अंतर्राष्ट्रीय संबंध
हॉर्न ऑफ अफ्रीका में चीन की उपस्थिति
- 30 Jun 2022
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:हॉर्न ऑफ अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, रेड सी, ईस्ट अफ्रीका कम्युनिटी। मेन्स के लिये:भारत के लिये हॉर्न ऑफ अफ्रीका का महत्त्व, हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में चीन की उपस्थिति। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पहले "चीन-हॉर्न ऑफ अफ्रीका शांति, शासन और विकास सम्मेलन" (China-Horn of Africa Peace, Governance and Development Conference) का आयोजन किया गया।
- यह पहली बार है जब चीन का लक्ष्य "सुरक्षा के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाना" है।
- इथियोपिया में आयोजित सम्मेलन में हॉर्न के निम्नलिखित देशों- केन्या, जिबूती, इथियोपिया, सूडान, सोमालिया, दक्षिण सूडान और युगांडा के विदेश मंत्रालयों की भागीदारी देखी गई।
प्रमुख बिंदु
हॉर्न ऑफ अफ्रीका:
- हॉर्न ऑफ अफ्रीका पूर्वोत्तर अफ्रीका में एक प्रायद्वीप है।
- अफ्रीकी मुख्य भूमि के पूर्वी भाग में स्थित यह विश्व का चौथा सबसे बड़ा प्रायद्वीप है।
- यह लाल सागर की दक्षिणी सीमा के साथ स्थित है तथा गार्डाफुई चैनल, अदन की खाड़ी और हिंद महासागर में सैकड़ों किलोमीटर तक फैला हुआ है।
- अफ्रीका का हॉर्न क्षेत्र भूमध्य रेखा और कर्क रेखा से समान दूरी पर है।
- हॉर्न में इथियोपियाई पठार, ओगाडेन रेगिस्तान, इरिट्रिया और सोमालियाई तटों के ऊंँचे इलाकों के जैवविविधता वाले क्षेत्र शामिल हैं।
- अफ्रीका का हॉर्न क्षेत्र जिबूती, इरिट्रिया, इथियोपिया और सोमालिया के देशों वाले क्षेत्र को दर्शाता है।
- इस क्षेत्र ने साम्राज्यवाद, नव-उपनिवेशवाद, शीत युद्ध, जातीय संघर्ष, अंतर-अफ्रीकी संघर्ष, गरीबी, बीमारी, अकाल आदि का अनुभव किया है।
चीन की हालिया परियोजनाएंँ:
- जनवरी 2022 में चीन ने अफ्रीका में अपने तीन उद्देश्यों पर ज़ोर दिया जिनमें शामिल हैं- महामारी को नियंत्रित करना, चीन-अफ्रीका सहयोग मंच (FOCAC) के परिणामों को लागू करना और आधिपत्य की राजनीति से लड़ते हुए सामान्य हितों को बनाए रखना।
- वर्ष 2021 फोरम में हॉर्न के पूरे क्षेत्र ने भाग लिया, जिसमें चार प्रस्तावों को अपनाया गया:
- डकार एक्शन प्लान:
- दोनों पक्ष चीन और अफ्रीका के बीच संबंधों के विकास की सराहना करते हुए मानते हैं कि फोरम ने अपनी स्थापना के बाद से पिछले 21 वर्षों में चीन एवं अफ्रीका के बीच संबंधों के विकास को दृढ़ता से बढ़ावा दिया है तथा अफ्रीका के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये एक महत्त्वपूर्ण मानक को स्थापित किया है।
- चीन-अफ्रीका कोऑपरेशन विज़न 2035:
- यह मध्य और दीर्घकालिक सहयोग के निर्देशों एवं उद्देश्यों को निर्धारित करने तथा चीन व अफ्रीका के साझा भविष्य के साथ करीबी संबंध को बढ़ावा देने के लिये तैयार किया गया था।
- जलवायु परिवर्तन पर चीन-अफ्रीकी घोषणा:
- इसका उद्देश्य जलवायु पर बहुपक्षीय प्रक्रिया में समन्वय और सहयोग बढ़ाना है, साथ ही संयुक्त रूप से चीन, अफ्रीका तथा अन्य विकासशील देशों के वैध अधिकारों व हितों की रक्षा करना है।
- FOCAC के आठवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की घोषणा:
- थीम के तहत "चीन-अफ्रीका साझेदारी को मज़बूत करना और नए युग में एक साझा भविष्य के साथ चीन-अफ्रीका समुदाय के निर्माण के लिये सतत् विकास को बढ़ावा देंना," साथ ही FOCAC के विकास एवं चीन-अफ्रीका व्यापक रणनीतिक व सहकारी साझेदारी को सुदृढ़ करने के लिये प्रतिबद्धता है। दोनों ने FOCAC के आठवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की डकार घोषणा को सर्वसम्मति से अपनाया।
- FOCAC हॉर्न के ढांँचागत और सामाजिक विकास में चीन की भूमिका को बढ़ावा देता है।
- डकार एक्शन प्लान:
- कोविड-19 महामारी के दौरान चीन ने इथियोपिया और युगांडा को 3,00,000 से अधिक टीके तथा केन्या एवं सोमालिया को 2,00,000 टीके दान किये। चीन की वैक्सीन डिप्लोमेसी से सूडान व इरिट्रिया को भी फायदा हुआ है।
इस क्षेत्र में चीन के प्राथमिक हित:
- अवसंरचना:
- अदीस अबाबा में चीन की एक ऐतिहासिक परियोजना द्वारा 200 मिलियन अमरीकी डालर की मदद से अफ्रीकी संघ मुख्यालय को पूर्ण रूप से वित्तपोषित किया गया।
- चीन ने केन्या में मोम्बासा-नैरोबी रेल लिंक में भी निवेश किया है, इसके अलावा पहले ही सूडान में रेलवे परियोजनाओं पर काम कर चुका है।
- इथियोपिया में इसका एक व्यवहार्य सैन्य हार्डवेयर बाज़ार भी है और इसने सोमालिया में अस्पतालों, सड़कों, स्कूलों एवं स्टेडियमों सहित 80 से अधिक ढांँचागत परियोजनाओं का निर्माण किया है।
- जिबूती में 14 बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं को चीन द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है।
- वित्तीय सहायता:
- इथियोपिया, चीनी निवेश के शीर्ष पांँच अफ्रीकी प्राप्तकर्त्ताओं में से एक है और उस पर लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का कर्ज भी है।
- केन्या के द्विपक्षीय कर्ज में चीन की हिस्सेदारी 67 फीसदी है।
- 2022 में चीन ने इरिट्रिया को 15.7 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की सहायता प्रदान करने का वादा किया।
- प्राकृतिक संसाधन (तेल और कोयला):
- चीन इथियोपिया में सोना, लौह-अयस्क, कीमती पत्थर, रसायन, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे खनिजों में भी रुचि रखता है।
- दक्षिण सूडान के पेट्रोलियम उद्योग में 1995 में प्रवेश के बाद से बीजिंग (चीन) ने निवेश जारी रखा है।
- समुद्री हित:
- अपनी मुख्य भूमि के बाहर चीन का पहला और एकमात्र सैन्य अड्डा जिबूती में है।
- वर्ष 2022 में चीन ने इरिट्रिया के तट को विकसित करने की अपनी इच्छा का संकेत दिया, जिससे भू-आबद्ध इथियोपिया चीन के निवेश से जुड़ जाएगा।
- अमेरिका का अनुमान है कि केन्या और तंजानिया में चीन एक और सैन्य अड्डा बनाना चाहता है, जिससे इस क्षेत्र में उसकी सैन्य उपस्थिति बढ़ जाएगी।
क्या चीन अपने अहस्तक्षेप के सिद्धांत से हट गया है?
- अफ्रीका के लिये चीनी निवेश से स्थिर वातावरण बन सकता है जो देशों को उनके शांति और विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा। चीन को इस क्षेत्र में संघर्ष की स्थिति की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
- इथियोपिया में जब संघर्ष छिड़ा, तो विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे 600 से अधिक चीनी नागरिकों को वापस बुला लिया गया, जिससे कई निवेश जोखिम में पड़ गए।
- व्यापारिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र चीन-अफ्रीका सहयोग विज़न 2035 के उद्देश्यों को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- अफ्रीका में शांति की दिशा में चीन का कदम उसके अहस्तक्षेप के सिद्धांत में बदलाव का संकेत देता है।
- चीन ने इस बात का संकेत दिया है कि महाद्वीप में उसकी उपस्थिति का एक बड़ा उद्देश्य है और इसके हॉर्न ऑफ अफ्रीक तक ही सीमित होने की संभावना नहीं है।
- इसमें खुद को एक वैश्विक नेता के रूप में पेश करना और अपनी अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को बढ़ावा देना शामिल है।
- इसके अलावा हाल के घटनाक्रमों का अर्थ है कि चीन लंबे समय से महाद्वीप में बहुआयामी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- अफ्रीका में चीन की उपस्थिति यूरोपीय शक्तियों का एक विकल्प है, जिनमें से कई को अफ्रीकी सरकारों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
- इसके अलावा वे अफ्रीकी सरकारें, जो लोकतंत्र के पश्चिमी मानकों के अनुरूप नहीं हैं, चीन और रूस जैसी शक्तियों के साथ बेहतर समन्वय रखती हैं।
भारत के लिये हॉर्न ऑफ अफ्रीका का महत्त्व:
- अफ्रीका में बढ़ती दिलचस्पी:
- अफ्रीका में राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा कारणों से भारत की दिलचस्पी बढ़ रही है, विशेष रूप से उपक्षेत्र- हॉर्न ऑफ अफ्रीका।
- तेल उत्पादक क्षेत्र से निकटता:
- हॉर्न ऑफ अफ्रीका रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह मध्य-पूर्व के तेल उत्पादक क्षेत्र के निकट है।
- मध्य-पूर्व में उत्पादित तेल का लगभग 40% लाल सागर की शिपिंग लेन से होकर गुज़रता है।
- शिपिंग रूट:
- जिबूती इस शिपिंग रूट का मुख्य बिंदु है। यही कारण है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांँस और चीन जैसे देशों का जिबूती में सैन्य अड्डा है।
- भारत के आर्थिक विकास के लिये संचार की नई समुद्री लाइनों पर निर्भरता के साथ दिल्ली ने घोषणा किया कि उसके राष्ट्रीय हित अब उपमहाद्वीप तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि "अदन से मलक्का तक" विस्तृत हैं।
चीन की मौजूदगी पर भारत की चिंता:
- हिंद महासागर में प्रभुत्त्व:
- हिंद महासागर के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर स्थित जिबूती चीन के "स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स" में से एक बन सकता है एवं बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका सहित भारत के सैन्य गठजोड़ व संपत्ति के लिये एक खतरा बन सकता है।
- चीन ने हिंद महासागर में गतिविधियाँ तेज़ कर दी हैं, जिसे हाल के दिनों में समुद्री डकैती रोधी गश्त और नेविगेशन की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए भारत अपने प्रभाव क्षेत्र में मानता है। इसने भारतीय नौसेना को सामरिक जल की निगरानी कड़ी करने के लिये मजबूर किया है।
- चीन की महत्त्वपूर्ण नौवहन मार्गों पर नियंत्रण करने की इच्छा:
- हिंद महासागर शिपिंग लेन दुनिया के 80% तेल और वैश्विक थोक कार्गो का एक-तिहाई है। चीन महत्त्वपूर्ण शिपिंग मार्ग के साथ अपनी ऊर्जा एवं व्यापार परिवहन लिंक को सुरक्षित करना चाहता है।
- हिंद महासागर के देशों को प्रभावित करना:
- हिंद महासागर वैश्विक मामलों में बड़ी भूमिका निभाने वाले देशों के लिये एक प्रमुख स्थल के रूप में भी उभर रहा है। चीन बंदरगाहों, सड़कों और रेलवे जैसी परियोजनाओं में निवेश करके हिंद महासागर के देशों में सद्भावना व प्रभाव पैदा करना चाहता है।
- चीन हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति का विस्तार करना चाहता है और श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान में बंदरगाहों तथा अन्य बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर रहा है।
- OBOR के माध्यम से विस्तार:
- एक नया रेशम मार्ग बनाने के लिये चीन की महत्त्वाकांक्षी वन बेल्ट, वन रोड (OBOR) पहल में हिंद महासागर का प्रमुख स्थान है।
- भारत ने OBOR से स्वयं को दूर रखा है।
आगे की राह
- इस क्षेत्र में जो कुछ भी होता है उसका भारत की सुरक्षा और कल्याण पर सीधा असर पड़ता है, इसलिये भारत को ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीक’' में मौजूदा परिस्थितियों एवं शक्ति की गतिशीलता पर अधिक ध्यान देना चाहिये।
- भारत को इस जटिल समस्या को लेकर पूर्वी अफ्रीका, अफ्रीकी संघ तथा अन्य संबंधित सरकारों के साथ गंभीरता से चर्चा करनी चाहिये ताकि वह इसके समाधान में सार्थक योगदान दे सके।