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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अरुणाचल बॉर्डर के पास चीन की रेलवे

  • 16 Nov 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

दापोरिजो पुल, सिसेरी नदी पुल, बोगीबील पुल, हिम विजय

 मेन्स के लिये:

सीमा क्षेत्रों में चीन की बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ और भारत की सुरक्षा 

चर्चा में क्यों?

चीन ने रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण रेलवे लाइन जो चीन के सिचुआन प्रांत (Sichuan Province) को तिब्बत में निंगची (Nyingchi) से जोड़ेगी पर कार्य करना शुरू कर दिया है। यह रेलवे लाइन भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास है।

Rail-to-border-town

प्रमुख बिंदु:

  • यह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region-TAR) को चीन की मुख्य भूमि के साथ जोड़ने वाला दूसरा ऐसा मार्ग होगा। इससे पहले किंघाई-तिब्बत रेलवे लाइन (Qinghai-Tibet Railway Line) द्वारा ल्हासा को हिंटरलैंड क्षेत्र से जोड़ा जा चुका है।

भारत पर प्रभाव: 

सुरक्षा से संबंधित चिंताएँ:

  • यह रेलवे लाइन काफी हद तक सीमा क्षेत्र में चीनी सैन्यकर्मियों और सामग्री के परिवहन एवं रसद आपूर्ति की दक्षता व सुविधा में सुधार करेगी।
  • अरुणाचल प्रदेश सीमा के पास प्रत्यक्ष गतिरोध की स्थितियों में जैसा कि डोकलाम या हाल ही में लद्दाख गतिरोध के दौरान देखा गया था, चीन एक लाभप्रद स्थिति में हो सकता है।

पारिस्थितिकी से संबंधित चिंताएँ: 

  • परियोजना लाइन से संबद्ध संवेदनशील पारिस्थितिक वातावरण, भारत के लिये पारिस्थितिकी से संबंधित चिंताएँ उत्पन्न कर सकता है।   

भारत द्वारा हाल ही में उठाए गए कदम:

  • भारत, सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Border Area Development Programme- BADP) का केवल 10% धन चीन सीमा से लगे बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये खर्च करेगा।
  • सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी नदी के ऊपर सिर्फ 27 दिनों के रिकॉर्ड समय में दापोरीजो पुल (Daporijo Bridge) का निर्माण किया। यह भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) तक जाने वाली सड़कों को जोड़ता है।
  • हाल ही में रक्षा मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले में नेचिफु (Nechiphu) में एक सुरंग की नींव रखी। यह तवांग के माध्यम से LAC तक सैनिकों की यात्रा में लगने वाले समय को कम कर देगा, जिसे चीन अपने क्षेत्र में होने का दावा करता है।
  • BRO पहले से ही अरुणाचल प्रदेश में से ला दर्रे (Se La pass) के तहत एक ‘ऑल वेदर टनल’ का निर्माण कर रहा है जो तवांग को अरुणाचल व गुवाहाटी के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
  • अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों से शहरी केंद्रों की ओर जनसंख्या के पलायन (विशेष रूप से चीन सीमा के साथ लगे क्षेत्रों से) को रोकने के लिये केंद्र सरकार से पायलट विकास परियोजनाओं की मांग की है। अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये पायलट परियोजनाओं के रूप में 10 जनगणना शहरों (Census Towns) के चयन की सिफारिश की है।
  • हाल ही में रक्षा मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश में निचली दिबांग घाटी में स्थित सिसेरी नदी पुल (Sisseri River Bridge) का उद्घाटन किया, जो दिबांग घाटी को सियांग से जोड़ता है।
  • वर्ष 2019 में भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश में भारत के सबसे पूर्वी गाँव-विजयनगर (चांगलांग ज़िले) में पुनर्निर्मित हवाई पट्टी का उद्घाटन किया।
  • वर्ष 2019 में भारतीय सेना ने अपने नए  ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स’ (Integrated Battle Groups- IBG) के साथ अरुणाचल प्रदेश और असम में 'हिमविजय' (HimVijay) अभ्यास किया।
  • बोगीबील पुल (Bogibeel Bridge) जो भारत का सबसे लंबा सड़क-रेल पुल है,  असम में डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश में पासीघाट से जोड़ता है। इसका उद्घाटन वर्ष 2018 में किया गया था।
    • यह भारत-चीन सीमा के पास के क्षेत्रों में सैनिकों और उपकरणों की त्वरित आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा।

भारत-चीन सीमा क्षेत्र:

  • भारत और चीन सीमा साझा करते हैं जो लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3488 किलोमीटर तक फैली हुई है।
  • दोनों देशों के मध्य सीमा विवाद अभी भी अनसुलझा है।
  • इसे तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है:
  • पश्चिमी क्षेत्र: यह लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश (UT) के अंतर्गत आता है और 1597 किमी. लंबा है।
    • यह दोनों देशों के बीच सबसे अधिक विवादित क्षेत्र है।
  • मध्य क्षेत्र: यह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पड़ता है और 545 किलोमीटर लंबा है।
    • यह दोनों देशों के बीच सबसे कम विवादित क्षेत्र है।
  • पूर्वी क्षेत्र: यह सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश राज्यों में पड़ता है और 1346 किलोमीटर लंबा है।
    • चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है जिसे भारत खारिज करता है।

आगे की राह:

  • भारत को अपने हितों की रक्षा के लिये अपनी सीमा के पास चीन में किसी भी नए ढाँचागत विकास के मामले में पर्याप्त रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसके अलावा इसे अपने क्षेत्र में दुर्गम सीमा क्षेत्रों में मज़बूत बुनियादी ढाँचे के निर्माण की आवश्यकता है ताकि कुशल तरीके से सैन्यकर्मियों एवं रसद की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके। 

स्रोत: द हिंदू

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