मुख्य न्यायाधीश द्वारा SCO सदस्य देशों से न्यायिक सहयोग के लिये प्रयास करने का आह्वान | 13 Mar 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारत का मुख्य न्यायाधीश (CJI), शंघाई सहयोग संगठन (SCO), सर्वोच्च न्यायालय की रिपोर्ट का ई-संस्करण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), शंघाई फाइव, अत्यधिक आबादी वाली जेलें। मेन्स के लिये:न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी का महत्त्व, SCO। |
चर्चा में क्यों?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के सर्वोच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों/अध्यक्षों की 18वीं बैठक को संबोधित किया।
- इस बैठक में सदस्य और पर्यवेक्षक राज्यों को उन चुनौतियों पर विचार करने का अवसर प्रदान किया गया जो उनके अधिकार क्षेत्र के लिये साधारण हैं, इसके साथ ही आपसी सहयोग, अनुभव और ज्ञान को साझा करने पर बल दिया गया।
बैठक के प्रमुख बिंदु:
- स्मार्ट और अभिगम्य न्यायपालिका:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश ने न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और आम लोगों के लिये अधिक स्मार्ट एवं अभिगम्य बनाने के लिये न्यायिक सहयोग तथा नए तंत्र को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी का महत्त्व:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश ने नागरिकों और न्याय प्रणाली के बीच की खाई को पाटने में प्रौद्योगिकी के महत्त्व पर भी बल दिया।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किये गए हाल के प्रयासों को साझा किया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय की रिपोर्ट का ई-संस्करण लॉन्च करना, न्यायिक कार्यवाही का कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित लाइव ट्रांसक्रिप्शन और कई क्षेत्रीय भाषाओं में निर्णयों का अनुवाद आदि शामिल हैं।
- प्रमुख मुद्दे:
- इसके अलावा जेलों में कैदियों की अत्यधिक संख्या, गुणवत्तापूर्ण कानूनी प्रतिनिधित्त्व तक पहुँच, आधुनिक सार्वजनिक न्यायिक सेवाओं, न्यायिक कार्यवाही का बोझ, सीमित न्यायिक संसाधन, लंबित मामलों की अधिकता और पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता जैसे विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला गया।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO):
- परिचय:
- SCO एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है जो सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के क्षेत्रों में अपने सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
- उत्पत्ति:
- वर्ष 2001 में SCO के गठन से पहले कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव के सदस्य थे।
- वर्ष 2001 में संगठन में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर SCO कर दिया गया।
- भारत और पाकिस्तान वर्ष 2017 में इसके सदस्य बने।
- पर्यवेक्षक देश: ईरान और बेलारूस
- ईरान सबसे बड़े क्षेत्रीय संगठन SCO का सबसे नवीनतम सदस्य होगा, जब वह अप्रैल 2023 में भारत की अध्यक्षता में फोरम में शामिल होगा।
- वर्ष 2001 में SCO के गठन से पहले कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव के सदस्य थे।
- संरचना:
- राज्य परिषद के प्रमुख: यह सर्वोच्च SCO निकाय जो आंतरिक संचालन और अन्य देशों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ बातचीत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करता है।
- सरकारी परिषद के प्रमुख: यह बजट को मंज़ूरी देता है और SCO के आर्थिक क्षेत्रों की बातचीत से संबंधित मुद्दों पर विचार करता है एवं निर्णय लेता है।
- विदेश मामलों के मंत्रियों की परिषद: दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर विचार करती है।
- क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (Regional Anti-Terrorist Structure- RATS): आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने हेतु स्थापित।
- राजभाषा:
- SCO सचिवालय की आधिकारिक कामकाज़ी भाषाएँ रूसी और चीनी हैं।
निष्कर्ष:
- सदस्य राज्यों ने अपनी न्यायपालिका के भविष्य हेतु साझा लक्ष्यों पर सहमति व्यक्त की और वर्ष 2024 के लिये क्रमानुसार उज़्बेकिस्तान को मुख्य न्यायाधीशों/अध्यक्षों की आगामी बैठक हेतु अध्यक्षता सौंपी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2022)
भारत उपर्युक्त में-से किसका/किनका सदस्य है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. भारत में उच्चतर न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में 'राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014' पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2017) |