चीन ने भारत की अग्नि-V मिसाइल परियोजना पर सवाल उठाया | 28 Sep 2021
प्रिलिम्स के लिये:UNSC प्रस्ताव 1172, अग्नि-V मिसाइल, अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि-पी (प्राइम) मेन्स के लिये:भारत के मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम : अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा कानून |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत द्वारा अग्नि-V अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का आगामी परीक्षण किये जाने की खबरों के बीच चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव का हवाला देते हुए भारत के मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम पर सवाल उठाया है।
- भारत के 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद UNSC प्रस्ताव 1172 जारी किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- अग्नि-V मिसाइल के बारे में:
- अग्नि-V देश में निर्मित सबसे उन्नत सतह-से-सतह पर मार करने वाली स्वदेशी बैलेस्टिक मिसाइल है।
- यह तीन चरणों की ठोस ईंधन वाली 17 मीटर लंबी मिसाइल है तथा लगभग 1.5 टन के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
- अग्नि-V एक फायर एंड फॉरगेट (दागों और भूल जाओ) मिसाइल है, जिसे एक बार दागने के बाद इंटरसेप्टर मिसाइल के अलावा रोका नहीं जा सकता है।
- इसे इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) के तहत विकसित किया गया है।
- IGMDP की स्थापना का विचार प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा दिया गया था ताकि भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके। इसे भारत सरकार द्वारा वर्ष 1983 में अनुमोदित किया गया था और या कार्य मार्च 2012 में पूरा किया गया था।
- इस कार्यक्रम के तहत विकसित 5 मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं: पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, नाग, आकाश।
- मिसाइलों की अग्नि श्रेणी:
- ये मिसाइलें भारत की परमाणु प्रक्षेपण क्षमता का मुख्य आधार हैं।
- श्रेणी:
- अग्नि-I: 700-800 किमी. की रेंज।
- अग्नि-II: 2000 किमी. से अधिक रेंज।
- अग्नि-III: 2,500 किमी. से अधिक की रेंज।
- अग्नि-IV: इसकी रेंज 3,500 किमी. से अधिक है और यह एक रोड मोबाइल लॉन्चर से फायर कर सकती है।
- अग्नि-V: यह अग्नि शृंखला की सबसे लंबी, एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है जिसकी रेंज 5,000 किमी. से अधिक है।
- अग्नि-पी (प्राइम): यह एक कनस्तर वाली मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किमी. के बीच है। यह अग्नि I मिसाइल की जगह लेगी।
- इस मिसाइल का पाँच बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है और यह सेना में शामिल होने की प्रक्रिया में है।
- अमेरिका, चीन, रूस, फ्राँस और उत्तर कोरिया सहित बहुत कम देशों के पास अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है।
- ICBM एक भूमि आधारित, परमाणु-सशस्त्र बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 5,600 किमी. से अधिक है।
- UNSC प्रस्ताव 1172 के बारे में:
- यह प्रस्ताव 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद भारत और पाकिस्तान को संदर्भित करता:
- अपने परमाणु हथियार विकास कार्यक्रमों को रोकने के लिये।
- शस्त्रीकरण या परमाणु हथियारों की तैनाती रोकने के लिये।
- परमाणु हथियार पहुँचाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों और परमाणु हथियारों के लिये विखंडनीय सामग्री के किसी भी उत्पादन को रोकने के लिये।
- उपकरण, सामग्री या प्रौद्योगिकी का निर्यात न करने की उनकी नीतियों की पुष्टि करने के लिये जो सामूहिक विनाश के हथियारों या वितरित करने में सक्षम मिसाइलों में योगदान कर सकते हैं।
- यह प्रस्ताव 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद भारत और पाकिस्तान को संदर्भित करता:
- चीन द्वारा किये जा रहे दावों की समस्याएँ:
- ‘अग्नि-V’ ने चीनी मीडिया का ध्यान व्यापक रूप से आकर्षित किया है और इस बात की चर्चा की जा रही है कि 5,000 किलोमीटर की दूरी की परमाणु-सक्षम मिसाइल चीन के कई शहरों को अपनी सीमा के भीतर कवर कर सकती है।
- भारत के मिसाइल कार्यक्रम के प्रस्ताव का हवाला देते हुए चीन इसके विपरीत पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के विकास में सहायता करता रहा है।
- चीन परमाणु सक्षम मिसाइलों के लिये पाकिस्तान को समृद्ध यूरेनियम और तकनीक मुहैया कराता रहा है।
- इसके अलावा वर्ष 2018 में चीन ने मल्टी-वारहेड मिसाइलों के विकास में तेज़ी लाने के लिये पाकिस्तान को एक ट्रैकिंग सिस्टम की बिक्री की थी।
आगे की राह
- भारत को इस बात पर ज़ोर देते हुए और अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है कि संपूर्ण एशिया में सामरिक स्थिरता के लिये चीन के साथ एक व्यापक परमाणु वार्ता आवश्यक है।
- हालाँकि चीन इस तरह की वार्ता में शामिल होने से इनकार कर सकता है, क्योंकि वह भारत के परमाणु हथियारों की स्थिति को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं देना चाहता, जबकि पाकिस्तान को परमाणु हथियार और बैलिस्टिक मिसाइल डिज़ाइन करने में मदद के साथ ही आवश्यक सामग्री प्रदान कर रहा है। पाकिस्तान को किया जा रहा यह हस्तांतरण परमाणु अप्रसार संधि के तहत चीन द्वारा अपने दायित्वों की पूरी तरह से अवहेलना है।
- अब तक भारत काफी अधिक रक्षात्मक रहा है और वैश्विक स्तर पर चीन-पाकिस्तान परमाणु/मिसाइल गठजोड़ को उजागर करने से बचता रहा है। एशिया के भीतर चीन के मौजूदा प्रभुत्व को देखते हुए भारत को जापान, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ करीबी परामर्श एवं वार्ता शुरू करनी चाहिये।