भारतीय अर्थव्यवस्था
‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ के महत्त्वपूर्ण घटक
- 30 Aug 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लियेनीति आयोग, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट, रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट मेन्स के लियेनीति आयोग की सिफारिशें और उनका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘नीति आयोग’ ने ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP) की सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट’ (InvITs) और ‘रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट’ (REITs) जैसे मुद्रीकरण उपकरणों को बढ़ाने हेतु नीति एवं नियामक परिवर्तन लाने की सिफारिश की है।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन
- ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार वर्ष की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्ति के माध्यम से कुल 6 लाख करोड़ रुपए का मुद्रीकरण किया जा सकता है।
- यह योजना प्रधानमंत्री की ‘रणनीतिक विनिवेश नीति’ के अनुरूप है, जिसके तहत सरकार केवल कुछ चिह्नित क्षेत्रों में उपस्थिति बनाए रखेगी और शेष को निजी क्षेत्रों के लिये खोल दिया जाएगा।
- इसके तहत सरकार की योजना राजमार्गों, गैस पाइपलाइनों, रेलवे पटरियों और बिजली ट्रांसमिशन लाइनों जैसी सार्वजनिक संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिये इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट’ (InvITs) एवं ‘रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट’ (REITs) का उपयोग करना है।
- ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार वर्ष की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्ति के माध्यम से कुल 6 लाख करोड़ रुपए का मुद्रीकरण किया जा सकता है।
- नीति आयोग की सिफारिशें
- InvITs को ‘दिवाला और दिवालियापन संहिता’ (IBC) के तहत लाना: यद्यपि भारत में InvITs संरचनाओं का उपयोग वर्ष 2014 से किया जा रहा है, किंतु ऐसे ट्रस्टों को 'कानूनी व्यक्ति' नहीं माना जाता है।
- इसलिये ‘दिवाला और दिवालियापन संहिता’ InvIT ऋणों पर लागू नहीं होती है। ऋणदाताओं के पास परियोजना परिसंपत्तियों के लिये कोई मौजूदा प्रक्रिया नहीं है।
- हालाँकि ‘वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण और सुरक्षा ब्याज अधिनियम, 2002’ (सरफेसी अधिनियम) तथा ‘ऋणों की वसूली और दिवालियापन अधिनियम, 1993’ के तहत ऋणदाताओं को संरक्षण प्रदान किया जाता है।
- इस प्रकार IBC प्रावधानों को InvITs तक विस्तारित करने से ऋणदाताओं को एक तीव्र एवं अधिक प्रभावी ऋण पुनर्गठन और समाधान विकल्प तक पहुँचने में मदद मिलेगी।
- इसलिये ‘दिवाला और दिवालियापन संहिता’ InvIT ऋणों पर लागू नहीं होती है। ऋणदाताओं के पास परियोजना परिसंपत्तियों के लिये कोई मौजूदा प्रक्रिया नहीं है।
- टैक्स ब्रेक: आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 54EC के तहत सुरक्षित निवेश हेतु InvITs में कर लाभ की अनुमति देने से यह कर-कुशल और उपयोगकर्त्ता अनुकूल तंत्र, खुदरा निवेशकों (व्यक्तिगत / गैर-पेशेवर निवेशकों) को आकर्षित करेगा।
- हालाँकि इससे राजकोष के राजस्व में हानि के कारण लागत में वृद्धि होगी, लेकिन दीर्घकालिक लाभ लागत से अधिक हो सकता है क्योंकि पूंजीगत लाभ छूट के साथ निर्दिष्ट बॉन्ड में निवेश से अतीत में सफलता साबित हुई थी।
- आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 54EC, करदाताओं को कुछ सरकार समर्थित बुनियादी ढाँचा फर्मों द्वारा जारी बॉन्ड में निवेश के माध्यम से अचल संपत्तियों में लेन-देन से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की भरपाई करने की अनुमति देती है।
- यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम, विद्युत वित्त निगम और भारतीय रेलवे वित्त निगम द्वारा जारी बॉन्ड पर लागू होता है।
- InvITs को ‘दिवाला और दिवालियापन संहिता’ (IBC) के तहत लाना: यद्यपि भारत में InvITs संरचनाओं का उपयोग वर्ष 2014 से किया जा रहा है, किंतु ऐसे ट्रस्टों को 'कानूनी व्यक्ति' नहीं माना जाता है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) के बारे में:
- ये ऐसे उपकरण हैं जो म्यूचुअल फंड की तरह काम करते हैं।
- इन्हें कई निवेशकों की छोटी रकम को उन परिसंपत्तियों में निवेश करने के लिये डिज़ाइन किया गया है जो एक अवधि में नकदी प्रवाह उत्पन्न करते हैं। इस नकदी प्रवाह का एक हिस्सा निवेशकों को लाभांश के रूप में वितरित किया जाएगा।
- InvIT ‘इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग’ (IPO) में न्यूनतम निवेश राशि 10 लाख रुपए है, इसलिये यह उच्च आय वाले व्यक्तियों, संस्थागत और गैर-संस्थागत निवेशकों के लिये उपयुक्त है।
- InvITs को स्टॉक की तरह ही IPO के माध्यम से एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध किया जाता है।
- InvITs को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) (इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स) विनियम, 2014 द्वारा विनियमित किया जाता है।
- InvITs की संरचना इस प्रकार की जाती है कि निवेशकों को पूर्वानुमेय नकदी प्रवाह (Predictable Cash Flows) के साथ बुनियादी ढांँचे की संपत्ति में निवेश करने का अवसर मिल सके, जबकि परिसंपत्ति के मालिक उन परिसंपत्तियों से भविष्य में होने वाले राजस्व नकदी प्रवाह को रोकने हेतु अग्रिम संसाधन जुटा सकते हैं, जिन्हें बदले में नई परिसंपत्तियों में लगाया जा सकता है या कर्ज़ के रूप में चुकाने हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है।
- रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (ReITs) के बारे में:
- ReITs, InvITs इस अंतर के साथ समानता रखते हैं कि ये प्रतिभूतियांँ अचल संपत्ति से जुड़ी हुई हैं।
- ReITs की संरचना म्यूचुअल फंड के समान है। हालांँकि म्यूचुअल फंड में जहाँ अंतर्निहित परिसंपत्ति बॉण्ड, स्टॉक और सोना है, वहीँ ReITs में निवेशक भौतिक अचल संपत्ति में निवेश करते हैं।
- एकत्र किये गए धन को आय-सृजन हेतु अचल संपत्ति में लगाया जाता है।
- यह आय इकाई धारकों के बीच वितरित हो जाती है।
- किराए और पट्टों से प्राप्त होने वाली नियमित आय के अलावा अचल संपत्ति की पूंजी वृद्धि से प्राप्त लाभ भी इकाई धारकों के लिये एक आय है।
- ReITs के लिये न्यूनतम अंशदान सीमा 50,000 रुपए है।
आगे की राह
- बहु-हितधारक दृष्टिकोण: इन्फ्रास्ट्रक्चर नियामकों और सेबी को एक InvITs के सफल दिवाला समाधान (Insolvency Resolution) हेतु मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी, जिसमें प्रायोजक, निवेश प्रबंधक और/या ट्रस्टी या एक बुनियादी ढांँचे की संपत्ति के हस्तांतरण में बदलाव शामिल हो सकता है।
- आयकर अधिनियम में संशोधन: औद्योगिक समूहों ने विशेष रूप से NMP संपत्ति रखने वाले पात्र InvITs में निवेश के लिये पूंजीगत लाभ कर राहत प्रदान करने हेतु आयकर कानून में एक अलग धारा का प्रस्ताव किया है, जो धारा 54ईसी का विस्तार करने से बेहतर होगी।
- समग्र सुधार: परिचालन के तौर-तरीकों को सुव्यवस्थित करना, निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और वाणिज्यिक दक्षता को सुविधाजनक बनाना 'मुद्रीकरण अभियान के 'कुशल एवं प्रभावी' परिणाम सुनिश्चित कर सकता है।