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जैव विविधता और पर्यावरण

वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी

  • 07 Apr 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये

PM2.5, कोरोनावायरस, वायु प्रदूषण

मेन्स के लिये 

वायु प्रदूषण से संबंधित विषय

चर्चा में क्यों?

कोरोनावायरस (COVID-19) के विरुद्ध जंग में एकजुटता प्रदर्शित करने के लिये हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर लोगों ने न केवल मिट्टी के दीपक और मोमबत्तियाँ जलाए बल्कि कई लोगों ने पटाखे भी फोड़े जिसके कारण राजधानी दिल्ली का प्रदूषण स्तर अचानक से दोगुना हो गया है। 

प्रमुख बिंदु

  • दरअसल वैश्विक चुनौती के रूप में उभर रहे कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने भारत सरकार ने 21-दिवसीय देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसके कारण राजधानी दिल्ली समेत देश भर में सभी गतिविधियों पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई थी। 
  • इन गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक के कारण देश भर के सभी शहरों में प्रदूषण का स्तर  काफी नीचे आ गया था। 
  • आँकड़ों के  अनुसार, पटाखे फूटने से पूर्व दिल्ली का PM2.5  स्तर 48.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) था, जो कि पटाखों के फूटने के पश्चात् 90.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) पर पहुँच गया था। 
    • कुछ समय पश्चात् यह 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) पर पहुँच गया। 
  • NCR के प्रदूषण स्तर में भी इसी प्रकार की वृद्धि देखी गई, जहाँ गाज़ियाबाद में सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। 
    • आँकड़ों के अनुसार, पटाखों के फूटने के पश्चात् गाज़ियाबाद में PM2.5 का  स्तर 131.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) पर पहुँच गया था। 
  • पटाखों का प्रभाव शहरों के दैनिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index-AQI) पर भी देखने को मिला है। 
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board-CPCB) के अनुसार, दिल्ली का AQI रविवार को 102 (मध्यम) के स्तर से बढ़कर सोमवार को 142 (मध्यम) पर पहुँच गया।
  • सबसे अधिक बढ़ोतरी गाज़ियाबाद में दर्ज की गई, जो रविवार को 124 (मध्यम) के स्तर से बढ़कर सोमवार को 181 (मध्यम) पर पहुँच गया।

PM2.5

PM2.5 का आशय उन कणों या छोटी बूँदों से होता है जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर (0.000001 मीटर) या उससे कम होता है और इसीलिये इसे PM2.5 के नाम से भी जाना जाता है।

Air-Quality

आगे की राह

  • लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण आधुनिक समाज के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, जिसे जल्द-से-जल्द सुलझाए बिना समाज का समावेशी विकास सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है।
  • प्रधानमंत्री द्वारा मिट्टी के दीपक और मोमबत्तियों के माध्यम से एकजुटता प्रदर्शित करने की बात की गई थी, किंतु कुछ लोगों द्वारा इसे गलत रूप  में लिया, जिसके प्रभावस्वरूप प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। 
  • आवश्यक है कि आम लोगों को प्रदूषण और सामाजिक उत्तरदायित्त्व जैसे विषय के प्रति जागरूक किया जाए।

स्रोत: द हिंदू

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