोतों और तटीय खारे जल के लैगून एवं मुहानों में भी पाई जाता है।
- भूटान और म्याँमार में यह पहले ही विलुप्त हो चुका है।
- खतरा:
- आवासों का विनाश और विखंडन एवं परिवर्तन, मछली पकड़ने की गतिविधियाँ तथा औषधीय प्रयोजनों हेतु मगरमच्छ के अंगों का उपयोग।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट: सुभेद्य
- CITES: परिशिष्ट- I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची- I
- एस्टुअरीन या खारे पानी का मगरमच्छ:
- परिचय:
- यह पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित मगरमच्छ प्रजाति है, जिसे विश्व स्तर पर एक ज्ञात आदमखोर (Maneater) के रूप में जाना जाता है।
- निवास:
- यह मगरमच्छ ओडिशा के भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम बंगाल में सुंदरवन तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाया जाता है।
- यह दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है।
- संकट:
- अवैध शिकार, निवास स्थान की हानि और प्रजातियों के प्रति शत्रुता।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची: कम चिंतनीय
- CITES: परिशिष्ट- I (ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और पापुआ न्यू गिनी की आबादी को छोड़कर, जो परिशिष्ट- II में शामिल हैं)।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची- I
- घड़ियाल:
- विवरण:
- इन्हें गेवियल भी कहते हैं, यह एक प्रकार का एशियाई मगरमच्छ है और अपने लंबे, पतले थूथन के कारण अन्य से अलग होते हैं जो कि एक बर्तन (घड़ा) जैसा दिखता है।
- घड़ियाल की आबादी स्वच्छ नदी जल का एक अच्छा संकेतक है।
- इसे अपेक्षाकृत हानिरहित, मछली खाने वाली प्रजाति के रूप में जाना जाता है।
- आवास:
- यह प्रजाति ज़्यादातर हिमालयी नदियों के ताज़े पानी में पाई जाती है।
- विंध्य पर्वत (मध्य प्रदेश) के उत्तरी ढलानों में चंबल नदी को घड़ियाल के प्राथमिक आवास के रूप में जाना जाता है।
- अन्य हिमालयी नदियाँ जैसे- घाघरा, गंडक नदी, गिरवा नदी, रामगंगा नदी और सोन नदी इसके द्वितीयक आवास हैं।
- खतरा:
- अवैध रेत खनन, अवैध शिकार, नदी प्रदूषण में वृद्धि, बाँध निर्माण, बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने का कार्य और बाढ़।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- CITES: परिशिष्ट- I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची- I
- संरक्षण के प्रयास:
- ओडिशा ने महानदी नदी बेसिन में घड़ियालों के संरक्षण के लिये 1,000 रुपए के नकद पुरस्कार की घोषणा की है।
- मगरमच्छ संरक्षण परियोजना 1975 में विभिन्न राज्यों में शुरू की गई थी।