जैव विविधता और पर्यावरण
वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट-2019
- 26 Feb 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट-2019 मेन्स के लिये:वायु प्रदूषण से संबंधित विभिन्न महत्त्वपूर्ण पहलू |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट-2019 (World Air Quality Report) के अनुसार, वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे गंभीर खतरों में से एक है और विश्व की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी असुरक्षित वायु में साँस लेने के लिये विवश है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट में दी गई रैंकिंग के अनुसार, वर्ष 2019 में बांग्लादेश विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित देशों में पहले स्थान पर था। हालाँकि बांग्लादेश के समग्र प्रदूषण में तो कमी हुई है, किंतु वह अपेक्षाकृत काफी कम है।
- बांग्लादेश के पश्चात् इस रैंकिंग में पाकिस्तान (दूसरा), मंगोलिया (तीसरा) और अफगानिस्तान (चौथा) का स्थान आता है।
- चीन को इस रैंकिंग में 98 देशों में 11वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। हालाँकि अभी भी चीन के 98 प्रतिशत शहरों में PM2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित मापदंडों से अधिक है।
- भारत के अन्य पड़ोसी देशों में नेपाल 8वें स्थान पर और म्याँमार 20वें स्थान पर है।
PM2.5 का आशय उन कणों या छोटी बूँदों से होता है जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर (0.000001 मीटर) या उससे कम होता है और इसीलिये इसे PM2.5 के नाम से भी जाना जाता है।
- 98 देशों की इस रैंकिंग में बहामास (Bahamas) को वायु प्रदूषण के मामले में सबसे स्वच्छ देश का स्थान प्राप्त हुआ है।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, ब्राज़ील, मलेशिया और चीन जैसे देशों में वनाग्नि और खुले में कृषि अवशेषों को जलाने जैसी प्रथाओं का वायु की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
- इसके अलावा मध्य पूर्व और पश्चिम चीन में मरुस्थलीकरण तथा सैंडस्टॉर्म (Sandstorms) बड़ी भूमिका निभाते हैं।
भारत से संबंधित बिंदु
- इस रिपोर्ट में प्रदूषण को लेकर दी गई रैंकिंग में भारत 5वें स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में गाज़ियाबाद विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित शहर था।
- हालाँकि भारत के समग्र वायु प्रदूषण में वर्ष 2018 के मुकाबले वर्ष 2019 में कमी देखने को मिली है, किंतु अभी भी विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित 30 शहरों में से 21 शहर भारत के हैं। भारतीय शहरों को लेकर वायु प्रदूषण के उक्त आँकड़े चौंकाने वाले हैं।
रिपोर्ट के निहितार्थ
- वर्ष 2019 के वायु गुणवत्ता संबंधी आँकड़े स्पष्ट संकेत देते हैं कि जलवायु परिवर्तन प्रत्यक्ष तौर पर वनाग्नि और सैंडस्टॉर्म आदि के माध्यम से वायु प्रदूषण के जोखिम को बढ़ा सकता है।
- इसी प्रकार कई क्षेत्रों में वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण, जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना आदि आपस में जुड़े हुए हैं।
वायु प्रदूषण और उसका प्रभाव
- वायुमंडल की गैसों के विभिन्न घटकों की आदर्श स्थिति में रासायनिक रूप से होने वाला अवांछनीय परिवर्तन जो वातावरण/पर्यावरण को किसी-न-किसी रूप में दुष्प्रभावित करता है, वायु प्रदूषण कहलाता है।
- जून 2015 में चिली ने वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए सेंटियागो में पर्यावरणीय आपातकाल घोषित कर दिया था। इसी तरह दिसंबर 2015 और दिसंबर 2016 में चीन की राजधानी बीजिंग में वायु प्रदूषण के कारण दो बार रेड अलर्ट घोषित किया जा चुका है।
- हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्य, पशुओं तथा पक्षियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे दमा, सर्दी, अंधापन, श्रवण शक्ति कमज़ोर होना, त्वचा रोग आदि बीमारियाँ पैदा होती हैं।
- वायु प्रदूषण के कारण अम्लीय वर्षा का खतरा बढ़ गया है, जिसके कारण बारिश के पानी में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड आदि ज़हरीली गैसों के घुलने की संभावना बढ़ी है इससे पेड़-पौधे, भवनों व ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुँचता है।
आगे की राह
- वायु प्रदूषण वैश्विक समाज के समक्ष एक प्रमुख चुनौती के रूप में उभरा है। हालाँकि वैश्विक स्तर पर इसे लेकर कई सराहनीय प्रयास भी किये गए हैं, किंतु इसके बावजूद यह विश्व की अधिकांश आबादी को प्रभावित कर रहा है।
- मानव सभ्यता व समाज को प्रकृति एवं औद्योगीकरण के बीच सामंजस्य स्थापित करना अति आवश्यक है।
- अतः हमें वायु प्रदूषण को कम करने के लिये पर्यावरण संरक्षण की दिशा में गैर सरकारी संगठनों, नागरिक समाज व आम आदमी की भागीदारी को प्रोत्साहित करना होगा।