भारत के कपास क्षेत्र का विकास
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, न्यूनतम समर्थन मूल्य, कस्तूरी कॉटन इंडिया, कॉट-एली मोबाइल एप मेन्स के लिये:कपास क्षेत्र से जुड़े मुद्दे, प्रगति और विकास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय राज्य मंत्री, वस्त्र मंत्रालय ने कपास उत्पादक किसानों को सशक्त बनाने और कपास क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये उठाए गए महत्त्वपूर्ण कदमों पर प्रकाश डाला।
कपास क्षेत्र के विकास से संबंधित भारत सरकार की पहलें:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कपास विकास कार्यक्रम:
- इसे वर्ष 2014-15 से कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा 15 प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों, यथा- असम, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कार्यान्वित किया जा रहा है।
- इसका उद्देश्य प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में कपास उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करना है।
- इसके अंतर्गत प्रदर्शन, परीक्षण, पौधों के संरक्षण हेतु रसायनों का वितरण व संबद्ध प्रशिक्षण प्रदान करना शामिल है।
- कपास के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य फॉर्मूला/सूत्र:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना करने के लिये उत्पादन लागत का 1.5 गुना (A2+FL) फॉर्मूला प्रस्तुत किया गया है।
- यह कपास किसानों के आर्थिक हित और कपड़ा उद्योग के लिये कपास की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
- इसके तहत किसानों की आय में वृद्धि करने के लिये MSP दरों में वृद्धि की जाती है।
- कपास सीज़न 2022-23 के लिये उचित औसत गुणवत्ता (Fair Average Quality- FAQ) ग्रेड कपास के MSP में लगभग 6% की वृद्धि हुई, जिसे आगामी कपास सीज़न 2023-24 के लिये बढ़ाकर 9-10% किया गया है।
- भारतीय कपास निगम (CCI):
- इसका गठन कपास किसानों हेतु MSP संचालन के लिये एक केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में किया गया है। यह विशेष तौर पर तब कार्य करता है, जब उचित औसत गुणवत्ता ग्रेड बीज कपास की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों से नीचे गिर जाती हैं।
- यह किसानों को संकटपूर्ण बिक्री से बचाता है।
- ब्रांडिंग और ट्रेसबिलिटी:
- एक ब्रांड नाम के साथ भारतीय कपास को बढ़ावा देने के लिये 'कस्तूरी कपास' (Kasturi Cotton) लॉन्च किया गया है।
- इसका उद्देश्य भारतीय कपास की गुणवत्ता, ट्रेसबिलिटी और ब्रांडिंग सुनिश्चित करना है।
- वृहद पैमाने पर प्रदर्शन परियोजना:
- NFSM के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा स्वीकृत।
- यह कपास की बेहतर उत्पादकता सुनिश्चित के लिये सर्वोत्तम अभ्यास पर ध्यान केंद्रित करती है।
- उच्च घनत्व रोपण प्रणाली (HDPS) और मूल्य शृंखला दृष्टिकोण जैसी नवीन तकनीकों पर ध्यान देना।
- "कृषि-पारिस्थितिकी क्षेत्रों के लिये प्रौद्योगिकियों को लक्षित करना तथा कपास उत्पादकता को बेहतर बनाने हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन" नामक परियोजना को मंज़ूरी देना।
- वस्त्र सलाहकार समूह (TAG):
- वस्त्र मूल्य शृंखला में हितधारकों के बीच समन्वय की सुविधा के लिये वस्त्र मंत्रालय द्वारा गठित।
- यह उत्पादकता, कीमत, ब्रांडिंग और अन्य संबंधित मुद्दों का समाधान करता है।
- कॉट-एली मोबाइल एप:
- यह किसानों को उपयोगकर्त्ता के अनुकूल इंटरफेस के माध्यम से जानकारी प्रदान करने के लिये विकसित किया गया।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- MSP दर जागरूकता।
- निकटतम खरीद केंद्र।
- भुगतान ट्रैकिंग।
- सर्वोत्तम कृषि पद्धतियाँ।
- कपास संवर्द्धन और उपभोग समिति (COCPC):
- यह कपड़ा उद्योग के लिये कपास की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।
- या कपास परिदृश्य पर नज़र रखती है और उत्पादन एवं खपत के मामलों पर सरकार को सलाह देती है।
कपास के बारे में मुख्य तथ्य:
- यह खरीफ फसल है जिसे परिपक्व होने में 6 से 8 महीने का समय लगता है।
- यह सूखा प्रतिरोधी फसल है जो शुष्क जलवायु के लिये आदर्श मानी जाती है।
- विश्व की 2.1% कृषि योग्य भूमि कपास के अंतर्गत है और यह विश्व की वस्त्र आवश्यकताओं में 27% का योगदान करता है।
- तापमान: 21-30 डिग्री सेल्सियस के बीच।
- वर्षा: लगभग 50-100 सेमी.।
- मृदा का प्रकार: अच्छी अपवाह वाली काली कपास मृदा (Regur Soil)।
- उदाहरण: दक्कन के पठार की मृदा।
- उत्पाद: फाइबर, तेल और पशु चारा।
- शीर्ष कपास उत्पादक देश: भारत> चीन> संयुक्त राज्य अमेरिका।
- भारत में शीर्ष कपास उत्पादक राज्य: गुजरात> महाराष्ट्र> तेलंगाना > आंध्र प्रदेश> राजस्थान।
- कपास की चार कृष्य प्रजातियाँ: गॉसिपियम अर्बोरियम (Gossypium arboreum), जी. हर्बेसम (G. herbaceum), जी. हिरसुटम (G. hirsutum) व जी.बारबडेंस (G. barbadense)
- गॉसिपियम आर्बोरियम और जी. हर्बेसम को ‘ओल्ड-वर्ल्ड कॉटन’ या ‘एशियाटिक कॉटन’ के रूप में जाना जाता है।
- जी. हिरसुटम को ‘अमेरिकन कॉटन’ या ‘अपलैंड कॉटन’ और जी. बारबडेंस को ‘इजिप्शियन कॉटन’ के रूप में भी जाना जाता है। ये दोनों नई वैश्विक कपास प्रजातियाँ हैं।
- हाइब्रिड कॉटन: यह विभिन्न आनुवंशिक विशेषताओं वाले दो मूल पौधों के संक्रमण द्वारा बनाया गया कपास है। हाइब्रिड अक्सर प्रकृति में अनायास और बेतरतीब ढंग से निर्मित होते हैं जब खुले-परागण वाले पौधे अन्य संबंधित किस्मों के साथ स्वाभाविक रूप से पर-परागण करते हैं।
- बीटी कॉटन: यह कपास की आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट-प्रतिरोधी (Pest-Resistant) किस्म है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में काली कपास मृदा की रचना निम्नलिखित में से किसके अपक्षयण से हुई है? (2021) (a) भूरी वन मृदा उत्तर: (b) व्याख्या:
अत: विकल्प (b) सही उत्तर है। प्रश्न. निम्नलिखित विशेषताएँ भारत के एक राज्य की विशिष्टताएँ हैंः (2011) 1- उसका उत्तरी भाग शुष्क एवं अर्द्धशुष्क है। उपर्युक्त सभी विशिष्टताएँ निम्नलिखित में से किस एक राज्य में पाई जाती हैं? (a) आंध्र प्रदेश उत्तर: (b)
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