शासन व्यवस्था
गृह ऊर्जा लेखा परीक्षा पर प्रमाणन पाठ्यक्रम
- 27 Dec 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:'होम एनर्जी ऑडिट' का अर्थ, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई), ऊर्जा दक्षता और संरक्षण तथा इससे संबंधित पहल। मेन्स के लिये:कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और ऊर्जा दक्षता में सुधार करने में होम एनर्जी ऑडिट का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण सप्ताह के दौरान 8-14 दिसंबर, 2021 तक गृह ऊर्जा लेखा परीक्षा (HEA) पर एक प्रमाणन पाठ्यक्रम शुरू किया है।
- इससे पहले बीईई ने ऊर्जा दक्षता और संरक्षण में भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिये राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस (14 दिसंबर) के अवसर पर 31वें राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार (एनईसीए) के साथ विभिन्न औद्योगिक संस्थानों और प्रतिष्ठानों को सम्मानित किया था।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE):
- BEE केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- यह भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा आधिक्य को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करता है।
- BEE अपने कार्यों को करने हेतु मौजूदा संसाधनों और बुनियादी ढाँचे की पहचान तथा उपयोग करने के लिये नामित उपभोक्ताओं, एजेंसियों एवं अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है।
प्रमुख बिंदु:
- गृह ऊर्जा लेखा परीक्षा (Home Energy Audit) :
- HEA विभिन्न ऊर्जा खपत तथा ऊर्जा उपयोग के उपयुक्त लेखांकन, सत्यापन, निगरानी और विश्लेषण को सक्षम बनाता है।
- यह ऊर्जा खपत को कम करने के लिये लागत-लाभ विश्लेषण और कार्य योजना के साथ ऊर्जा दक्षता में सुधार हेतु व्यवहार्य समाधान तथा सिफारिशों के साथ एक तकनीकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में भी सक्षम है।
- प्रमाणन कार्यक्रम (पाठ्यक्रम) इंजीनियरिंग/डिप्लोमा कॉलेजों के छात्रों के बीच ऊर्जा लेखा परीक्षा और ऊर्जा दक्षता तथा संरक्षण के महत्त्व एवं लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करेगा।
- उद्देश्य:
- उपभोक्ता की ज़रूरतों के आधार पर घरेलू ऊर्जा ऑडिट के लिये पेशेवरों के एक पूल का निर्माण करना।
- घरेलू उपभोक्ता अपने संबंधित एसडीए (राज्य नामित एजेंसी) प्रमाणित गृह ऊर्जा लेखा परीक्षक के माध्यम से गृह ऊर्जा का ऑडिट किया जाएगा।
- ऊर्जा ऑडिटिंग, ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के महत्त्व तथा लाभों के बारे में जानकारी का प्रसार करते हुए इंजीनियरिंग/डिप्लोमा/आईटीआई छात्रों, ऊर्जा पेशेवरों और उद्योग भागीदारों के बीच जागरूकता बढ़ाना।
- महत्त्व:
- इससे अंततः ऊर्जा बिलों (Energy Bills) में कमी के साथ उपभोक्ता के कार्बन फुटप्रिंट (Carbon Footprint) में कमी आएगी।
- कार्बन फुटप्रिंट हमारे कार्यों से उत्पन्न होने वाली ग्रीनहाउस गैसों (कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन सहित) की कुल मात्रा है।
- इससे ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency), जलवायु परिवर्तन शमन (Climate Change Mitigation) और स्थिरता (Sustainability) के क्षेत्र में युवाओं की रोज़गार क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
- इससे अंततः ऊर्जा बिलों (Energy Bills) में कमी के साथ उपभोक्ता के कार्बन फुटप्रिंट (Carbon Footprint) में कमी आएगी।
- ऊर्जा संरक्षण में भारत की स्थिति:
- ग्लासगो में संपन्न COP-26 शिखर सम्मेलन में भारत द्वारा वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से विद्युत उत्पादन क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने की अपनी योजना की घोषणा की गई। भारत द्वारा विश्व का सबसे बड़ा स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रम का क्रियांवयन किया जा रहा है जिसमें वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित है।
- भारत द्वारा COP-21 के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC) की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता के अपने 40% लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है।
- वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से स्थापित विद्युत क्षमता 66% हो जाएगी। साथ ही भारत पहले ही 28% उत्सर्जन कमी के लक्ष्य को प्राप्त कर चुका है।
ऊर्जा संरक्षण से संबंधित अन्य पहलें
- प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार योजना
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC)
- मानक और लेबलिंग
- ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ECBC)
- मांग पक्ष प्रबंधन
- इको निवास संहिता 2018
- भारत स्टेज- IV (BS-IV) से भारत स्टेज-VI (BS-VI) तक
- उजाला योजना
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन