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FCRA, 2010 के तहत NGO पर कार्रवाई

  • 09 Oct 2024
  • 11 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

NGO, विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 (FCRA), ऑक्सफैम इंडिया, नागरिक समाज संगठन (CSO), संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

मुख्य परीक्षा के लिये:

FCRA के तहत गैर सरकारी संगठनों का विनियमन एवं भारत में विकासात्मक गतिविधियों पर उनके प्रभाव।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सरकार ने पाँच प्रमुख गैर सरकारी संगठनों की वित्तीय गतिविधियों एवं उनके उद्देश्यों पर चिंताओं के कारण, विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 (FCRA) के तहत कार्रवाई की है।

  • इन गैर सरकारी संगठनों में ऑक्सफैम इंडिया, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR), एनवायरनिक्स ट्रस्ट (ET), लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट (LIFE) और केयर इंडिया सॉल्यूशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (CISSD) शामिल हैं। 
  • हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (ICJ) ने भारत के FCRA की आलोचना करते हुए कहा कि यह दमनकारी है और इसमें संशोधन किया जाना चाहिये।

इन NGO के विरुद्ध प्रमुख आरोप क्या हैं?

मुद्दा

विवरण

विकास परियोजनाओं में बाधक 

LIFE पर आरोप है कि वह भारत में कोयला खदानों और ताप विद्युत परियोजनाओं का विरोध करने के लिये अमेरिकी एनजीओ अर्थजस्टिस का साधन बना हुआ है।

विरोध प्रदर्शन हेतु फंडिंग मिलना

ET और सर्वाइवल इंटरनेशनल ने कथित तौर पर झारखंड में एक ताप विद्युत संयंत्र के निर्माण का विरोध किया तथा भारत में कोयला उद्योगों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को संगठित करने के लिये यूरोपीय जलवायु फाउंडेशन (ECF) के साथ सहयोग किया।

फंड का कुप्रबंधन

CPR को अपने नमाति-पर्यावरण न्याय कार्यक्रम के लिये विदेशी धन प्राप्त हुआ, जिसका उपयोग कथित तौर पर निर्दिष्ट अनुसंधान या शैक्षिक गतिविधियों के बजाय मुकदमेबाजी के लिये किया गया।

विदेशी एजेंटों के साथ मिलकर भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल होना

ऑक्सफैम इंडिया पर ऑस्ट्रेलिया में भारतीय कंपनियों की खनन गतिविधियों को रोकने की साजिश रचने, कथित तौर पर ऑक्सफैम ऑस्ट्रेलिया का समर्थन करने तथा विदेशों में भारतीय हितों के खिलाफ कार्य करने का आरोप है।

अवैध गतिविधियों के लिये अन्य गैर सरकारी संगठनों का उपयोग

FCRA लाइसेंस रद्द होने के बाद ऑक्सफैम ने अवैध गतिविधियों के लिये धन को पुनर्निर्देशित करने हेतु वैध अनुमति वाले "कठपुतली एनजीओ" की ओर ध्यान केंद्रित किया, जैसे कि जोश और अमन बिरादरी ट्रस्ट को धन उपलब्ध कराना।

राजनीतिक एजेंडा

गैर सरकारी संगठनों पर समग्र रूप से जनहित की सेवा करने के बजाय विशिष्ट धार्मिक समुदायों या जातियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया जाता है।

वित्तीय सहायता

ऑक्सफैम इंडिया ने कथित तौर पर कोयला विरोधी अभियानों (विशेष रूप से ओडिशा के ढिंकिया में) में विरोध प्रदर्शनों हेतु ET को वित्तीय सहायता दी थी।

FCRA विदेशी धन प्राप्त करने वाले NGO को कैसे नियंत्रित करता है?

  • FCRA की निगरानी: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) FCRA के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
    • FCRA के माध्यम से मंत्रालय विदेशी दान को नियंत्रित किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे फंड से देश की आंतरिक सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। 
  • पंजीकरण की आवश्यकता: विदेशी दान प्राप्त करने का आशय रखने वाले किसी भी संघ, समूह या NGO को FCRA के तहत पंजीकरण करना अनिवार्य है। यह पंजीकरण NGO को सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिये योगदान प्राप्त करने की अनुमति देता है।
  • पंजीकरण की पाँच वर्ष की वैधता: एक बार जब कोई NGO, FCRA के तहत पंजीकृत हो जाता है तो उसका पंजीकरण पाँच वर्ष के लिये वैध हो जाता है। इस अवधि के बाद NGO को विदेशी योगदान प्राप्त करना जारी रखने के लिये नवीनीकरण के लिये आवेदन करना होगा।
  • वर्ष 2010 का कानून और वर्ष 2020 में संशोधन: मूल FCRA अधिनियम, 1976 को निरसित कर दिया गया और वर्ष 2010 में विदेशी योगदान को नियंत्रित करने वाले कानून को आधुनिक बनाने के लिये नए कानून द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। वर्ष 2020 में विनियमों को सख्त करने और विदेशी दान की निगरानी में सुधार करने के लिये अतिरिक्त संशोधन किये गए।
  • उद्देश्य-पूर्वक उपयोग: विदेशी निधियों का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिये किया जाना चाहिये, जिसके लिये उन्हें प्राप्त किया गया था, जैसा कि अधिनियम के तहत निर्धारित किया गया है।
  • हस्तांतरण संबंधी प्रतिबंध: पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों को अन्य गैर सरकारी संगठनों को विदेशी धनराशि हस्तांतरित करने पर प्रतिबंध है।
  • SBI बैंक खाता: पंजीकृत संस्थाओं को विदेशी धन प्राप्त करने के लिये भारतीय स्टेट बैंक, दिल्ली में एक समर्पित बैंक खाता खोलना अनिवार्य है।
  • वार्षिक रिटर्न: गैर सरकारी संगठनों को वार्षिक रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है, ताकि विदेशी योगदान के उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
  • प्रतिबंधित संस्थाएँ: FCRA चुनाव उम्मीदवारों, पत्रकारों, मीडिया कंपनियों, न्यायाधीशों, सरकारी कर्मचारियों, विधायिका के सदस्यों, राजनीतिक दलों और राजनीतिक प्रकृति के संगठनों को विदेशी योगदान प्राप्त करने से रोकता है।
  • सरकार को रद्द करने का अधिकार: यदि कोई NGO FCRA प्रावधानों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो सरकार उसका पंजीकरण रद्द कर सकती है। 
    • रद्दीकरण के कारणों में गलत बयान, दो वर्षों तक निष्क्रियता, प्रमाणपत्र की शर्तों का उल्लंघन या राष्ट्रीय हित के विरुद्ध कार्य शामिल हैं।

गैर सरकारी संगठनों को बेहतर ढंग से विनियमित करने के लिये किन सुधारों की आवश्यकता है?

  • परिभाषाओं में स्पष्टता: सरकार को NGO को विदेशी अनुदान देने पर प्रतिबंध लगाने से पूर्व लोकहित और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे शब्दों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिये।
    • इससे कल्याणकारी कार्यों में वास्तविक रूप से शामिल नागरिक समाज संगठनों (CSO) के विरुद्ध कानून के दुरुपयोग का जोखिम कम होने की संभावना रहती है।
  • स्वतंत्र निरीक्षण: गैर सरकारी संगठनों के विदेशी वित्तपोषण की निगरानी के लिये एक स्वतंत्र नियामक निकाय की स्थापना से उनके कामकाज में पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित होगी।
  • स्तरीकृत विनियामक प्रणाली: राष्ट्रीय सुरक्षा में शामिल गैर सरकारी संगठनों के लिये सख्त रिपोर्टिंग हेतु स्तरीकृत विनियमन दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है, जबकि मानवीय या विकास कार्यों में शामिल गैर सरकारी संगठनों के लिये नियमों को आसान बनाया जा सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ संरेखित करना: FCRA को अंतर्राष्ट्रीय संधियों और मानवाधिकार दायित्वों, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा उल्लिखित, के साथ संरेखित करने के लिये संशोधित करना। 
    • इससे राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं और नागरिक समाज की अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण तक पहुँच की आवश्यकता के बीच उचित संतुलन स्थापित हो सकेगा। 

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: FCRA के अंतर्गत गैर सरकारी संगठनों के विरुद्ध उठाए गए आरोपों और भारत में विकासात्मक गतिविधियों पर उनके प्रभावों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

मुख्य परीक्षा

प्रश्न: क्या नागरिक समाज और गैर-सरकारी संगठन, आम नागरिक को लाभ प्रदान करने के लिये लोक सेवा प्रदायगी  का वैकल्पिक प्रतिमान की चुनौतियों के विवेचना कीजिये।

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