शासन व्यवस्था
सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023
- 01 Aug 2023
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:बौद्धिक संपदा अधिकार, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952, श्याम बेनेगल समिति, IT नियम 2021 मेन्स के लिये:सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में आवश्यक संशोधन |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया। यह विधेयक सेंसरशिप से लेकर कॉपीराइट तक को कवर करने के लिये कानून के दायरे का विस्तार करता है और सख्त एंटी-पाइरेसी प्रावधान पेश करता है।
- इस विधेयक का उद्देश्य मौजूदा सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन करना है।
सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 में प्रस्तावित प्रावधान:
- पायरेसी विरोधी प्रावधान: इस विधेयक का उद्देश्य अनधिकृत ऑडियो-विज़ुअल रिकॉर्डिंग और कॉपीराइट सामग्री के वितरण में शामिल व्यक्तियों पर सख्त दंड लगाकर फिल्मों की पायरेसी को रोकना है। इन प्रावधानों में शामिल हैं:
- सज़ा: 3 महीने से 3 वर्ष तक की कैद।
- ज़ुर्माना: 3 लाख रुपए से ऑडिटेड सकल उत्पादन लागत का 5% तक।
- कॉपीराइट कवरेज का विस्तार: इसका उद्देश्य सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 जो कि मुख्य रूप से सेंसरशिप पर केंद्रित था, के कवरेज का विस्तार करते हुए कॉपीराइट सुरक्षा को भी इसके दायरे में लाना है।
- यह कदम फिल्म वितरण के उभरते परिदृश्य के अनुरूप है तथा इसका उद्देश्य फिल्म निर्माताओं और सामग्री निर्माताओं के बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करना है।
- CBFC पर सरकार की सीमित शक्तियाँ: यह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की स्वायत्तता पर ज़ोर देता है।
- के.एम. शंकरप्पा बनाम भारत संघ (2000) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर सरकार CBFC द्वारा लिये गए निर्णयों में संशोधन नहीं कर सकती है।
- आयु आधारित रेटिंग (U/A रेटिंग): संशोधन विधेयक उन फिल्मों के लिये एक नई आयु आधारित रेटिंग प्रणाली प्रस्तुत करता है जिनके लिये अभिभावकों या माता-पिता के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। वर्तमान U/A रेटिंग, जो व्यापक आयु सीमा को कवर करती है, को तीन भिन्न-भिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा:
- U/A 7+: माता-पिता या अभिभावक के मार्गदर्शन में 7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिये उपयुक्त फिल्में।
- U/A 13+: माता-पिता या अभिभावक के मार्गदर्शन में 13 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिये उपयुक्त फिल्में।
- U/A 16+: माता-पिता या अभिभावक के मार्गदर्शन में 16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिये उपयुक्त फिल्में।
- यह नवीन वर्गीकरण प्रणाली सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 और श्याम बेनेगल समिति की सिफारिश (2017) के आधार पर स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लिये लागू श्रेणीबद्ध-आयु वर्गीकरण के साथ संरेखित है।
- TV एवं अन्य मीडिया के लिये पुन: प्रमाणन: वर्ष 2004 के बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश के पश्चात् से वयस्क/एडल्ट रेटिंग वाली फिल्मों को टेलीविज़न पर प्रतिबंधित कर दिया गया है।
- जिसके परिणामस्वरूप प्रसारक स्वेच्छा से फिल्मों में कटौती करते हैं और U/A रेटिंग के लिये CBFC से पुनः प्रमाणीकरण की मांग करते हैं।
- यह विधेयक इस प्रथा को औपचारिक बनाता है, जिसके तहत फिल्मों को टेलीविज़न और "अन्य मीडिया" के माध्यम से प्रसारण के लिये पुनः प्रमाणित किया जा सकेगा।
- जिसके परिणामस्वरूप प्रसारक स्वेच्छा से फिल्मों में कटौती करते हैं और U/A रेटिंग के लिये CBFC से पुनः प्रमाणीकरण की मांग करते हैं।
- प्रमाणपत्रों की स्थायी वैधता: इस अधिनियम में संशोधन के माध्यम CBFC प्रमाणपत्रों की 10 वर्ष की वैधता संबंधी प्रतिबंध को हटाकर उन्हें स्थायी वैधता प्रदान की जा सकेगी।
सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952:
- सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 को संसद द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिये अधिनियमित किया गया था कि फिल्मों का प्रदर्शन भारतीय समाज की सहनशीलता की सीमा के अनुसार हो।
- यह फिल्मों को प्रमाणित करने के लिये मार्गदर्शक सिद्धांत निर्धारित करता है, इसमें भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता अथवा नैतिकता या मानहानि या न्यायालय की अवमानना जैसे विषय शामिल हैं।
- इस अधिनियम की धारा 3 केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (जिसे आमतौर पर सेंसर बोर्ड के नाम से जाना जाता है) की स्थापना का प्रावधान करती है।
- CBFC सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जो सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के प्रावधानों के तहत फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को नियंत्रित करता है।
- यह बोर्ड के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनने के लिये एक अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन का भी प्रावधान करता है।