भारत में कपास की कृषि | 28 Jun 2024

प्रिलिम्स के लिये:

हाइब्रिड कपास, BT कपास, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM), भारतीय कपास निगम (CCI), कस्तूरी कपास, कॉट-एली मोबाइल एप, कपास संवर्द्धन और उपभोग समिति (COCPC), प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (TUFS), मेगा टेक्सटाइल पार्क (MITRA), पिंक बॉलवर्म, आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें

मेन्स के लिये:

भारत के लिये कपास का महत्त्व, मुद्दे और चुनौतियाँ

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

वस्त्र मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी किये गए आँकड़ों के अनुसार इस दशक में अक्तूबर 2023 से सितंबर 2024 की अवधि में वस्त्र उद्योग द्वारा कपास की खपत सबसे अधिक रही

कपास की कृषि से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • कपास भारत में खेती की जाने वाली सबसे प्रमुख वाणिज्यिक फसलों में से एक है और यह कुल वैश्विक कपास उत्पादन का लगभग 25% है।
      • भारत में इसके आर्थिक महत्त्व को देखते हुए इसे "व्हाइट-गोल्ड" भी कहा जाता है।
    • भारत में लगभग 67% कपास वर्षा आधारित क्षेत्रों में और 33% सिंचित क्षेत्रों में उगाया जाता है।
  • खेती के लिये आवश्यक स्थितियाँ: 
    • कपास की खेती के लिये पालामुक्त दीर्घ अवधि और ऊष्म व धूप वाली जलवायु की आवश्यकता होती है। गर्म तथा आर्द्र जलवायवीय परिस्थितियों में इसकी उत्पादकता सबसे अधिक होती है।
    • कपास की खेती विभिन्न प्रकार की मृदा में सफलतापूर्वक की जा सकती है, जिसमें उत्तरी क्षेत्रों में अच्छी जल निकासी वाली गहरी जलोढ़ मृदा, मध्य क्षेत्र की काली मृदा तथा दक्षिणी क्षेत्र की मिश्रित काली व लाल मृदा शामिल है।
      • कपास में लवणता के प्रति कुछ सहनशीलता होती है, किंतु यह जलभराव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती है, यह कपास की खेती में अच्छी जल निकासी वाली मृदा के महत्त्व को रेखांकित करता है।
  • हाइब्रिड और BT कपास:
    • हाइब्रिड कपास: यह विभिन्न आनुवंशिक विशेषताओं वाले दो मूल पौधों के संक्रमण द्वारा बनाया गया कपास है। हाइब्रिड अक्सर प्रकृति में अनायास और बेतरतीब ढंग से निर्मित होते हैं जब खुले-परागण वाले पौधे अन्य संबंधित किस्मों के साथ स्वाभाविक रूप से पर-परागण करते हैं।
    • BT कपास: यह आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव अथवा कपास की आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट-रोधी किस्म है।
  • भारत का परिदृश्य:
    • कपास के वैश्विक उत्पादन में स्थान (नवंबर 2023): वैश्विक स्तर पर भारत कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है जबकि दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः चीन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।
    • सबसे अधिक उत्पादक क्षेत्र (2022-23): मध्य क्षेत्र (गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश)।

Cotton_Cultivation

कपास क्षेत्र के विकास हेतु भारत सरकार की पहल

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission- NFSM) के तहत कपास विकास कार्यक्रम: इसका उद्देश्य प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में कपास उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है तथा इसे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 से 15 प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • भारतीय कपास निगम (Cotton Corporation of India - CCI): इसकी स्थापना वर्ष 1970 में कंपनी अधिनियम 1956 अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में कपड़ा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में की गई थी।
    • इसकी भूमिका यह है कि जब भी बाज़ार की कीमतें सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य समर्थन से नीचे गिरती हैं, तो मूल्य समर्थन उपायों को लागू करके कीमतों को स्थिर किया जाता है।
  • कपास के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) फॉर्मूला: कपास किसानों के आर्थिक हित और कपड़ा उद्योग के लिये कपास की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना के लिये   उत्पादन लागत का 1.5 गुना (A2+FL) का फार्मूला पेश किया गया।
    • भारतीय कपास निगम (Cotton Corporation of India- CCI): जब उचित औसत गुणवत्ता ग्रेड कपास बीज (कपास) एमएसपी दरों से नीचे गिर गया, तो MSP संचालन के लिये एक केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया।
  • वस्त्र सलाहकार समूह (Textile Advisory Group- TAG): उत्पादकता, मूल्य, ब्रांडिंग आदि से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये कपास मूल्य शृंखला में हितधारकों के बीच समन्वय को सुविधाजनक बनाने के लिये कपड़ा मंत्रालय द्वारा गठित।
  • कॉट-एली मोबाइल एप: किसानों को उपयोगकर्त्ता अनुकूल इंटरफेस के माध्यम से MSP दर, खरीद केंद्रों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिये विकसित किया गया।
  • कपास संवर्द्धन और उपभोग समिति (Committee on Cotton Promotion and Consumption - COCPC): कपड़ा उद्योग को कपास की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

भारत में कपास क्षेत्र से जुड़े मुद्दे क्या हैं?

  • कीटों का हमला: पिछले उदाहरणों में कपास उत्पादन में गिरावट के लिये ज़िम्मेदार प्राथमिक कारक पिंक बॉलवॉर्म (पेक्टिनोफोरा गॉसिपिएला) का उद्भव था।
    • जब गुलाबी बॉलवर्म (PBW) लार्वा कपास के बीजकोषों पर आक्रमण करते हैं, तो इससे कपास के पौधे कम कपास उत्पन्न करते हैं और उत्पादित कपास निम्न गुणवत्ता का होता है।
    • PBW एकभक्षी (जो मुख्य रूप से एक ही विशिष्ट प्रकार के भोजन पर निर्भर करता है) है, जो मुख्य रूप से कपास खाता है, जो बीटी प्रोटीन के विरुद्ध प्रतिरोध विकसित करने में योगदान देता है। 
      • बीटी संकर की निरंतर खेती के कारण PBW की जनसंख्य में प्रतिरोधकता विकसित हो गई।
      • गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान जैसे कई राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में इस कीट का भारी प्रकोप रहा है।
  • पैदावार में उतार-चढ़ाव: भारत में कपास का उत्पादन कई कारकों के कारण काफी अप्रत्याशित हो सकता है।
    • सिंचाई प्रणालियों तक सीमित पहुँच, मिट्टी की उर्वरता में कमी तथा अप्रत्याशित सूखा या अत्यधिक वर्षा सहित अनियमित मौसम पैटर्न, कपास की पैदावार के संबंध में अनिश्चितता में योगदान करते हैं।
  • छोटे किसानों का प्रभुत्व: भारत में कपास की कृषि का अधिकांश हिस्सा छोटे किसानों द्वारा किया जाता है।
    • ये किसान प्रायः पारंपरिक कृषि पद्धतियों पर निर्भर रहते हैं तथा आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों तक उनकी पहुँच सीमित होती है, जिसके परिणामस्वरूप समग्र कपास उत्पादन प्रभावित होता है।
  • सीमित बाज़ार पहुँच: भारत में कपास उत्पादकों की एक बड़ी संख्या को बाज़ार तक पहुँचने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है और वे अपनी फसल को बिचौलियों को कम दरों पर बेचने के लिये मजबूर होते हैं।

आगे की राह

  • एकीकृत कीट प्रबंधन: ऐसी एकीकृत कीट प्रबंधन (Integrated Pest Management- IPM) रणनीतियों की वकालत करने की आवश्यकता है जो कीटों का प्रभावी ढंग
  •  से प्रबंधन करते हुए कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करने के लिये प्राकृतिक नियंत्रण,फसलों और लाभकारी कीटों को जोड़ती हैं।
  • यील्ड/प्राप्ति के अंतर को कम करना: भारत कपास के रकबे में अग्रणी है, लेकिन प्रमुख उत्पादकों की तुलना में उपज में पीछे है। NFSM के तहत बड़े पैमाने पर प्रदर्शन परियोजना जैसी पहल उच्च घनत्व रोपण प्रणाली (High-Density Planting Systems- HDPS) और इस अंतर को कम करने के लिये मूल्य शृंखला दृष्टिकोण जैसी सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा दे सकती है।
  • आधुनिकीकरण और अवसंरचना विकास: जिनिंग, कताई और बुनाई सुविधाओं के आधुनिकीकरण, दक्षता तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (Technology Upgradation Fund Scheme- TUFS) एवं मेगा टेक्सटाइल पार्क (MITRA) जैसी योजनाओं का लाभ उठाना।
  • MSP गणना में सुधार: हाल ही में संशोधित MSP फॉर्मूला (उत्पादन लागत का 1.5 गुना) किसानों के लिये उचित रिटर्न सुनिश्चित करता है। नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर निरंतर सुधार से किसानों की आय सुरक्षा को और मज़बूत किया जा सकता है।
  • बाज़ार संबंधों को मज़बूत करना: मज़बूत खरीद प्रणाली, मूल्य स्थिरीकरण कोष तथा मज़बूत कपास ग्रेडिंग और मानकीकरण तंत्र जैसी पहल किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने एवं बिचौलियों द्वारा शोषण को कम करने में मदद कर सकती है।
  • ब्रांडिंग और ट्रेसेबिलिटी: "कस्तूरी कॉटन" जैसी पहल वैश्विक बाज़ार में भारतीय कपास के लिये एक अलग पहचान बना सकती है, जिसमें गुणवत्ता आश्वासन तथा ट्रेसेबिलिटी पर ज़ोर दिया जा सकता है। इससे प्रीमियम कीमतें आकर्षित हो सकती हैं एवं अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों के साथ विश्वास बढ़ सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में कपास क्षेत्र के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। भारत में कपास क्षेत्र की उत्पादकता में सुधार के उपाय सुझाइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में काली कपास मृदा की रचना निम्नलिखित में से किसके अपक्षयण से हुई है? (2021)

(a) भूरी वन मृदा
(b) विदरी (फिशर) ज्वालामुखीय चट्टान
(c) ग्रेनाइट और शिस्ट
(d) शेल और चूना-पत्थर

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित विशेषताएँ भारत के एक राज्य की विशिष्टताएँ हैंः (2011)

  1. उसका उत्तरी भाग शुष्क एवं अर्द्धशुष्क है।
  2.  उसके मध्य भाग में कपास का उत्पादन होता है।
  3.  उस राज्य में खाद्य फसलों की तुलना में नकदी फसलों की खेती अधिक होती है।

उपर्युक्त सभी विशिष्टताएँ निम्नलिखित में से किस एक राज्य में पाई जाती हैं?

(a) आंध्र प्रदेश
(b) गुजरात
(c) कर्नाटक
(d) तमिलनाडु

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. भारत में अत्यधिक विकेंद्रीकृत सूती वस्त्र उद्योग के लिये कारकों का विश्लेषण कीजिये। (2013)